वाराणसी: कोविड-19 की इस दूसरी लहर ने शहर में विकास कार्यों पर ब्रेक लगा दिया है. कई राज्यों में कंप्लीट लॉकडाउन है. वहीं यूपी में भी आंशिक लॉकडाउन का अच्छा खासा असर देखने को मिला है. लॉकडाउन की वजह से एक तरफ जहां लोगों की जीविका पर गहरा प्रभाव पड़ा है, तो वहीं प्रदेश में चल रहे तमाम विकास कार्यों की रफ्तार भी धीमी हुई है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस सेकेंड वेब का असर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चल रहे उनके ड्रीम प्रोजेक्ट पर भी पड़ा है.
प्रोजेक्ट से जुड़े कई अधिकारी-कर्मचारी संक्रमित
पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट यानी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में तैयार होने वाला विश्वनाथ धाम यानी विश्वनाथ कॉरिडोर प्लानिंग के मुताबिक यहां का काम इस साल अगस्त के महीने में पूरा हो जाना था. लेकिन कई मजदूरों के अलावा इस प्रोजेक्ट से जुड़े कई अधिकारियों के संक्रमित होने की वजह से अब इस काम में देरी होगी. खुद कमिश्नर दीपक अग्रवाल का मानना है कि पीएम मोदी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट इस साल के अंत तक पूरा होगा, जिसे अगस्त 2021 में ही पूरा हो जाना था.
अब तक 55 प्रतिशत कार्य पूर्ण
इस बारे में कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि कोविड-19 की सेकंड लहर में विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण कार्य पर भी असर पड़ा है. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि काम की रफ्तार धीमी हुई है. उन्होंने यह माना कि काम बंद नहीं हुआ है लेकिन मजदूरों की कम हुई संख्या की वजह से काम बहुत ही धीमी गति से आगे बढ़ रहा है. अब तक लगभग 55 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है.
कम हो गई मजदूरों की संख्या
कमिश्नर का कहना है कि वर्तमान समय में 500 मजदूर पीएम मोदी के इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं, जबकि पहले लगभग एक हजार से ज्यादा मजदूरों को तीन अलग-अलग शिफ्ट में काम पर लगाया गया था. जिसकी वजह से काम तेजी से आगे बढ़ रहा था लेकिन संक्रमण की इस भीषण परिस्थिति में कई प्रोजेक्ट से जुड़े लोग भी संक्रमित हो गए और बड़ी संख्या में मजदूर डर के चलते अपने घरों की ओर चले गए. जिसका बड़ा प्रभाव कॉरिडोर के निर्माण कार्य में पड़ा है.
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'टारगेट था सेट लेकिन...'
कमिश्नर दीपक अग्रवाल का मानना है कि लगभग 50 हजार वर्ग मीटर से बड़े एरिया में तैयार हो रहे इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में अब थोड़ा वक्त लगेगा. कमिश्नर ने साफ तौर पर कहा है कि अगस्त तक इस प्रोजेक्ट का टारगेट था, लेकिन कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से अब यह प्रोजेक्ट अक्टूबर या फिर 2021 के अंतिम महीने तक पूरा हो सकेगा.