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धनतेरस 2021: 2 नवम्बर से शुरू हो जाएगा पंच दिवसीय महापर्व, ये है पौराणिक कथा और महत्व

5 दिनों तक मनाया जाने वाले दीपोत्सव को लेकर ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि दीपों के महापर्व की शुरुआत 2 नवंबर मंगलवार को धनतेरस के साथ होगी. दीपावली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है. इस बार मंगलवार को प्रातः 11:31 से 3 नवंबर बुधवार को 9:02 तक तेरस तिथि मान्य रहेगी. धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता आयुर्वेद शास्त्र के जनक धन्वंतरि भगवान का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है.

धनतेरस 2021
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Published : Nov 1, 2021, 8:00 PM IST

वाराणसी: सनातन धर्म में दीपावली पर्व सर्वाधिक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय पर्व माना जाता है. पूरे विश्व में सनातन धर्म के लोग इसे धूमधाम के साथ मनाते हैं. पंच दिवसीय महापर्व की शुरुआत धनतेरस से जबकि समापन भैया दूज के साथ होता है. इस दौरान कई अन्य महापर्व भी पड़ते हैं. इस बार 2 नवंबर मंगलवार से धन्वंतरी जयंती धनतेरस के साथ ही पंच दिवसीय इस महापर्व की शुरुआत होने जा रही है. 5 दिनों तक अलग-अलग दिन अलग-अलग पर्व मनाए जाएंगे. जिनमें 4 नवंबर को प्रकाश पर्व दीपावली मनाई जाएगी. आइए जानते हैं किस दिन कौन सा पर्व किस विधि विधान से मनाना होगा.

2 नवंबर को धनतेरस
5 दिनों तक मनाया जाने वाले दीपोत्सव को लेकर ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि दीपों के महापर्व की शुरुआत 2 नवंबर मंगलवार को धनतेरस के साथ होगी. दीपावली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है. इस बार मंगलवार को प्रातः 11:31 से 3 नवंबर बुधवार को 9:02 तक तेरस तिथि मान्य रहेगी. धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता आयुर्वेद शास्त्र के जनक धन्वंतरि भगवान का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है. समुद्र मंथन के समय धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर अवतरित हुए थे. आयुर्वेद के प्रवर्तक के रूप में तथा श्री हरि विष्णु के अवतार के रूप में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनका पूजन किया जाता है. धनतेरस के दिन स्वर्ण रजत या फिर पीतल तांबे या स्टील के बर्तन खरीदना शुभ फलदाई माना जाता है. इससे समृद्धि के साथ आरोग्य की भी प्राप्ति होती है.

