वाराणसी: कोरोना महामारी के दौरान हुए देशव्यापी लॉकडाउन में ब्लड बैंकों में खून की कमी पैदा कर दी. इस बड़े संकट पर ईटीवी भारत में सबसे पहले जिम्मेदारों को चेताते हुए 12 अप्रैल को ब्लड बैंकों में डोनर्स के न पहुंचने के बाद हो रही ब्लड की कमी की खबर प्रमुखता से दिखाया था, जिसके बाद लगातार सामाजिक संस्थाएं, नेता और स्थानीय स्तर पर ब्लड देने वाले लोग खुद से आगे आ रहे हैं. इस क्रम में ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर एक बार फिर हुआ है.
शहर के चितईपुर इलाके में स्थित धर्मवीर नगर कॉलोनी में रहने वाले सामाजिक संस्था और स्थानीय लोगों ने न सिर्फ ब्लड डोनेट किया बल्कि एक ऐसा रास्ता भी लोगों को दिखाया जो यह साफ करता है कि यदि कुछ करने की इच्छा शक्ति हो तो फिर कोई भी रास्ता कठिन नहीं है.
दरअसल ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी की खबर चलाए जाने के बाद वाराणसी में सर सुंदरलाल चिकित्सालय की मोबाइल ब्लड यूनिट शहर में घर-घर कॉलोनी कॉलोनी जाकर अब लोगों से ब्लड इकट्ठा कर रही है. इस काम में चितईपुर इलाके के धरमवीर नगर कॉलोनी के रहने वाले लोगों ने बड़ा योगदान दिया है. इस कॉलोनी के लोगों ने इस मोबाइल ब्लड बैंक यूनिट में 35 से ज्यादा यूनिट डोनेट किए और यह संदेश देने की कोशिश की कि जब भारत किसी तरह के संकट में हो तो देश के लोग पीछे नहीं रह सकते. सबसे बड़ी बात तो यह थी कि यहां ब्लड देने के लिए बाकायदा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए गोले बनाकर लोगों को निर्धारित दूरी पर खड़ा किया गया. सभी लोग यहां खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे.
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इस रक्तदान शिविर में वानप्रस्थ सामाजिक संस्था ने भी बड़ा सहयोग दिया. संस्था से जुड़े राकेश मिड्डा और उनकी टीम ने यहां पहुंचकर न सिर्फ ब्लड डोनेट किया बल्कि इस सामाजिक मुद्दे को लोगों के सामने लाने के लिए ईटीवी भारत का धन्यवाद भी दिया. उन्होंने बताया कि 12 अप्रैल को मैंने ईटीवी भारत पर प्रकाशित इस खबर को देखा, क्योंकि अब तक 55 बार से ज्यादा राकेश खुद ब्लड डोनेट कर चुके हैं. इसलिए उन्होंने उस दिन यह ठान लिया कि वह मोबाइल ब्लड यूनिट अपनी कॉलोनी में बुलवा कर न सिर्फ खुद ब्लड देंगे बल्कि कॉलोनी के लोगों को भी प्रेरित करेंगे. वह बार-बार सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे पर किए जा रहे ईटीवी भारत के प्रयासों की तारीफ भी कर रहे थे.