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काशी में गंगा व वरुणा का रौद्र रूप घटा, अब कीचड़ और गंदगी बनी मुसीबत

वाराणसी में गंगा और वरुणा (water of ganga and varuna) का पानी नीचे उतरने के बाद गंदगी और कीचड़ से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है.

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काशी में गंगा का रौद्र रूप!
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Published : Sep 10, 2022, 5:35 PM IST

वाराणसी: काशी में हर साल 2 से 3 महीने मुसीबत के होते हैं, क्योंकि गंगा के तटीय इलाकों के अलावा वरुणा नदी के उफान पर होने की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन दो-तीन महीने बाद जब पानी नीचे उतर जाता है तो यह समस्या तो कम हो जाती हैं, लेकिन लोगों के सामने घर में पहुंचने और अपने क्षेत्र में सुरक्षित रहने का बड़ा संकट होता है. इसकी बड़ी वजह यह है कि गंगा और वरुणा (water of ganga and varuna) का पानी नीचे उतरने के बाद गंदगी और कीचड़ से लोगों को दो-चार होना पड़ता है. गंगा नदी के किनारे तो मिट्टी आने के बाद इसकी सफाई के लिए नगर निगम की लंबी चौड़ी टीम लग जाती है, सैकड़ों की संख्या में पंप लगाकर मुख्य घाटों की सफाई होती है. इस बार भी हालात कुछ ऐसे ही है.

जी हां रविदास घाट, नमो घाट और अस्सी घाट के अलावा मणिकर्णिका समेत वह सभी घाट जहां पर्यटकों का आना होता है. उनकी सफाई का काम लगभग पूरा हो गया है, लेकिन अभी 84 घाटों में से लगभग 75 से ज्यादा घाट ऐसे बचे हुए हैं, जहां मिट्टी जमी है. सबसे ज्यादा मुसीबत तो वरुणा पार के इलाके में हैं, क्योंकि यहां पर सिर्फ एक दो इलाके में साफ-सफाई के बाद नगर निगम ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है, लेकिन अभी भी वरुणा पार के अंदर वाले मोहल्ले गंदगी और परेशानियों से जूझ रहे हैं. जहां अब तक नगर निगम की टीम तो नहीं पहुंची. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने पहुंचकर लोगों की समस्याओं को जानने की कोशिश की.

जानकारी के देते हुए नगर आयुक्त प्रणय सिंह
दरअसल, वाराणसी के वरुणा पार इलाके में वरुणा का पानी गंगा से ज्यादा परेशानी बढ़ाता है, क्योंकि वरुणा के तटीय इलाकों में लोगों ने बड़ी आबादी बसा दी हैं. गंगा किनारे बड़े-बड़े घर मकान बने हैं और अभी निर्माण का कार्य चल रहा है. यही वजह है कि वह ज्यादा तबाही मचाती है और इस बार भी गंगा के बढ़ने के बाद वरुणा की वजह से लगभग 10,000 से ज्यादा परिवार मुसीबत में पड़े थे. हालांकि अब तो पानी नीचे उतर गया है, लेकिन अभी तमाम इलाके परेशानियों में घिरे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- पितृपक्ष की 11 सितंबर से शुरुआत, आज होगी पूर्णिमा की श्राद्ध

सबसे ज्यादा दिक्कत वरुणा से सटे इलाके के तमाम मोहल्ले में देखने को मिल रही है. यहां पर अभी भी लोगों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां तक नगर निगम की टीम पहुंची ही नहीं है. जब हमने यहां पहुंचकर लोगों से बातचीत की तो लोगों का कहना था कि 6 फीट से ज्यादा पानी लोगों के घरों में था एक मंजिल पूरी डूबी हुई थी. पानी नीचे उतरने के बाद जब स्वतंत्र देव सिंह को यहां निरीक्षण के लिए आना था तब नगर निगम की टीम ने यहां आकर सिर्फ पाउडर का छिड़काव किया था, जबकि साफ सफाई के नाम पर अब तक की जड़ और मिट्टी और कूड़ा करकट यहां पर जमा हुआ है.

हालात ये हैं कि बदबू और मच्छरों के आतंक से लोगों का जीना दुश्वार हो जाता है. शाम होते ही मच्छर व कीट पतंगे लोगों को परेशान करने लगते हैं. क्षेत्रीय लोगों के साथ महिलाओं का कहना है कि लोगों के सामने बड़ी परेशानी है. नगर निगम का कोई अधिकारी नहीं आ रहा है. अपने हाथों से सफाई करनी पड़ रही है और रहने के लिए घर में जद्दोजहद जारी है. डेंगू का डंक हर किसी को सता रहा है, क्योंकि बाढ़ का पानी नीचे उतरने के बाद डेंगू का डंक लोगों को परेशान करने लगते हैं.

यह भी पढ़ें- आगरा में BJP विधायक ने इस लाइब्रेरी का नाम बदलने की उठाई मांग

वहीं, नगर आयुक्त का कहना है कि डेंगू को लेकर स्थिति काफी नियंत्रण में दिखाई दे रही है. बाढ़ का पानी नीचे उतरने के बाद नगर निगम अपने स्तर पर गंगा किनारे मिट्टी की सफाई कर रही है तो भी एंटी लार्वा और फॉगिंग का काम किया जा रहा है, ताकि लोगों को मच्छर से परेशानी ना हो. दावा है कि 75% इलाकों में साफ-सफाई का काम पूरा हो गया है. बता दें कि, हकीकत तो यह है कि तमाम इलाके अभी भी पानी नीचे उतरने के बाद गंदगी और मच्छरों के आतंक से जूझ रहे हैं. नगर निगम के कागज में इन इलाकों को साफ सुथरा कर दिया गया है.

