वाराणसी: बदलते आधुनिक जमाने में पूजा पाठ में आपने ऑनलाइन पंडित जी के बारे में सुना होगा. आज हम आपको डिजिटल दक्षिणा के बारे में बताने जा रहे हैं. देश में रुपयों के लेन-देन में या फिर सामान की खरीदारी में डिजिटल पेमेंट मुख्य भूमिका निभा रहा है. ऐसे में अब बनारस के घाटों के पंडित पुजारी भी डिजिटली अपडेट हो चुके हैं. काशी के घाटों पर बैठने वाले पंडित पुजारी गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं को दान करवाते हैं. जिसमें उन्हें दक्षिणा प्राप्त होती है. आज के समय में फुटकर पैसों की समस्या होने के कारण अब पंडित जी भी यूपीआई स्कैनर चौकियों पर लगा रहे हैं.
बनारस के अस्सी घाट पर हुई सबसे पहले शुरुआत: बनारस के अस्सी घाट से सबसे पहले यूपीआई स्कैनर की शुरुआत हुई है. जिसके कारण पुजारियों के साथ ही श्रद्धालुओं को भी काफी सुविधा मिल रही है. दक्षिणा का भुगतान डिजिटल माध्यम से बड़े ही आराम से हो रहा है. अस्सी घाट पर आए एक श्रद्धालु ने बताया कि आजकल छुट्टे पैसे नहीं मिलते हैं. डिजिटल पेमेंट जितना चाहें दान कर सकते हैं. सभी के पास पेटीएम, फोनपे का यूपीआई होता है. अगर चेंज पैसे हैं तो पैसे भी दे सकते हैं.
लोगों की सुविधा और सरकार को टैक्स देना आसान होगा: वहीं, अस्सी घाट के पंडा बटुक महाराज ने बताया कि दक्षिणा लेने के लिए क्यूआर कोड रखा हुआ है. इससे श्रद्धालुओं को दान देने में आसानी रहती है. मोदीजी ने डिजिडल इंडिया कर दिया है. उन्होंने बहुत सारी सुविधाएं यहां कर दी हैं. ऐसे में जब श्रद्धालु आते हैं और उनके पास दान-दक्षिणा के लिए छुट्टे पैसे न हों तो वह क्यूआर कोड स्कैन कर सकें. इसके साथ ही अगर टैक्स के दायरे में आता हूं तो मैं भी टैक्स पेमेंट कर सकूं.
5 से 10 हजार तक हो जाती है आमदनी: अस्सी घाट पर लगभग दो दर्जन पंडा हैं. जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा पंडे पुजारी स्कैनर का प्रयोग कर रहे. घाट पर बैठे पंडाओं की आमदनी की बात करें तो आम दिनों में 500 से 1000 रुपये की कमाई हो जाती है. वहीं, किसी विषेश पर्व पर इनकी आमदनी 5,000 से 10,000 भी हो जाती है. इसका बड़ा कारण ये भी है कि पर्व-त्योहारों पर काशी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. इसके साथ ही आम दिन में इन्हे कोई यजमान विशेष पूजा कराता है, तो इनकी आय 5,000 रुपये तक आसानी से हो जाती है.
भारत ने डिजिटल पेमेंट में हासिल किया मुकाम: गौरलब है कि भारत में डिजिटल पेमेंट में लगातार बढ़ोतरी ने नया मुकाम हासिल किया है. भारत में हर दिन 22 करोड़ ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होते हैं. ACI Worldwide के मुताबिक भारत सालाना 25.5 अरब ट्रांजेक्शन के साथ दुनिया में सबसे आगे है. भारत के बाद चीन का नंबर आता है. चीन में सालाना 15.7 अरब ट्रांजेक्शन होते हैं. यानी चीन इस मामले में भारत से अभी भी काफी पीछे है. तीसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया है, जहां 6.0 अरब रीयल टाइम पेमेंट हर साल होते हैं.
कितने हैं डिजिटल पेमेंट करने के ऑप्शन: भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन के कई ऑप्शन हैं. इनमें UPI, e-wallet, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, आधार पेमेंट सिस्टम, बैंक ट्रांसफर मोड और इंटरनेट बैंकिंग सहित कई ऑप्शन हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीआई डिजिटल पेमेंट में सबसे बेहतर विकल्प है. पेमेंट, फंड ट्रांसफर या बिल पेमेंट, इन सब में यूपीआई सबसे ज्यादा सुविधा प्रदान करता है.