दीपावली पर्व
दीपावली पर्व
3 नवंबर को नरक चतुर्दशी, छोटी दीपावली
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार 3 नवंबर बुधवार को यह पर्व मनाया जाएगा. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर बुधवार की सुबह 9:02 से 3 नवंबर बुधवार को अर्धरात्रि के बाद 6:04 तक रहेगी. इस दिन तेल में माता लक्ष्मी जी का निवास माना जाता है इसलिए सूर्योदय पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रियाकलापों से निवृत होने के बाद शरीर पर तेल लगा कर स्नान करने का विधान बताया गया है. स्नान के बाद नए वस्त्र या स्वच्छ वस्त्र धारण करके मस्तिष्क पर तिलक लगाने के बाद दक्षिण दिशा की ओर अपना मुंह करके यम के निमित्त 3 बार जलांजलि देने का विधान है. इस दिन यम के 14 नामों ॐ यमाय नमः, ॐ धर्मराजाय नमः ॐ मृत्यवे नमः, ॐ अन्तकाय नमः, ओम वैवस्तवया नमः, ॐ कालाय नमः, ॐ सर्वभूतक्षयाय नमः, ॐ औदुम्बरया नमः, ॐ दध्यानाय नमः, ॐ नीलाय नमः, ॐ परमेष्टिने नमः, ॐ वृकोदराय नमः, ॐ चित्राय नमः, ॐ चित्रगुपताय नमः के तर्पण करने से वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं. यम के 14 नामों के पूजन से जीवन में आरोग्य सुख भौतिक समृद्धि कार्य व्यवसाय में सफलता का संयोग बना रहता है. नरक चतुर्दशी रूप चतुर्दशी को छोटी दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है. इसलिए शाम को दीपक जलाने की परंपरा है. इसे छोटी दीवाली कहते हैं इस दिन घर के प्रवेश द्वार के बाहर 4 बत्तियों वाला दीपक रखने से नरक से मुक्ति मिलती है. परंपरा के मुताबिक आटे का चौमुखा दीपक बनाकर उसे तेल से भरकर चार बत्ती लगाकर प्रज्ज्वलित करने का विधान है. प्रदोष काल के समय तिल के तेल का 14 दीपक प्रज्वलित करके देवस्थान, बाग बगीचे या सुरक्षित स्थानों पर रखने का विधान भी बताया गया है. प्रदोष काल का शुभारंभ सूर्यास्त के बाद और रात्रि के प्रारंभ को बताया गया है प्रदोष काल 2 घंटे या 3 घंटे यानी 48 या 72 मिनट का होता है.
3 नवंबर हनुमान जयंती
पंच दिवसीय पर्व के दूसरे दिन 3 नवंबर को नरक चतुर्दशी के साथ ही हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा. कार्तिक पक्ष की चतुर्दशी को सायंकाल मेष लग्न में हनुमान जी के जन्म को माना जाता है. इस दिन श्री हनुमान जी का जन्म महोत्सव काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भक्ति भाव से हनुमान जी का पंचोपचार व षोडशोपचार पूजन किया जाता है. मेष लग्न शाम 4:13 से सायं काल 5:52 तक होता है हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए हनुमान जी से संबंधित स्तुति श्री हनुमान चालीसा, पंचमुखी हनुमान स्तोत्र, सुंदरकांड आदि विविध मंगल पाठ किए जाते हैं.
4 नवंबर दीपावली दीप पूजन
पंच दिवसीय पर्व के तीसरे दिन 4 नवंबर को दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक गुरुवार को दीपावली का पर्व लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के साथ संपन्न होगा विशिष्ट काल में की गई पूजा विशेष फलदाई मानी जाती है. इसलिए शुभ मुहूर्त कि यदि बात की जाए तो पूजन के लिए सर्वोत्तम मूर्ति प्रदोष काल व स्थिर लग्न होता है. इस वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि बुधवार 3 नवंबर को अर्धरात्रि के बाद 6:04 से गुरुवार 4 नवंबर को अर्धरात्रि के पश्चात 2:45 तक रहेगी. तत्पश्चात प्रतिपदा शुरू हो जाएगी दीपावली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल शाम 5:11 से रात्रि 7:49 तक होगा. इस समय दीपावली की पूजा अर्चना प्रारंभ करने के लिए काफी उत्तम समय माना जा रहा है. स्थिर लग्न यानी सिंह ने लग्न रात्रि 12:20 से और रात्रि के बाद 2:24 तक रहेगा यह मूर्ति सिंह ने लग्न में पूजा करने वालों के लिए शुभ फलदाई है. निशीथ काल रात्रि 11:16 से रात्रि 12:07 तक होगा जबकि महा निशीथ काल रात्रि 11:26 तक रहेगा. इस काल में वृषभ लग्न का समावेश रहेगा रात्रि 11:41 से अर्ध रात्रि 1:18 पर लाभ की चौघड़िया रहेगी. जिसमें रात्रि 11:16 से महानिशीथ काल का संयोग भी बन रहा है. सामान्यता श्री लक्ष्मी, श्री गणेश व दीपक के साथ समस्त देवी-देवताओं श्री महाकाली महासरस्वती महालक्ष्मी व कुबेर का पूजन सायंकाल से ही शुरु होकर रात्रि पर यंत्र चलता रहेगा दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ गणेश पूजन का विधान है.
5 नवम्बर को अन्नकूट
पंच दिवसीय पर्व के चौथे दिन यानी 5 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि के दिन देवालय घरों में अन्नकूट महोत्सव मनाने के लिए 56 तरह के भोग तैयार किए जाते हैं और ईश्वर के सामने इन्हें परोसा जाता है. इस दिन देवालयों का आकर्षण मनमोहक ढंग से सजाया जाता है. ज्योतिषाचार्य विमल जैन का कहना है कि इस बार कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 नवंबर को अर्धरात्रि के बाद 2:45 से शुक्रवार 5 नवंबर को रात्रि 11:15 तक रहेगी इस दौरान अन्नकूट का पर्व मनाया जाएगा.
6 नवंबर भैया दूज, यम द्वितीया
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि पंच दिवसीय पर्व के अंतिम दिन यानी 6 नवंबर को भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैया दूज और यम दुतिया मनाया जाएगा. भैया दूज के दिन बहन के घर भाई को जाकर भोजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को यम का पूजन किया जाता है. जिसे यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है. इस बार यह पर्व शनिवार 6 नवंबर को मनाया जाएगा कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि शुक्रवार 5 नवंबर को रात्रि 11:15 से शनिवार 6 नवंबर को सायंकाल 7:45 तक रहेगी. इस दौरान भैया दूज का पर्व बहन भाई बना सकते हैं.

