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अब डिजिटल हुआ डाकघर, मिल रही अनेकों सुविधाएं

डाक विभाग ने समय के साथ सदैव खुद को अपडेट किया है. बदलते वक्त के साथ इस विभाग का स्वरूप भी बदल गया है. पहले डाक विभाग चिट्ठी वितरित करने का काम करता था, लेकिन आज डाक विभाग और उसका कार्य क्षेत्र काफी बड़ा हो गया है. वर्तमान में डाक विभाग और कॉरपोरेट डाक और बिजनेस डाक के रूप में काम कर रहा है.

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Published : Dec 3, 2020, 11:04 PM IST

डिजिटल हुआ डाकघर
डिजिटल हुआ डाकघर

वाराणसी: डाक विभाग का नाम आते ही जहन में पुरानी संरचना सबसे पहले आती है. क्योंकि डाक विभाग एक ऐसा विभाग है जो ब्रिटिश विरासत है. 1 अक्टूबर 1854 में लॉर्ड डलहौजी के समय डाक विभाग की स्थापना हुई थी. अब डाक विभाग 166 साल का हो गया है. पहले डाक विभाग महज पत्र भेजने का ही एक जरिया था, लेकिन बदलते वक्त के साथ आज डाक विभाग बैंकिंग, बीमा,पासपोर्ट, रेल टिकट, आधार आदि सुविधाएं आमजन को दे रहा है. डाक विभाग ने खुद को बदलते वक्त के साथ आधुनिकता के परिवेश में ढाल लिया है. आमजनों की सुविधाओं के लिए हर दिन डाक विभाग एक नई पहल कर रहा है. अब डाक विभाग पूरी तरह से डिजिटल हो गया है और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोगों को तमाम सेवाएं दे रहा है. इन दिनों डाक विभाग में किस प्रकार से काम किया जा रहा है. क्या-क्या सुविधाएं आमजन को मिल रही है. इसे लेकर के ईटीवी भारत की टीम ने विभाग के आला अधिकारियों से बातचीत की और सुविधाओं के बारे में जाना.

डिजिटल हुआ डाकघर.
वाराणसी परिक्षेत्र में हैं कुल 1,699 डाकघर
वाराणसी परिक्षेत्र में कुल 1,699 डाकघर हैं. जिनमें से 6 प्रधान डाकघर हैं और 268 उप डाकघर और 1,425 शाखा डाकघर हैं. इनमे यदि बचत खातों की बात करें तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर परिक्षेत्र में लगभग 36 लाख बचत खाते हैं. जहां सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 1 लाख 68 हजार खाते हैं तो वहीं इंडिया पोस्ट पेमेंट के तहत लगभग तीन लाख खाते खोले गए हैं. इसके साथ ही डाक विभाग हर वर्ष स्मारक डाक टिकट जारी करता है. यह राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय विषयों पर आधारित होते हैं जो कि लिमिटेड एडिशन में होते हैं. खुद को आधुनिक दौर में रखने के लिए डाक विभाग लगातार ऐसे प्रयास किए जा रहा हैं. लॉकडाउन में भी उसने तमाम ऐसे प्रयास किए जिससे कि डाक विभाग से काफी संख्या में लोग जुड़े.
डाक विभाग द्वारा जारी डाक  टिकट.
डाक विभाग द्वारा जारी डाक टिकट.
मिल रही है डिजिटल बैंकिंग सर्विस
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि डाक विभाग ने समय के साथ सदैव खुद को अपडेट किया है. बदलते वक्त के साथ इस विभाग का स्वरूप भी बदल गया है. पहले डाक विभाग चिट्ठी वितरित करने का काम करता था, लेकिन आज डाक विभाग और उसका कार्य क्षेत्र काफी बड़ा हो गया है. वर्तमान में डाक विभाग और कॉरपोरेट डाक और बिजनेस डाक के रूप में काम कर रहा है. पोस्ट ऑफिस में पहले डाकिया होते थे, लेकिन अब डाकिया बैंकर के रूप में भी काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अब डाक विभाग पत्र भी मोबाइल के द्वारा ऑनलाइन ही पहुंचा रहा है, जिससे कि लोग ज्यादा परेशानी ना हो.

कोरोना काल में किया बेहतर काम

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही अन्य तकनीकों के तहत लोग पोस्ट की लोकेशन देख सकते हैं कि पोस्ट की लोकेशन क्या है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कोरोना काल में पोस्ट विभाग ने आधार इनेबल सर्विस को और बेहतर तरीके से चलाया. यदि किसी का खाता इंडियन पोस्ट बैंक में नहीं है तो वह भी पैसे विड्रा कर सकता है. जिसके तहत लॉकडाउन में एक अरब 83 करोड़ 67 लाख रुपये लोगों के घर तक पहुंचाए गए. इसके साथ ही एक करोड़ 21 हजार 640 लोगों के इंडिया पोस्टल बैंक में खाते खुलवाए और आमजन तक तमाम सुविधाएं पहुंचाई गयी. जिससे कि उन्हें कोई भी दिक्कत ना हो.

आमजन को जोड़ने के लिए चलाया जा रहा जागरूकता अभियान
कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि लगातार पोस्ट ऑफिस से आमजन को जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है. समय-समय पर कैंप लगाया जाता है. लोगों का खाते खुलवाए जाते हैं और उन्हें पोस्ट ऑफिस में मिलने वाली सुविधाओं से अवगत कराया जाता है जिससे कि वह जानकारी के अभाव में उन सुविधाओं से वंचित न रह सकें. कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि उनकी पूरी कोशिश है कि हम आधुनिक परिवेश में पोस्ट ऑफिस को और आधुनिक बना सकें, जिससे कि आमजन तक हम सहजता से पहुंच सकें और आमजन सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठा सकें.

