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वाराणसी: अरे साहब! इन सिटी बसों में डर लगता है, जानें हकीकत - सिटी बसों की हालत खराब

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सिटी बसें इन दिनों खस्ता हालत में हैं. इन बसों में यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करने के लिए मजबूर हैं. इन बसों में यात्रियों के बैठने की सीटें सही ढंग से नहीं हैं.

सिटी बसों की खस्ता हालत.
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Published : Sep 12, 2019, 8:49 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चलने वाली सिटी बसों का सफर करके देख लीजिए. बसों के अंदर की फर्श गायब है. सीटें ऐसी कि अगर बैठ गए तो उसमें मौजूद कील या तो आप को टिटनेस दे देगी या फिर आपके कपड़े फाड़ देगी.

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में सिटी बसों की हालत खराब.

वाराणसी को स्मार्ट बनाने की कवायद, पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन का बुरा हाल-
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है. इसके तहत स्मार्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को भी सही करने की बातें लंबे वक्त से जारी है. लेकिन स्मार्ट तो तब होगा जब स्थितियां बेहतर होंगी. फिलहाल 130 सिटी बसों का संचालन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है. लेकिन इनमें से 120 से ज्यादा ऐसी बसें हैं जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं. बसों के अंदर घुसने से पहले ही आपको बस देखते ही डर लगने लगेगा. बस के दरवाजे रस्सियों से बांधकर रखे गए हैं और अंदर घुसने के साथ ही सीट या तो आपको लकड़ी की मिलेगी या फिर टूटी- फूटी.

यात्रियों के लिए नहीं है बसों में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था-
सिटी बसों के इन हालात को देखकर तो डर लगना लाजमी है, लेकिन अगर आप सिटी बसों में सफर कर रहे हैं और हल्की-फुल्की चोट भी लग जाती है तो यहां मौजूद फर्स्ट एड बॉक्स से आपको कोई राहत नहीं मिलेगी, क्योंकि फर्स्ट एड बॉक्स के अंदर ना ही मरहम है ना पट्टी और अगर आग लग गई तो इसमें आग से लड़ने की व्यवस्था के लिए लगाए गए उपकरण अब इन बसों में मौजूद ही नहीं हैं. इतना ही नहीं लाखों रुपए खर्च कर लगाया गया डिस्प्ले बोर्ड आज तक शुरू ही नहीं हो सका.

ये भी पढ़ें:- जौनपुर: वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किसानों से जुड़े कृषि वैज्ञानिक, उन्नत खेती के दिए टिप्स

वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चलने वाली सिटी बसों का सफर करके देख लीजिए. बसों के अंदर की फर्श गायब है. सीटें ऐसी कि अगर बैठ गए तो उसमें मौजूद कील या तो आप को टिटनेस दे देगी या फिर आपके कपड़े फाड़ देगी.

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में सिटी बसों की हालत खराब.

वाराणसी को स्मार्ट बनाने की कवायद, पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन का बुरा हाल-
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है. इसके तहत स्मार्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को भी सही करने की बातें लंबे वक्त से जारी है. लेकिन स्मार्ट तो तब होगा जब स्थितियां बेहतर होंगी. फिलहाल 130 सिटी बसों का संचालन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है. लेकिन इनमें से 120 से ज्यादा ऐसी बसें हैं जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं. बसों के अंदर घुसने से पहले ही आपको बस देखते ही डर लगने लगेगा. बस के दरवाजे रस्सियों से बांधकर रखे गए हैं और अंदर घुसने के साथ ही सीट या तो आपको लकड़ी की मिलेगी या फिर टूटी- फूटी.

यात्रियों के लिए नहीं है बसों में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था-
सिटी बसों के इन हालात को देखकर तो डर लगना लाजमी है, लेकिन अगर आप सिटी बसों में सफर कर रहे हैं और हल्की-फुल्की चोट भी लग जाती है तो यहां मौजूद फर्स्ट एड बॉक्स से आपको कोई राहत नहीं मिलेगी, क्योंकि फर्स्ट एड बॉक्स के अंदर ना ही मरहम है ना पट्टी और अगर आग लग गई तो इसमें आग से लड़ने की व्यवस्था के लिए लगाए गए उपकरण अब इन बसों में मौजूद ही नहीं हैं. इतना ही नहीं लाखों रुपए खर्च कर लगाया गया डिस्प्ले बोर्ड आज तक शुरू ही नहीं हो सका.

