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वाराणसी से गहरा था पंडित जसराज का नाता, लोगों ने नम आंखों से दी श्रद्धांजलि

पंडित जसराज के निधन पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी लोग बेहद दुखी हैं. वाराणसी से पंडित जसराज का बहुत गहरा नाता था. वह संकट मोचन संगीत समारोह में प्रतिवर्ष आते थे. वाराणसी के लोगों ने नम आंखों से शास्त्रीय संगीत के महान कलाकार को श्रद्धांजलि दी.

वाराणसी से गहरा था पंडित जसराज का नाता
वाराणसी से गहरा था पंडित जसराज का नाता.
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Published : Aug 18, 2020, 5:06 PM IST

वाराणसी: पद्म विभूषण जसराज मिश्र के निधन की खबर मिलते ही वाराणसी घराने में शोक की लहर दौड़ गई. तमाम बड़े संगीतज्ञ एवं काशी के कला प्रेमियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. इसी क्रम में पद्मश्री प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य ने भी नम आंखों से शास्त्रीय संगीत के महान कलाकार को श्रद्धांजलि दी. बता दें कि पद्म विभूषण जसराज मिश्र ने सोमवार को अमेरिका स्थित अपने आवास में 90 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली.

पंडित जसराज को याद करते पद्मश्री राजेश्वर आचार्य.
महान शास्त्रीय गायक जसराज मिश्र ने 9 अप्रैल को वाराणसी के प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर में फेसबुक लाइव के माध्यम से हाजिरी लगाया था और यही उनका आखिरी कार्यक्रम रहा. प्रत्येक वर्ष होने वाले संकट मोचन संगीत समारोह में जसराज मिश्र हाजिरी लगाया करते थे और बाबा का दर्शन पाया करते थे. देश ही नहीं, बल्कि विदेशी कलाकार आकर बाबा दरबार में हाजिरी लगाते हैं.


उनके जानने वालों ने बताया कि पंडित जसराज ने एक बार मंच से बताया था कि जब उन्होंने शास्त्रीय गायन प्रारंभ किया. तब उनके सपने में भगवान श्रीकृष्ण आए थे और उन्होंने कहा कि जब आप गाते हो तो दिल से गाते हो, जो सीधे मेरे दिल तक पहुंचता है. इसीलिए आप हमेशा दिल से गाया करो. लोगों ने उनके काफी स्मरणों को याद करते हुए उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी.

पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने बताया कि उनका जाना बेहद दुखद है. शताब्दी के शीर्षथ गायकों में पंडित जसराज के गायन माधुर्य से उनको जसराज के साथ उनको रसराज की उपाधि दी गई. शास्त्रीय परंपरा के साथ गंभीरता से उनका गायन अब सुनने को साक्षात नहीं मिलेगा. काशी से उनका बड़ा निकट का नाता रहा है. संकट मोचन संगीत समारोह से ऐसा नाता जूड़ा कि वह प्रतिवर्ष यहां आते थे. उनकी शिष्य परंपरा भी यहां आती है.

वाराणसी: पद्म विभूषण जसराज मिश्र के निधन की खबर मिलते ही वाराणसी घराने में शोक की लहर दौड़ गई. तमाम बड़े संगीतज्ञ एवं काशी के कला प्रेमियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. इसी क्रम में पद्मश्री प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य ने भी नम आंखों से शास्त्रीय संगीत के महान कलाकार को श्रद्धांजलि दी. बता दें कि पद्म विभूषण जसराज मिश्र ने सोमवार को अमेरिका स्थित अपने आवास में 90 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली.

पंडित जसराज को याद करते पद्मश्री राजेश्वर आचार्य.
महान शास्त्रीय गायक जसराज मिश्र ने 9 अप्रैल को वाराणसी के प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर में फेसबुक लाइव के माध्यम से हाजिरी लगाया था और यही उनका आखिरी कार्यक्रम रहा. प्रत्येक वर्ष होने वाले संकट मोचन संगीत समारोह में जसराज मिश्र हाजिरी लगाया करते थे और बाबा का दर्शन पाया करते थे. देश ही नहीं, बल्कि विदेशी कलाकार आकर बाबा दरबार में हाजिरी लगाते हैं.


उनके जानने वालों ने बताया कि पंडित जसराज ने एक बार मंच से बताया था कि जब उन्होंने शास्त्रीय गायन प्रारंभ किया. तब उनके सपने में भगवान श्रीकृष्ण आए थे और उन्होंने कहा कि जब आप गाते हो तो दिल से गाते हो, जो सीधे मेरे दिल तक पहुंचता है. इसीलिए आप हमेशा दिल से गाया करो. लोगों ने उनके काफी स्मरणों को याद करते हुए उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी.

पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने बताया कि उनका जाना बेहद दुखद है. शताब्दी के शीर्षथ गायकों में पंडित जसराज के गायन माधुर्य से उनको जसराज के साथ उनको रसराज की उपाधि दी गई. शास्त्रीय परंपरा के साथ गंभीरता से उनका गायन अब सुनने को साक्षात नहीं मिलेगा. काशी से उनका बड़ा निकट का नाता रहा है. संकट मोचन संगीत समारोह से ऐसा नाता जूड़ा कि वह प्रतिवर्ष यहां आते थे. उनकी शिष्य परंपरा भी यहां आती है.

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