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अस्सी घाट पर गंगा आरती का पंडा और पुरोहित समाज ने किया विरोध

वाराणसी में अस्सी घाट पर गंगा आरती को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है. पंडा और पुरोहित समाज ने इसका विरोध कर प्रदर्शन किया. इन लोगों ने सरकार से न्याय की मांग की.

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Published : Oct 24, 2021, 12:44 PM IST

पंडा और पुरोहित समाज ने किया विरोध.
पंडा और पुरोहित समाज ने किया विरोध.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के प्रसिद्ध अस्सी घाट पर गंगा आरती को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है. सुबह-ए-बनारस द्वारा नए अस्सी घाट पर संध्या गंगा आरती प्रारंभ की गई है, जिसका काशी के पंडा और पुरोहित समाज ने जमकर विरोध किया और आरती स्थल पर बैठकर सरकार से न्याय की मांग की और काशी के पंडों का अधिकार छीनने का आरोप लगया. उसके बाद भी पुराने घाट की आरती समाप्त होने के बाद नए घाट पर आरती पुलिस सुरक्षा के बीच में की गई. पंडा और पुरोहित समाज के लोगों ने जमकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए.

आज जैसे ही विश्व प्रसिद्ध संध्या आरती की तैयारी सुबह-ए-बनारस द्वारा नए घाट पर की गई तो सैकड़ों की संख्या में बटुक, बनारस पंडा और पुरोहित विरोध प्रदर्शन करते हुए आरती स्थल पर पहुंचे और हाथों में पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया. इससे पहले भी सुबह-ए-बनारस द्वारा गंगा आरती संध्या कालीन प्रारंभ की गई. इसका विरोध पंडा और पुरोहित समाज ने जमकर किया, लेकिन फिर बाढ़ आने के कारण सुबह-ए-बनारस ने आरती बंद कर दी. फिर स्थिति सामान्य होने पर आरती शुरू कर रहे हैं.

पंडा और पुरोहित समाज ने किया विरोध.

यह भी पढ़ें: 25 अक्टूबर को पीएम मोदी आ रहे वाराणसी, सीएम योगी ने लिया तैयारियों का जायजा

गंगा समग्र काशी प्रांत संयोजक चंद्रशेखर मिश्रा ने बताया कि यह आरती का व्यापारीकरण है. यह नई आरती आध्यात्मिक नहीं है. मान्यता के अनुसार काशी के पौराणिक घाटों पर पूजा-पाठ और आरती का अधिकार केवल यहां के पंडा और पुजारियों को है. इस तरह रहा तो लोग रोज नई-नई संस्था बनाकर गंगा आरती प्रारंभ कर देंगे. ऐसे में पंडा और पुरोहित क्या करेंगे. आखिर एक ही स्थान पर सरकार दो आरती क्यों करा रही है.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के प्रसिद्ध अस्सी घाट पर गंगा आरती को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है. सुबह-ए-बनारस द्वारा नए अस्सी घाट पर संध्या गंगा आरती प्रारंभ की गई है, जिसका काशी के पंडा और पुरोहित समाज ने जमकर विरोध किया और आरती स्थल पर बैठकर सरकार से न्याय की मांग की और काशी के पंडों का अधिकार छीनने का आरोप लगया. उसके बाद भी पुराने घाट की आरती समाप्त होने के बाद नए घाट पर आरती पुलिस सुरक्षा के बीच में की गई. पंडा और पुरोहित समाज के लोगों ने जमकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए.

आज जैसे ही विश्व प्रसिद्ध संध्या आरती की तैयारी सुबह-ए-बनारस द्वारा नए घाट पर की गई तो सैकड़ों की संख्या में बटुक, बनारस पंडा और पुरोहित विरोध प्रदर्शन करते हुए आरती स्थल पर पहुंचे और हाथों में पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया. इससे पहले भी सुबह-ए-बनारस द्वारा गंगा आरती संध्या कालीन प्रारंभ की गई. इसका विरोध पंडा और पुरोहित समाज ने जमकर किया, लेकिन फिर बाढ़ आने के कारण सुबह-ए-बनारस ने आरती बंद कर दी. फिर स्थिति सामान्य होने पर आरती शुरू कर रहे हैं.

पंडा और पुरोहित समाज ने किया विरोध.

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गंगा समग्र काशी प्रांत संयोजक चंद्रशेखर मिश्रा ने बताया कि यह आरती का व्यापारीकरण है. यह नई आरती आध्यात्मिक नहीं है. मान्यता के अनुसार काशी के पौराणिक घाटों पर पूजा-पाठ और आरती का अधिकार केवल यहां के पंडा और पुजारियों को है. इस तरह रहा तो लोग रोज नई-नई संस्था बनाकर गंगा आरती प्रारंभ कर देंगे. ऐसे में पंडा और पुरोहित क्या करेंगे. आखिर एक ही स्थान पर सरकार दो आरती क्यों करा रही है.

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