वाराणसी: बनारस में सिर्फ जिले से नहीं बल्कि दूसरे राज्यों और आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में दाह संस्कार के लिए शव लाए जाते हैं. लिहाजा महाश्मशान मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर शवों के दाह संस्कार के लिए व्यवस्था को बेहतर करने का कार्य किया जा रहा है.
कोरोना महामारी के दौर में संक्रमित शवों को जलाने के लिए हरिश्चंद्र घाट पर मौजूद प्राकृतिक गैस शवदाह गृह ने बेहतर तरीके से कार्य किया और कम पैसे में ही बहुत से जरूरतमंदों को इसका लाभ भी मिला, लेकिन इकलौता इलेक्ट्रॉनिक शवदाह गृह होने की वजह से दिक्कतें ज्यादा हुईं. यही वजह है कि अब मणिकर्णिका घाट पर भी विद्युत शवदाहगृह को बनाए जाने की तैयारी की जा रही है. जिसे लेकर कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने आला अधिकारियों के साथ मौके का मुआयना किया और जगह का निर्धारण भी.
अब तक सिर्फ हरिश्चंद्र घाट पर थी व्यवस्था
दरअसल, मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार की बेहतर व्यवस्था देने के लिए श्मशान को बड़े ही हाईटेक तरीके से तैयार कराया जा रहा है, क्योंकि मणिकर्णिका घाट से सटे जला सेन घाट से ही विश्वनाथ कॉरिडोर की शुरुआत होनी है. यही वजह है कि घाट की सुंदरता के साथ ही यहां आने वाले शवों के दाह संस्कार के लिए लकड़ी के साथ ही विद्युत शवदाह गृह की व्यवस्था करने की प्लानिंग की गई है.
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कमिश्नर ने लिया जायजा
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने मणिकर्णिका घाट पहुंचकर विद्युत शवदाह गृह बनाए जाने के कार्य को तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने निर्धारित जगह पर विद्युत शवदाह गृह का काम जल्द शुरू करने के लिए कहा है. फिलहाल अभी मणिकर्णिका घाट पर शवों का दाह संस्कार लकड़ी की चिताओं पर किया जाता है, लेकिन जल्द ही हरिश्चंद्र घाट की तरह यहां पर भी यह सुविधा उपलब्ध होगी.
हालांकि हरिश्चंद्र घाट पर बनाए गए विद्युत शवदाह गृह को अब वर्तमान समय में प्राकृतिक गैस में कन्वर्ट किया जा चुका है और यहां पर दाह संस्कार गैस के जरिए संपन्न होता है. मणिकर्णिका घाट पर विद्युत शवदाह गृह बनाए जाने का काम जल्द शुरू होगा जिससे दूरदराज से आने वाले लोगों को शब्दा में परेशानी नहीं होगी.