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स्टाफ कम... पर जज्बा है मजबूत, इस तरह लड़ रहे 'जंग'

कोरोना काल में लोगों का प्राइवेट अस्पतालों की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों की तरफ रुझान बढ़ा है. काफी संख्या में लोग अपना इलाज सरकारी अस्पतालों में करवा रहे हैं, जिससे सर्जरियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी कम स्टाफ होने के बावजूद पूरी लगन से मरीजों की सेवा कर रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

health facilities in varanasi government hospitals
सरकारी अस्पतालों की तरफ बढ़ा लोगों का
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Published : May 24, 2021, 10:23 AM IST

Updated : May 24, 2021, 1:18 PM IST

वाराणसी: शासन-प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद भी निजी अस्पतालों की मनमानी कम नहीं हो रही है, जिसका नतीजा यह हुआ कि लोगों का रुझान अब सरकारी अस्पतालों की ओर बढ़ रहा है. कोरोना काल में प्राइवेट अस्पतालों की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों में लोगों ने अपना इलाज कराया है, जिसके कारण सरकारी अस्पतालों में सर्जरियों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी, उनकी सर्जरी या फिर साधारण सर्जरी की बात करें, सभी की संख्या में इजाफा हुआ है. आइए जानते हैं कि सरकारी अस्पतालों में सर्जरी और मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं की क्या स्थिति है...

स्पेशल रिपोर्ट...

'मरीजों को सुरक्षित रखना पहला कर्तव्य'
ईटीवी भारत से बातचीत में एसएसपीजी मंडलीय अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर रवि सिंह ने बताया कि कोरोना काल में सर्जरियों की संख्या बढ़ी है. हर दिन 4 से 7 सर्जरी बड़ी छोटी मिलाकर एक सर्जन के द्वारा संपन्न की जाती है. यदि महीने की बात करें तो 1 महीने में 100 से ज्यादा सर्जरी यहां होती हैं. हालांकि कोरोना काल के दौरान ओपीडी बंद होने के कारण मरीजों को थोड़ी समस्याएं जरूर होती है, लेकिन इस समय भी हम फोन के माध्यम से मरीजों को परामर्श देकर उनका इलाज करते हैं. यदि बेहद जरूरी कोई सर्जरी होती है तो इमरजेंसी में उनकी सर्जरी करते हैं. हमारा सबसे पहला कर्तव्य यही है कि हम मरीज को सुरक्षित रखें.

health facilities in varanasi government hospitals
मरीजों की अच्छे से की जाती है देखभाल.

'डॉक्टर जी जान से मरीजों का कर रहे इलाज'
अस्पताल में मौजूद सुविधाओं के बाबत डॉक्टर रवि ने बताया कि यहां पर सर्जन की कमी जरूर है, क्योंकि यह मंडलीय अस्पताल है और यहां आसपास के जिलों से भी मरीज अपना इलाज कराने के लिए आते हैं. इस लिहाज से मरीजों की अपेक्षा डॉक्टरों की संख्या यहां कम है, लेकिन उसके बावजूद भी हम सब जी जान से मरीज का इलाज करते हैं. कभी-कभी जब सर्जरी की संख्या बढ़ जाती है तो कुछ सर्जरियां पेंडिंग भी रह जाती है. लेकिन हम सब मिलकर उन मरीजों को भी देखकर उनका इलाज करते हैं. स्टाफ के बाबत उन्होंने बताया कि स्टाफ कम थोड़े जरूर हैं, लेकिन यहां पर सभी लोग बहुत कोऑपरेटिव हैं. सभी के सहयोग से यहां हर मरीज का इलाज हो जाता है.

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वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर रवि सिंह.

'आधुनिक उपकरणों की है जरूरत'
डॉक्टर रवि ने बताया कि अस्पताल में कुछ आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां दूरबीन के उपकरण नहीं हैं. अगर हमें दूरबीन उपकरण व अन्य आधुनिक सुविधाएं मिल जाए तो यहां मरीजों का इलाज करना और ज्यादा आसान हो जाएगा. क्योंकि यहां मरीज बहुत उम्मीद से आते हैं, जिससे कम खर्च में उनका इलाज हो सके और उन्हें बेहतरीन सुविधा मिल सके. इस बाबत हमारे सीएमएस के द्वारा उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है. हमें उम्मीद है कि भविष्य में हमें इन उपकरणों की सुविधा मिल जाएगी.

health facilities in varanasi government hospitals
महिला अस्पताल की सीएमएस डॉक्टर लिली श्रीवास्तव.

