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वाराणसी के कैंसर हॉस्पिटल में प्लेटलेट रजिस्ट्री की हुई शुरुआत - कैंसर हॉस्पिटल में प्लेटलेट रजिस्ट्री की हुई शुरुआत

यूपी के वाराणसी में होमी भाभा कैंसर अस्पताल और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र के डॉक्टर्स ने प्लेटलेट रजिस्ट्री की शुरुआत की है. जिसका उद्देश्य जरूरत पड़ने पर अस्पताल में इलाज ले रहे कैंसर मरीजों को सही समय पर प्लेटलेट उपलब्ध कराना है.

रक्तदान.
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Published : Feb 14, 2021, 2:26 PM IST

वाराणसी: किसी भी इंसान के लिए खून और इसके घटक खासकर प्लेटलेट बेहद जरूरी हो जाते हैं. बात जब कैंसर मरीजों की हो इसकी भूमिका और भी ज्यादा बढ़ जाती है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए होमी भाभा कैंसर अस्पताल और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र के डॉक्टर्स ने प्लेटलेट रजिस्ट्री की शुरुआत की है. जिसका उद्देश्य जरूरत पड़ने पर अस्पताल में इलाज ले रहे कैंसर मरीजों को सही समय पर प्लेटलेट उपलब्ध कराना है. इस रजिस्ट्री से अब तक दोनों अस्पतालों के 110 से अधिक कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से जुड़ चुके हैं, जिनमें 35 डॉक्टर्स शामिल हैं.

होती है काफी समस्या
कैंसर मरीजों खासकर ब्लड कैंसर और हेमाटोलिंफाइड मालिगनेंसी के मरीजों को नियमित रूप से प्लेटलेट की जरूरत पड़ती है. इसके लिए समय-समय पर शिविर का आयोजन किया जाता है, लेकिन मरीजों की संख्या की तुलना में फिलहाल यह नाकाफी साबित हो रहा हैं. ऐसे में मरीजों के इलाज में प्लेटलेट्स की कमी बाधा न बने. इसके लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र के रक्त आधान चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. अक्षय बत्रा और डॉ. सिद्धार्थ मित्तल ने अस्पताल के दूसरे डॉक्टरों के साथ मिलकर प्लेटलेट रजिस्ट्री की शुरुआत की है.

कीमो के बाद पड़ती है जरूरत
डॉ. बत्रा ने बताया कि ब्लड कैंसर समेत हेमाटोलिंफाइड मालिगनेंसी के मरीजों को कीमोथेरेपी देने के बाद उनकी प्लेटलेट्स कम हो जाती है. इसलिए उन्हें प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. फिलहाल अस्पताल में होने वाले प्लेटलेट डोनेशन से मरीजों की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है. इसलिए रजिस्ट्री बनाई गई है, इसमें अस्पताल के कर्मचारी खास तौर पर डॉक्टर्स जुड़कर जरूरतमंद मरीजों को समय पर प्लेटलेट उपलब्ध करा रहे हैं.

प्लेटलेट डोनेशन में जागरूकता की कमी
डॉ. बत्रा का कहना है कि प्लेटलेट डोनेशन काफी सुरक्षित प्रक्रिया है और इसके कई फायदे भी हैं. 6 लोगों द्वारा होम ब्लड देने पर जितना प्लेटलेट मिलता है. उतना केवल एक इंसान द्वारा सिर्फ प्लेटलेट डोनेशन करने पर प्लेटलेट मिल जाता है. हालांकि प्लेटलेट डोनेशन को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी होने के कारण कई बार लोग इसके लिए आगे नहीं आते. यही कारण है कि अगर अस्पताल में 5 मरीज भर्ती होते हैं तो केवल 2 मरीजों को ही समय पर प्लेटलेट उपलब्ध हो पाती है. जबकि बाकी तीन मरीजों के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. कैंसर मरीजों के हित को देखते हुए समाज के अन्य लोगों को भी सुरक्षित प्लेटलेट डोनेशन के लिए आगे आने की जरूरत है.

वाराणसी: किसी भी इंसान के लिए खून और इसके घटक खासकर प्लेटलेट बेहद जरूरी हो जाते हैं. बात जब कैंसर मरीजों की हो इसकी भूमिका और भी ज्यादा बढ़ जाती है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए होमी भाभा कैंसर अस्पताल और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र के डॉक्टर्स ने प्लेटलेट रजिस्ट्री की शुरुआत की है. जिसका उद्देश्य जरूरत पड़ने पर अस्पताल में इलाज ले रहे कैंसर मरीजों को सही समय पर प्लेटलेट उपलब्ध कराना है. इस रजिस्ट्री से अब तक दोनों अस्पतालों के 110 से अधिक कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से जुड़ चुके हैं, जिनमें 35 डॉक्टर्स शामिल हैं.

होती है काफी समस्या
कैंसर मरीजों खासकर ब्लड कैंसर और हेमाटोलिंफाइड मालिगनेंसी के मरीजों को नियमित रूप से प्लेटलेट की जरूरत पड़ती है. इसके लिए समय-समय पर शिविर का आयोजन किया जाता है, लेकिन मरीजों की संख्या की तुलना में फिलहाल यह नाकाफी साबित हो रहा हैं. ऐसे में मरीजों के इलाज में प्लेटलेट्स की कमी बाधा न बने. इसके लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र के रक्त आधान चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. अक्षय बत्रा और डॉ. सिद्धार्थ मित्तल ने अस्पताल के दूसरे डॉक्टरों के साथ मिलकर प्लेटलेट रजिस्ट्री की शुरुआत की है.

कीमो के बाद पड़ती है जरूरत
डॉ. बत्रा ने बताया कि ब्लड कैंसर समेत हेमाटोलिंफाइड मालिगनेंसी के मरीजों को कीमोथेरेपी देने के बाद उनकी प्लेटलेट्स कम हो जाती है. इसलिए उन्हें प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. फिलहाल अस्पताल में होने वाले प्लेटलेट डोनेशन से मरीजों की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है. इसलिए रजिस्ट्री बनाई गई है, इसमें अस्पताल के कर्मचारी खास तौर पर डॉक्टर्स जुड़कर जरूरतमंद मरीजों को समय पर प्लेटलेट उपलब्ध करा रहे हैं.

प्लेटलेट डोनेशन में जागरूकता की कमी
डॉ. बत्रा का कहना है कि प्लेटलेट डोनेशन काफी सुरक्षित प्रक्रिया है और इसके कई फायदे भी हैं. 6 लोगों द्वारा होम ब्लड देने पर जितना प्लेटलेट मिलता है. उतना केवल एक इंसान द्वारा सिर्फ प्लेटलेट डोनेशन करने पर प्लेटलेट मिल जाता है. हालांकि प्लेटलेट डोनेशन को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी होने के कारण कई बार लोग इसके लिए आगे नहीं आते. यही कारण है कि अगर अस्पताल में 5 मरीज भर्ती होते हैं तो केवल 2 मरीजों को ही समय पर प्लेटलेट उपलब्ध हो पाती है. जबकि बाकी तीन मरीजों के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. कैंसर मरीजों के हित को देखते हुए समाज के अन्य लोगों को भी सुरक्षित प्लेटलेट डोनेशन के लिए आगे आने की जरूरत है.

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