वाराणसी: काशी में हर साल 2 से 3 महीने मुसीबत के होते हैं, क्योंकि गंगा के तटीय इलाकों के अलावा वरुणा नदी के उफान पर होने की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन दो-तीन महीने बाद जब पानी नीचे उतर जाता है तो यह समस्या तो कम हो जाती हैं, लेकिन लोगों के सामने घर में पहुंचने और अपने क्षेत्र में सुरक्षित रहने का बड़ा संकट होता है. इसकी बड़ी वजह यह है कि गंगा और वरुणा (water of ganga and varuna) का पानी नीचे उतरने के बाद गंदगी और कीचड़ से लोगों को दो-चार होना पड़ता है. गंगा नदी के किनारे तो मिट्टी आने के बाद इसकी सफाई के लिए नगर निगम की लंबी चौड़ी टीम लग जाती है, सैकड़ों की संख्या में पंप लगाकर मुख्य घाटों की सफाई होती है. इस बार भी हालात कुछ ऐसे ही है.

जी हां रविदास घाट, नमो घाट और अस्सी घाट के अलावा मणिकर्णिका समेत वह सभी घाट जहां पर्यटकों का आना होता है. उनकी सफाई का काम लगभग पूरा हो गया है, लेकिन अभी 84 घाटों में से लगभग 75 से ज्यादा घाट ऐसे बचे हुए हैं, जहां मिट्टी जमी है. सबसे ज्यादा मुसीबत तो वरुणा पार के इलाके में हैं, क्योंकि यहां पर सिर्फ एक दो इलाके में साफ-सफाई के बाद नगर निगम ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है, लेकिन अभी भी वरुणा पार के अंदर वाले मोहल्ले गंदगी और परेशानियों से जूझ रहे हैं. जहां अब तक नगर निगम की टीम तो नहीं पहुंची. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने पहुंचकर लोगों की समस्याओं को जानने की कोशिश की.

जानकारी के देते हुए नगर आयुक्त प्रणय सिंह
दरअसल, वाराणसी के वरुणा पार इलाके में वरुणा का पानी गंगा से ज्यादा परेशानी बढ़ाता है, क्योंकि वरुणा के तटीय इलाकों में लोगों ने बड़ी आबादी बसा दी हैं. गंगा किनारे बड़े-बड़े घर मकान बने हैं और अभी निर्माण का कार्य चल रहा है. यही वजह है कि वह ज्यादा तबाही मचाती है और इस बार भी गंगा के बढ़ने के बाद वरुणा की वजह से लगभग 10,000 से ज्यादा परिवार मुसीबत में पड़े थे. हालांकि अब तो पानी नीचे उतर गया है, लेकिन अभी तमाम इलाके परेशानियों में घिरे हुए हैं.

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सबसे ज्यादा दिक्कत वरुणा से सटे इलाके के तमाम मोहल्ले में देखने को मिल रही है. यहां पर अभी भी लोगों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां तक नगर निगम की टीम पहुंची ही नहीं है. जब हमने यहां पहुंचकर लोगों से बातचीत की तो लोगों का कहना था कि 6 फीट से ज्यादा पानी लोगों के घरों में था एक मंजिल पूरी डूबी हुई थी. पानी नीचे उतरने के बाद जब स्वतंत्र देव सिंह को यहां निरीक्षण के लिए आना था तब नगर निगम की टीम ने यहां आकर सिर्फ पाउडर का छिड़काव किया था, जबकि साफ सफाई के नाम पर अब तक की जड़ और मिट्टी और कूड़ा करकट यहां पर जमा हुआ है.

हालात ये हैं कि बदबू और मच्छरों के आतंक से लोगों का जीना दुश्वार हो जाता है. शाम होते ही मच्छर व कीट पतंगे लोगों को परेशान करने लगते हैं. क्षेत्रीय लोगों के साथ महिलाओं का कहना है कि लोगों के सामने बड़ी परेशानी है. नगर निगम का कोई अधिकारी नहीं आ रहा है. अपने हाथों से सफाई करनी पड़ रही है और रहने के लिए घर में जद्दोजहद जारी है. डेंगू का डंक हर किसी को सता रहा है, क्योंकि बाढ़ का पानी नीचे उतरने के बाद डेंगू का डंक लोगों को परेशान करने लगते हैं.

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वहीं, नगर आयुक्त का कहना है कि डेंगू को लेकर स्थिति काफी नियंत्रण में दिखाई दे रही है. बाढ़ का पानी नीचे उतरने के बाद नगर निगम अपने स्तर पर गंगा किनारे मिट्टी की सफाई कर रही है तो भी एंटी लार्वा और फॉगिंग का काम किया जा रहा है, ताकि लोगों को मच्छर से परेशानी ना हो. दावा है कि 75% इलाकों में साफ-सफाई का काम पूरा हो गया है. बता दें कि, हकीकत तो यह है कि तमाम इलाके अभी भी पानी नीचे उतरने के बाद गंदगी और मच्छरों के आतंक से जूझ रहे हैं. नगर निगम के कागज में इन इलाकों को साफ सुथरा कर दिया गया है.

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