वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी के हस्तशिल्पियों के दिन अब बदलने वाले हैं. काशी को 2 करोड़ 80 लाख रुपये की ”इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एंड प्रमोशन ऑफ हैंडीक्राफ्ट ऑफ वाराणसी” बड़ी परियोजना की सौगात मिली है.
गौरतलब है कि वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल द्वारा लॉकडाउन के दौरान बनारस के हस्तशिल्पियों की बेहतरी और उनके विकास के लिए परियोजना का प्रस्ताव बनाकर भारत सरकार को भेजा गया था. इस परियोजना को सोमवार को हुई बैठक में हरी झंडी दे दी गई है. ये बैठक भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त हस्तशिल्प के चेयरमैन/सचिव रवि कपूर की अध्यक्षता में सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुआ.
बैठक के दौरान चेयरमैन रवि कपूर ने दशहरा के तत्काल बाद इस कार्यक्रम को शुरू किए जाने का निर्देश दिया है. इस परियोजना से बनारस एवं आसपास के क्षेत्र के लकड़ी खिलौना, पत्थर, धातु पर चित्रकारी, गुलाबी मीनाकारी, ब्लैक क्रोकरी, जुट वॉल हैंगिंग, पंजा दरी एवं ग्लास बीड्स से संबंधित शिल्पी एवं कारीगर लाभान्वित होंगे. कार्यक्रम की मॉनिटरिंग स्वयं कमिश्नर दीपक अग्रवाल करेंगे. उन्होंने कार्यक्रम की गुणवत्ता एवं समयपूर्ण तरीके से कार्यक्रम को मानक के अनुरूप संपादित करने के लिए संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश कुमार सिंह को नोडल अधिकारी नामित किया है.
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने इस "इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एंड प्रमोशन ऑफ हैंडीक्राफ्ट ऑफ वाराणसी" परियोजना के संबंध में विस्तार से अवगत कराते हुए बताया कि कोरोना काल के दौरान वाराणसी के हस्तशिल्पियों के बेहतरी एवं उनके विकास के लिए 02 करोड़ 80 लाख के इस परियोजना को भारत सरकार को भेजा गया था, जिसे आज मंजूरी दे दी गई. परियोजना के अंतर्गत 2000 हस्तशिल्पियों को आधुनिक टूलकिट्स उपलब्ध कराया जाएगा. 1200 शिल्पियों को विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम द्वारा आच्छादित किया जाएगा. निश्चित रूप से कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन के कारण हस्तशिल्प उद्योग में आये मंदी से उबरने में यह परियोजना हस्तशिल्पियों को नया जीवन दान देगा.
हस्तशिल्पियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान दो-दो माह का "डिजाइन एंड टेक्निकल अपग्रेडेशन" व "ट्रेनिंग इन क्राफ्ट स्किल अपग्रेडेशन" तथा पांच दिवसीय "सॉफ्ट स्किल अपग्रेडेशन" वर्कशॉप आयोजित किया जाएगा. इसके अलावा हस्तशिल्पियों के प्रोडक्ट के फोटोग्राफ के द्वारा कैटलॉग तैयार कर उसका प्रचार-प्रसार भी कराया जाएगा.
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि परियोजना की संपूर्ण अवधि 6 माह है. 6 माह के अंदर संपूर्ण कार्यक्रम को क्रियान्वित कराते हुए बनारस एवं आसपास के हस्तशिल्पियों को योजना से आच्छादित करते हुए उन्हें लाभान्वित किया जाएगा. यह परियोजना यहां के हस्तशिल्पियों को अपने उद्योगों को विस्तार देने में निश्चित रूप से मील का पत्थर साबित होगा.