'कोरोना काल में भी नहीं रुकी डिलीवरी'
महिला अस्पताल की प्रभारी डॉक्टर लिली श्रीवास्तव बताती हैं कि सामान्य दिनों के साथ-साथ कोरोना महामारी में भी महिला अस्पताल में सामान्य व सर्जिकल दोनों डिलीवरी की संख्या में कोई कमी नहीं देखने को मिली हैं. हमारे यहां जिस प्रकार सामान्य दिनों में नॉर्मल और सर्जिकल मिलाकर 300 डिलीवरी होती थी, ठीक उसी प्रकार से कोरोना काल में भी यही संख्या बरकरार रही. उन्होंने बताया कि कोरोना के दौरान महिलाओं ने प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के कारण सरकारी अस्पतालों में इलाज कराया है. यहां पर सुविधाओं के साथ उन्हें बेहतरीन इलाज भी मिला है.

इसे भी पढ़ें: कोरोना महामारी ने बदल दिया अंतिम संस्कार का नियम, हिंदू-ईसाई समुदाय अपना रहे ये तरीके

प्राइवेट अस्पताल वसूलते हैं मनमाना शुल्क
गौरतलब हो कि सरकारी अस्पताल से 2 से तीन गुना ज्यादा रकम निजी अस्पतालों के द्वारा वसूला जाता है. सामान्य सर्जरी का सरकारी अस्पताल में शुल्क 500 या हजार रुपये है तो निजी अस्पताल में उसके लिए 10 हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक शुल्क चार्ज किया जाता है. इसके साथ ही यदि गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की बात करं तो सरकारी अस्पताल में जहां महिलाओं की डिलीवरी नि:शुल्क होती हैं तो वहीं प्राइवेट अस्पताल में नॉर्मल डिलीवरी के लिए 15 हजार से 20 हजार व सर्जरी सर्जिकल डिलीवरी के लिए 25 हजार से 50 हजार तक चार्ज लिया जाता है.

महिला अस्पताल में हुई सर्जरी की संख्या

  • नवम्बर - 174
  • दिसंबर - 146
  • जनवरी - 167
  • फरवरी - 147
  • मार्च - 169
  • अप्रैल - 144
  • मई - 136

वाराणसी: शासन-प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद भी निजी अस्पतालों की मनमानी कम नहीं हो रही है, जिसका नतीजा यह हुआ कि लोगों का रुझान अब सरकारी अस्पतालों की ओर बढ़ रहा है. कोरोना काल में प्राइवेट अस्पतालों की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों में लोगों ने अपना इलाज कराया है, जिसके कारण सरकारी अस्पतालों में सर्जरियों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी, उनकी सर्जरी या फिर साधारण सर्जरी की बात करें, सभी की संख्या में इजाफा हुआ है. आइए जानते हैं कि सरकारी अस्पतालों में सर्जरी और मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं की क्या स्थिति है...

स्पेशल रिपोर्ट...

'मरीजों को सुरक्षित रखना पहला कर्तव्य'
ईटीवी भारत से बातचीत में एसएसपीजी मंडलीय अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर रवि सिंह ने बताया कि कोरोना काल में सर्जरियों की संख्या बढ़ी है. हर दिन 4 से 7 सर्जरी बड़ी छोटी मिलाकर एक सर्जन के द्वारा संपन्न की जाती है. यदि महीने की बात करें तो 1 महीने में 100 से ज्यादा सर्जरी यहां होती हैं. हालांकि कोरोना काल के दौरान ओपीडी बंद होने के कारण मरीजों को थोड़ी समस्याएं जरूर होती है, लेकिन इस समय भी हम फोन के माध्यम से मरीजों को परामर्श देकर उनका इलाज करते हैं. यदि बेहद जरूरी कोई सर्जरी होती है तो इमरजेंसी में उनकी सर्जरी करते हैं. हमारा सबसे पहला कर्तव्य यही है कि हम मरीज को सुरक्षित रखें.

health facilities in varanasi government hospitals
मरीजों की अच्छे से की जाती है देखभाल.

