वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक बार फिर माहौल गर्म होता दिख रहा है. क्योंकि बीएचयू ने पीएचडी की प्रवेश परिक्षा में शामिल एससी एसटी और ओबीसी कि सीटों पर कटौती कर आरक्षण की पूरी तरह अनदेखी की है. इतना ही नहीं सामान्य वर्ग की उच्च जातियों के लिए 62 फीसदी से अधिक सीटें आरक्षित कर दी गयी हैं. जिसको लेकर छात्रों में रोष है.
बीएचयू वीसी के खिलाफ सड़कों पर छात्र
- बीएचयू में दर्जनों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने सेंट्रल ऑफिस पर विरोध प्रदर्शन किया.
- वीसी जब छात्रों से मिलने नहीं पहुंचे तो आक्रोशित छात्रों ने कुलपति आवास को घेर लिया और जमकर विरोध प्रदर्शन किया.
- धरनारत छात्रों का कहना है कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी, तब तक हम यहीं विरोध करेंगे और आंदोलन खत्म नहीं करेंगे.
एससी-एसटी और ओबीसी छात्रों के साथ बीएचयू में नाइंसाफी
आंदोलन करने वाले ज्यादातर छात्र शोध छात्र हैं. छात्रों का आरोप है कि बीएचयू में शोध प्रवेश परीक्षा में एससी एसटी और ओबीसी छात्रों के साथ नाइंसाफी कर सीटों में कटौती की गई है. छात्रों ने आरोप लगाए हैं कि अनारक्षित सीट के बहाने बीएचयू सवर्ण जाति के छात्र छात्राओं को शोध में प्रवेश देना चाह रहा है जिसका हम सब विरोध कर रहे हैं.
बीएचयू में शोध प्रकिया प्रवेश में एक अलग सा नियम बनाया गया है. यह पूरी तरह अमर्यादित है. एससी एसटी का जो 49 फीसदी एडमिशन का हक है वह नहीं मिल रहा है. इस गैरकानूनी प्रक्रिया को हम किसी भी तरीके से बीएचयू में नहीं चलने देंगे. हमारी मांग है कि जो भी संविधान नियम के तहत है. उस नियम की तरह एडमिशन लिये जाएं. जो रोस्टर प्रणाली है उसका विश्वविद्यालय प्रशासन अनुपालन करें.
-रविंद्र प्रकाश भारती, शोध छात्र, बीएचयू