ETV Bharat / state

कोरोना ने बदला बागवानी का स्टाइल, औषधीय पौधों के कायल हुए बनारसिया

कोरोना के प्रकोप के कारण इस समय वाराणसी के लोग सजावटी पौधे छोड़ औषधीय पौधे लगाने लगे हैं. इसके चलते नर्सरी कारोबारी भी इस बार फलदार और सजावटी पौधों की बजाय औषधीय पौधों की जमकर बिक्री करते दिख रहे हैं.

बदला बागवानी का तरीका
बदला बागवानी का तरीका
author img

By

Published : Jun 25, 2020, 3:25 PM IST

वाराणसी: मानसून की दस्तक के साथ ही नर्सरी कारोबारियों का व्यवसाय गुलजार हो जाता है. मानसून का यह वक्त बागवानी के शौकीनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस मौसम में हमेशा घरों से लेकर बाग-बगीचों तक फलदार वृक्ष, रंग-बिरंगे फूलों के पौधे और सजावटी पौधे लगाने का प्रचलन रहा है, लेकिन इस बार मानसून में बागवानी का यह तरीका बदल गया है. कोरोना वायरस की वजह से घरों से लेकर बाग-बगीचों तक में अब लोग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक औषधीय पौधों को तवज्जो दे रहे हैं, इसीलिए नर्सरी कारोबारी भी इस बार फलदार और सजावटी पौधों की जगह औषधीय पौधों की जमकर बिक्री कर रहे हैं.

बदला बागवानी का तरीका.

औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड
वाराणसी के मंडुवाडीह इलाके के चांदपुर एरिया में नर्सरी का बड़ा कारोबार है. यहां संचालित होने वाली लगभग 24 से ज्यादा नर्सरी सिर्फ वाराणसी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल तक इन पौधों की सप्लाई करती हैं. यहां पर नर्सरी चलाने वाले कई कारोबारियों का कहना है कि कोरोना का लिए आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों की मांग जबरदस्त तरीके से बढ़ गई है. तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, गोल मिर्च, अजवाइन, नीम के पौधे, घृतकुमारी दालचीनी, नींबू घास, पुदीना, ब्राह्मी, मीठी नीम, मेथी, स्टीविया के पौधे बड़ी संख्या में बिक रहे हैं. फलदार पौधों के शौकीन लोग इस समय आम, लीची, अमरूद, जामुन और कई अन्य तरीके के फलों के पौधे अब अपने बाग बगीचों में लगाना पसंद कर रहे हैं.

कई प्रदेशों में भेजे जाते हैं पौधे
नर्सरी संचालकों का कहना है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पौधों को तैयार होने में 70 से 80 दिन लगते हैं. तैयार होने पर इन पौधों को जमीन से निकालकर अलग-अलग रखा जाता है. उसके बाद इन पौधों को मांग के अनुरूप अलग-अलग जिलों समेत कई प्रदेशों में भेजा जा रहा है. इस बार एडवांस में अगली फसल की तैयारी भी की जा रही है. इन पौधों की मांग जबरदस्त होने की वजह से अगले सीजन के लिए बागवानी का दाम भी नर्सरी संचालकों ने बढ़ा दिया है.

बागवानी के शौकीन भी अपने और परिवार को सुरक्षित रखने के लिए इन आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों को बेहद पसंद कर रहे हैं. लोगों की मानें तो अब घर में चाय बनाते वक्त इन आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों की पत्तियों को चाय में डालकर उबाल दिया जाता है और यह चाय सभी को पिलाई जाती है जो इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी बेहतर है.

वाराणसी: मानसून की दस्तक के साथ ही नर्सरी कारोबारियों का व्यवसाय गुलजार हो जाता है. मानसून का यह वक्त बागवानी के शौकीनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस मौसम में हमेशा घरों से लेकर बाग-बगीचों तक फलदार वृक्ष, रंग-बिरंगे फूलों के पौधे और सजावटी पौधे लगाने का प्रचलन रहा है, लेकिन इस बार मानसून में बागवानी का यह तरीका बदल गया है. कोरोना वायरस की वजह से घरों से लेकर बाग-बगीचों तक में अब लोग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक औषधीय पौधों को तवज्जो दे रहे हैं, इसीलिए नर्सरी कारोबारी भी इस बार फलदार और सजावटी पौधों की जगह औषधीय पौधों की जमकर बिक्री कर रहे हैं.

बदला बागवानी का तरीका.

औषधीय पौधों की बढ़ी डिमांड
वाराणसी के मंडुवाडीह इलाके के चांदपुर एरिया में नर्सरी का बड़ा कारोबार है. यहां संचालित होने वाली लगभग 24 से ज्यादा नर्सरी सिर्फ वाराणसी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल तक इन पौधों की सप्लाई करती हैं. यहां पर नर्सरी चलाने वाले कई कारोबारियों का कहना है कि कोरोना का लिए आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों की मांग जबरदस्त तरीके से बढ़ गई है. तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, गोल मिर्च, अजवाइन, नीम के पौधे, घृतकुमारी दालचीनी, नींबू घास, पुदीना, ब्राह्मी, मीठी नीम, मेथी, स्टीविया के पौधे बड़ी संख्या में बिक रहे हैं. फलदार पौधों के शौकीन लोग इस समय आम, लीची, अमरूद, जामुन और कई अन्य तरीके के फलों के पौधे अब अपने बाग बगीचों में लगाना पसंद कर रहे हैं.

कई प्रदेशों में भेजे जाते हैं पौधे
नर्सरी संचालकों का कहना है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पौधों को तैयार होने में 70 से 80 दिन लगते हैं. तैयार होने पर इन पौधों को जमीन से निकालकर अलग-अलग रखा जाता है. उसके बाद इन पौधों को मांग के अनुरूप अलग-अलग जिलों समेत कई प्रदेशों में भेजा जा रहा है. इस बार एडवांस में अगली फसल की तैयारी भी की जा रही है. इन पौधों की मांग जबरदस्त होने की वजह से अगले सीजन के लिए बागवानी का दाम भी नर्सरी संचालकों ने बढ़ा दिया है.

बागवानी के शौकीन भी अपने और परिवार को सुरक्षित रखने के लिए इन आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों को बेहद पसंद कर रहे हैं. लोगों की मानें तो अब घर में चाय बनाते वक्त इन आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों की पत्तियों को चाय में डालकर उबाल दिया जाता है और यह चाय सभी को पिलाई जाती है जो इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी बेहतर है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.