'डॉक्टर जी जान से मरीजों का कर रहे इलाज'
अस्पताल में मौजूद सुविधाओं के बाबत डॉक्टर रवि ने बताया कि यहां पर सर्जन की कमी जरूर है, क्योंकि यह मंडलीय अस्पताल है और यहां आसपास के जिलों से भी मरीज अपना इलाज कराने के लिए आते हैं. इस लिहाज से मरीजों की अपेक्षा डॉक्टरों की संख्या यहां कम है, लेकिन उसके बावजूद भी हम सब जी जान से मरीज का इलाज करते हैं. कभी-कभी जब सर्जरी की संख्या बढ़ जाती है तो कुछ सर्जरियां पेंडिंग भी रह जाती है. लेकिन हम सब मिलकर उन मरीजों को भी देखकर उनका इलाज करते हैं. स्टाफ के बाबत उन्होंने बताया कि स्टाफ कम थोड़े जरूर हैं, लेकिन यहां पर सभी लोग बहुत कोऑपरेटिव हैं. सभी के सहयोग से यहां हर मरीज का इलाज हो जाता है.

health facilities in varanasi government hospitals
वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर रवि सिंह.

'आधुनिक उपकरणों की है जरूरत'
डॉक्टर रवि ने बताया कि अस्पताल में कुछ आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां दूरबीन के उपकरण नहीं हैं. अगर हमें दूरबीन उपकरण व अन्य आधुनिक सुविधाएं मिल जाए तो यहां मरीजों का इलाज करना और ज्यादा आसान हो जाएगा. क्योंकि यहां मरीज बहुत उम्मीद से आते हैं, जिससे कम खर्च में उनका इलाज हो सके और उन्हें बेहतरीन सुविधा मिल सके. इस बाबत हमारे सीएमएस के द्वारा उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है. हमें उम्मीद है कि भविष्य में हमें इन उपकरणों की सुविधा मिल जाएगी.

health facilities in varanasi government hospitals
महिला अस्पताल की सीएमएस डॉक्टर लिली श्रीवास्तव.

'कोरोना काल में भी नहीं रुकी डिलीवरी'
महिला अस्पताल की प्रभारी डॉक्टर लिली श्रीवास्तव बताती हैं कि सामान्य दिनों के साथ-साथ कोरोना महामारी में भी महिला अस्पताल में सामान्य व सर्जिकल दोनों डिलीवरी की संख्या में कोई कमी नहीं देखने को मिली हैं. हमारे यहां जिस प्रकार सामान्य दिनों में नॉर्मल और सर्जिकल मिलाकर 300 डिलीवरी होती थी, ठीक उसी प्रकार से कोरोना काल में भी यही संख्या बरकरार रही. उन्होंने बताया कि कोरोना के दौरान महिलाओं ने प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के कारण सरकारी अस्पतालों में इलाज कराया है. यहां पर सुविधाओं के साथ उन्हें बेहतरीन इलाज भी मिला है.

इसे भी पढ़ें: कोरोना महामारी ने बदल दिया अंतिम संस्कार का नियम, हिंदू-ईसाई समुदाय अपना रहे ये तरीके

प्राइवेट अस्पताल वसूलते हैं मनमाना शुल्क
गौरतलब हो कि सरकारी अस्पताल से 2 से तीन गुना ज्यादा रकम निजी अस्पतालों के द्वारा वसूला जाता है. सामान्य सर्जरी का सरकारी अस्पताल में शुल्क 500 या हजार रुपये है तो निजी अस्पताल में उसके लिए 10 हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक शुल्क चार्ज किया जाता है. इसके साथ ही यदि गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की बात करं तो सरकारी अस्पताल में जहां महिलाओं की डिलीवरी नि:शुल्क होती हैं तो वहीं प्राइवेट अस्पताल में नॉर्मल डिलीवरी के लिए 15 हजार से 20 हजार व सर्जरी सर्जिकल डिलीवरी के लिए 25 हजार से 50 हजार तक चार्ज लिया जाता है.

महिला अस्पताल में हुई सर्जरी की संख्या

  • नवम्बर - 174
  • दिसंबर - 146
  • जनवरी - 167
  • फरवरी - 147
  • मार्च - 169
  • अप्रैल - 144
  • मई - 136
Last Updated : May 24, 2021, 1:18 PM IST
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