वाराणसी: डाक विभाग का नाम आते ही जहन में पुरानी संरचना सबसे पहले आती है. क्योंकि डाक विभाग एक ऐसा विभाग है जो ब्रिटिश विरासत है. 1 अक्टूबर 1854 में लॉर्ड डलहौजी के समय डाक विभाग की स्थापना हुई थी. अब डाक विभाग 166 साल का हो गया है. पहले डाक विभाग महज पत्र भेजने का ही एक जरिया था, लेकिन बदलते वक्त के साथ आज डाक विभाग बैंकिंग, बीमा,पासपोर्ट, रेल टिकट, आधार आदि सुविधाएं आमजन को दे रहा है. डाक विभाग ने खुद को बदलते वक्त के साथ आधुनिकता के परिवेश में ढाल लिया है. आमजनों की सुविधाओं के लिए हर दिन डाक विभाग एक नई पहल कर रहा है. अब डाक विभाग पूरी तरह से डिजिटल हो गया है और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोगों को तमाम सेवाएं दे रहा है. इन दिनों डाक विभाग में किस प्रकार से काम किया जा रहा है. क्या-क्या सुविधाएं आमजन को मिल रही है. इसे लेकर के ईटीवी भारत की टीम ने विभाग के आला अधिकारियों से बातचीत की और सुविधाओं के बारे में जाना.

डिजिटल हुआ डाकघर.
वाराणसी परिक्षेत्र में हैं कुल 1,699 डाकघर
वाराणसी परिक्षेत्र में कुल 1,699 डाकघर हैं. जिनमें से 6 प्रधान डाकघर हैं और 268 उप डाकघर और 1,425 शाखा डाकघर हैं. इनमे यदि बचत खातों की बात करें तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर परिक्षेत्र में लगभग 36 लाख बचत खाते हैं. जहां सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 1 लाख 68 हजार खाते हैं तो वहीं इंडिया पोस्ट पेमेंट के तहत लगभग तीन लाख खाते खोले गए हैं. इसके साथ ही डाक विभाग हर वर्ष स्मारक डाक टिकट जारी करता है. यह राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय विषयों पर आधारित होते हैं जो कि लिमिटेड एडिशन में होते हैं. खुद को आधुनिक दौर में रखने के लिए डाक विभाग लगातार ऐसे प्रयास किए जा रहा हैं. लॉकडाउन में भी उसने तमाम ऐसे प्रयास किए जिससे कि डाक विभाग से काफी संख्या में लोग जुड़े.
डाक विभाग द्वारा जारी डाक  टिकट.
डाक विभाग द्वारा जारी डाक टिकट.
मिल रही है डिजिटल बैंकिंग सर्विस
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि डाक विभाग ने समय के साथ सदैव खुद को अपडेट किया है. बदलते वक्त के साथ इस विभाग का स्वरूप भी बदल गया है. पहले डाक विभाग चिट्ठी वितरित करने का काम करता था, लेकिन आज डाक विभाग और उसका कार्य क्षेत्र काफी बड़ा हो गया है. वर्तमान में डाक विभाग और कॉरपोरेट डाक और बिजनेस डाक के रूप में काम कर रहा है. पोस्ट ऑफिस में पहले डाकिया होते थे, लेकिन अब डाकिया बैंकर के रूप में भी काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अब डाक विभाग पत्र भी मोबाइल के द्वारा ऑनलाइन ही पहुंचा रहा है, जिससे कि लोग ज्यादा परेशानी ना हो.

कोरोना काल में किया बेहतर काम

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही अन्य तकनीकों के तहत लोग पोस्ट की लोकेशन देख सकते हैं कि पोस्ट की लोकेशन क्या है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कोरोना काल में पोस्ट विभाग ने आधार इनेबल सर्विस को और बेहतर तरीके से चलाया. यदि किसी का खाता इंडियन पोस्ट बैंक में नहीं है तो वह भी पैसे विड्रा कर सकता है. जिसके तहत लॉकडाउन में एक अरब 83 करोड़ 67 लाख रुपये लोगों के घर तक पहुंचाए गए. इसके साथ ही एक करोड़ 21 हजार 640 लोगों के इंडिया पोस्टल बैंक में खाते खुलवाए और आमजन तक तमाम सुविधाएं पहुंचाई गयी. जिससे कि उन्हें कोई भी दिक्कत ना हो.

आमजन को जोड़ने के लिए चलाया जा रहा जागरूकता अभियान
कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि लगातार पोस्ट ऑफिस से आमजन को जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है. समय-समय पर कैंप लगाया जाता है. लोगों का खाते खुलवाए जाते हैं और उन्हें पोस्ट ऑफिस में मिलने वाली सुविधाओं से अवगत कराया जाता है जिससे कि वह जानकारी के अभाव में उन सुविधाओं से वंचित न रह सकें. कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि उनकी पूरी कोशिश है कि हम आधुनिक परिवेश में पोस्ट ऑफिस को और आधुनिक बना सकें, जिससे कि आमजन तक हम सहजता से पहुंच सकें और आमजन सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठा सकें.

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