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Intro:स्पेशल स्टोरी--- रियलिटी चेक ईटीवी भारत

वाराणसी: सड़क पर नियमों की अनदेखी लोगों की जेब हल्का कर दे रही है जरा सा नियम टूटा नहीं चालान आपके घर पहुंच जा रहा है हाईटेक होते दौर में हर कोई अपने को बचते बचाते सड़क पर गाड़ियों में फर्राटा भर रहा है और सुरक्षित रह रहा है लेकिन इन सबके बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने वाले लोगों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं वह भी प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विश्वास नहीं आता एक बार जरा वाराणसी में चलने वाली सिटी बसों का सफर करके देख लीजिए बसों के अंदर की फर्श गायब होती जा रही है सीटें ऐसी कि अगर बैठ गए तो उसमें मौजूद कि या तो आप को टिटनेस दे देगी या फिर आपके मांगे कपड़े फाड़ देगी इतना ही नहीं आग से लड़ने के लिए नहीं यहां कोई व्यवस्था है और ना ही छोटी मोटी चोट लगने पर फर्स्ट एड मिलने का कोई चांस यानी अगर आप सिटी बसों में यात्रा कर रहे हैं तो अपने रिस्क पर कीजिए.


Body:वीओ-01 दरअसल प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है इसके तहत स्मार्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को भी करने की बातें लंबे वक्त से जारी हैं लेकिन स्मार्ट तो तब होगा जब स्थितियां बेहतर होंगी फिलहाल 130 सिटी बसों का संचालन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है लेकिन इनमें से 120 से ज्यादा ऐसी बसे हैं जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं हालात ही हैं बस के अंदर घुसने से पहले ही आपको बस देखते ही डर लगने लगेगा बस के दरवाजे रस्सियों से बांधकर रखे गए हैं और अंदर घुसने के साथ ही सीट या तो आपको लकड़ी की मिलेगी या फिर जो आरामदायक सीट मौजूद थी उनको टूटने फूटने के बाद वहां मौजूद किले आपके कपड़े फाड़ नहीं आपको चोटिल करने के लिए आपका इंतजार कर रहे होंगे निर्भया कांड के बाद बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाकर छेड़खानी रोकने की कवायद हुई थी जिसमें करोड़ों रुपए खर्च हुए लेकिन अब ना ही सीसी कैमरे हैं और ना ही सुरक्षा की भावना आपको बस में महसूस होगी क्योंकि कैमरे गायब हैं सिर्फ तार लटक रही है.


Conclusion:वीओ-02 सिटी बसों के इन हालात को देखकर तो डर लगना लाजमी है लेकिन अगर आप सिटी बसों में सफर कर रहे हैं और हल्की-फुल्की चोट भी लग जाती है तो यह सोचेगा कि यहां मौजूद फर्स्ट एड बॉक्स से आपको कोई राहत मिलेगी क्योंकि फर्स्ट एड बॉक्स नाम के हैं अंदर ना ही मरहम है ना पट्टी और अगर आग लग गई तो इसमें आग से लड़ने की व्यवस्था के लिए लगाए गए फायर इंस्टिगयूटर्स अब इन बसों में मौजूद ही नहीं सिर्फ स्टैंड लगे हैं और वह गायब हैं इतना ही नहीं लाखों रुपए खर्च कर लगाएगा डिस्प्ले बोर्ड आज तक शुरू ही नहीं हो सके डिस्प्ले बोर्ड के लिए बसों में बनाए गए बॉक्स में अब गंदे कपड़े और कबाड़ रखने का काम होता है कुल मिलाकर इन बसों के हालात ईटीवी भारत के रियल्टी चेक में सामने आए हैं जिसके बाद अब सवाल उठना लाजमी है कि सड़कों पर नियम कानून के नाम पर लोगों के साथ हो रही जबरदस्त वसूली भले ही लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर रही हो लेकिन बसों में जिस तरह से भाड़ा खर्च करने के बाद भी लोग इस स्थिति में सफर कर रहे हैं वह कितने सुरक्षित हैं और अगर कोई घटना होती है तो उनके साथ सच में क्या होगा यह भगवान भरोसे है.

बाईट- चंद्रशेखर सिंह, चालक रोडवेज
बाईट- शिव शंकर, यात्री

गोपाल मिश्र

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