Varanasi News: आधुनिक हुए काशी के पंडा-पुजारी, क्यूआर कोड से ले रहे दक्षिणा
वाराणसी के घाटों पर अब डिजिटल पेमेंट की शुरुआत हो गई है. घाटों पर पूजापाठ के बाद दान और दक्षिणा लेने के लिए पंडाओं ने क्यूआर स्कैनर लगवा लिया है.
वाराणसी: बदलते आधुनिक जमाने में पूजा पाठ में आपने ऑनलाइन पंडित जी के बारे में सुना होगा. आज हम आपको डिजिटल दक्षिणा के बारे में बताने जा रहे हैं. देश में रुपयों के लेन-देन में या फिर सामान की खरीदारी में डिजिटल पेमेंट मुख्य भूमिका निभा रहा है. ऐसे में अब बनारस के घाटों के पंडित पुजारी भी डिजिटली अपडेट हो चुके हैं. काशी के घाटों पर बैठने वाले पंडित पुजारी गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं को दान करवाते हैं. जिसमें उन्हें दक्षिणा प्राप्त होती है. आज के समय में फुटकर पैसों की समस्या होने के कारण अब पंडित जी भी यूपीआई स्कैनर चौकियों पर लगा रहे हैं.
बनारस के अस्सी घाट पर हुई सबसे पहले शुरुआत: बनारस के अस्सी घाट से सबसे पहले यूपीआई स्कैनर की शुरुआत हुई है. जिसके कारण पुजारियों के साथ ही श्रद्धालुओं को भी काफी सुविधा मिल रही है. दक्षिणा का भुगतान डिजिटल माध्यम से बड़े ही आराम से हो रहा है. अस्सी घाट पर आए एक श्रद्धालु ने बताया कि आजकल छुट्टे पैसे नहीं मिलते हैं. डिजिटल पेमेंट जितना चाहें दान कर सकते हैं. सभी के पास पेटीएम, फोनपे का यूपीआई होता है. अगर चेंज पैसे हैं तो पैसे भी दे सकते हैं.
लोगों की सुविधा और सरकार को टैक्स देना आसान होगा: वहीं, अस्सी घाट के पंडा बटुक महाराज ने बताया कि दक्षिणा लेने के लिए क्यूआर कोड रखा हुआ है. इससे श्रद्धालुओं को दान देने में आसानी रहती है. मोदीजी ने डिजिडल इंडिया कर दिया है. उन्होंने बहुत सारी सुविधाएं यहां कर दी हैं. ऐसे में जब श्रद्धालु आते हैं और उनके पास दान-दक्षिणा के लिए छुट्टे पैसे न हों तो वह क्यूआर कोड स्कैन कर सकें. इसके साथ ही अगर टैक्स के दायरे में आता हूं तो मैं भी टैक्स पेमेंट कर सकूं.
5 से 10 हजार तक हो जाती है आमदनी: अस्सी घाट पर लगभग दो दर्जन पंडा हैं. जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा पंडे पुजारी स्कैनर का प्रयोग कर रहे. घाट पर बैठे पंडाओं की आमदनी की बात करें तो आम दिनों में 500 से 1000 रुपये की कमाई हो जाती है. वहीं, किसी विषेश पर्व पर इनकी आमदनी 5,000 से 10,000 भी हो जाती है. इसका बड़ा कारण ये भी है कि पर्व-त्योहारों पर काशी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. इसके साथ ही आम दिन में इन्हे कोई यजमान विशेष पूजा कराता है, तो इनकी आय 5,000 रुपये तक आसानी से हो जाती है.
भारत ने डिजिटल पेमेंट में हासिल किया मुकाम: गौरलब है कि भारत में डिजिटल पेमेंट में लगातार बढ़ोतरी ने नया मुकाम हासिल किया है. भारत में हर दिन 22 करोड़ ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होते हैं. ACI Worldwide के मुताबिक भारत सालाना 25.5 अरब ट्रांजेक्शन के साथ दुनिया में सबसे आगे है. भारत के बाद चीन का नंबर आता है. चीन में सालाना 15.7 अरब ट्रांजेक्शन होते हैं. यानी चीन इस मामले में भारत से अभी भी काफी पीछे है. तीसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया है, जहां 6.0 अरब रीयल टाइम पेमेंट हर साल होते हैं.
कितने हैं डिजिटल पेमेंट करने के ऑप्शन: भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन के कई ऑप्शन हैं. इनमें UPI, e-wallet, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, आधार पेमेंट सिस्टम, बैंक ट्रांसफर मोड और इंटरनेट बैंकिंग सहित कई ऑप्शन हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीआई डिजिटल पेमेंट में सबसे बेहतर विकल्प है. पेमेंट, फंड ट्रांसफर या बिल पेमेंट, इन सब में यूपीआई सबसे ज्यादा सुविधा प्रदान करता है.