वाराणसी: भाजपा के गढ़ में सेंधमारी करने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा अपने तीन दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंची हैं, जहां वह कबीर मठ में आश्रय ली हुई हैं. प्रियंका के कबीर मठ में ठहरने को लेकर के सियासत भी गर्म है. ऐसा कहा जा रहा है कि कबीर मठ में रहकर प्रियंका एक बड़ा राजनीतिक संदेश देते हुए दलित वोट बैंक को साध रही है. बता दें कि प्रियंका बुधवार को अपने तीन दिवसीय दौरे पर वाराणसी के कबीर मठ पहुंची थी. कबीर मठ में संत कबीर दास ने अपना पूर्ण जीवन व्यतीत किया था. यह मठ कबीरपंथियों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है. कहा जाता है कि 1934 में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, रवींद्रनाथ टैगोर समेत कई अन्य दिग्गजों ने यहां अपना डेरा डाला था और यही प्रवास करके रणनीति बनाते थे.
हालांकि प्रियंका के इस मठ में रुकने को लेकर कई सारे कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं, मठ के महंत विवेक दास जी महाराज ने बताया कि गांधी व कांग्रेस का मठ से गहरा लगाव रहा है. आजादी के समय में यही रणनीति बनाई जाती थी. यह मठ आजादी का प्रतीक माना जाता है. प्रियंका भी अपने पूर्वजों से मिले संस्कार का निर्वहन कर रही हैं और इस मठ में रुकी हुई हैं. उन्होंने बताया कि प्रियंका ने इस मठ में आश्रय लेने की इच्छा जाहिर की और कहा कि वो बिल्कुल साधारण जीवन व्यतीत करना चाहती हैं. जिसके बाद से वो मठ में रह रही हैं.
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मठ से प्रियंका दे रही बड़ा सियासी संदेश
राजनीतिक पंडितों की मानें तो संत कबीर दलित एवं अति पिछड़े वर्ग के लोगों से जुड़ाव रखते हैं और उत्तर प्रदेश के सातवें चरण के चुनाव में दलितों की संख्या अच्छी खासी है. इसलिए प्रियंका दलित वोट बैंक को साधने के लिए कबीर मठ को अपना सियासी ठिकाना बनाए हुए हैं. क्योंकि प्रियंका लगातार दलितों को लेकर संघर्ष कर रही हैं तो निश्चित तौर पर आश्रम में रहना भी उनको सियासी लाभ दे सकता है.
मशहूर हस्ती व पद्म पुरस्कार विजेताओं का है घर
बता दें कि कबीर चौरा मठ बनारस के सबसे प्राचीन व सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए है. जी हा मठ के आसपास बनारसी घराने के तमाम दिग्गज पद्मश्री, पद्मभूषण पुरस्कार विजेताओं का घर है. यहीं से बनारस की संगीत के संस्कृति फल-फूल रही है. ऐसे में प्रियंका आसपास की गलियों में जाकर के उन लोगों से मिल रही हैं, बातचीत कर रही हैं. यहां से प्रियंका पूरे देश को एक सांस्कृतिक संकेत भी दे रही हैं.
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