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वाराणसी: सनातन धर्म में दीपावली पर्व सर्वाधिक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय पर्व माना जाता है. पूरे विश्व में सनातन धर्म के लोग इसे धूमधाम के साथ मनाते हैं. पंच दिवसीय महापर्व की शुरुआत धनतेरस से जबकि समापन भैया दूज के साथ होता है. इस दौरान कई अन्य महापर्व भी पड़ते हैं. इस बार 2 नवंबर मंगलवार से धन्वंतरी जयंती धनतेरस के साथ ही पंच दिवसीय इस महापर्व की शुरुआत होने जा रही है. 5 दिनों तक अलग-अलग दिन अलग-अलग पर्व मनाए जाएंगे. जिनमें 4 नवंबर को प्रकाश पर्व दीपावली मनाई जाएगी. आइए जानते हैं किस दिन कौन सा पर्व किस विधि विधान से मनाना होगा.

2 नवंबर को धनतेरस
5 दिनों तक मनाया जाने वाले दीपोत्सव को लेकर ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि दीपों के महापर्व की शुरुआत 2 नवंबर मंगलवार को धनतेरस के साथ होगी. दीपावली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है. इस बार मंगलवार को प्रातः 11:31 से 3 नवंबर बुधवार को 9:02 तक तेरस तिथि मान्य रहेगी. धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता आयुर्वेद शास्त्र के जनक धन्वंतरि भगवान का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है. समुद्र मंथन के समय धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर अवतरित हुए थे. आयुर्वेद के प्रवर्तक के रूप में तथा श्री हरि विष्णु के अवतार के रूप में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनका पूजन किया जाता है. धनतेरस के दिन स्वर्ण रजत या फिर पीतल तांबे या स्टील के बर्तन खरीदना शुभ फलदाई माना जाता है. इससे समृद्धि के साथ आरोग्य की भी प्राप्ति होती है.

दीपावली पर्व
दीपावली पर्व
3 नवंबर को नरक चतुर्दशी, छोटी दीपावली
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार 3 नवंबर बुधवार को यह पर्व मनाया जाएगा. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर बुधवार की सुबह 9:02 से 3 नवंबर बुधवार को अर्धरात्रि के बाद 6:04 तक रहेगी. इस दिन तेल में माता लक्ष्मी जी का निवास माना जाता है इसलिए सूर्योदय पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रियाकलापों से निवृत होने के बाद शरीर पर तेल लगा कर स्नान करने का विधान बताया गया है. स्नान के बाद नए वस्त्र या स्वच्छ वस्त्र धारण करके मस्तिष्क पर तिलक लगाने के बाद दक्षिण दिशा की ओर अपना मुंह करके यम के निमित्त 3 बार जलांजलि देने का विधान है. इस दिन यम के 14 नामों ॐ यमाय नमः, ॐ धर्मराजाय नमः ॐ मृत्यवे नमः, ॐ अन्तकाय नमः, ओम वैवस्तवया नमः, ॐ कालाय नमः, ॐ सर्वभूतक्षयाय नमः, ॐ औदुम्बरया नमः, ॐ दध्यानाय नमः, ॐ नीलाय नमः, ॐ परमेष्टिने नमः, ॐ वृकोदराय नमः, ॐ चित्राय नमः, ॐ चित्रगुपताय नमः के तर्पण करने से वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं. यम के 14 नामों के पूजन से जीवन में आरोग्य सुख भौतिक समृद्धि कार्य व्यवसाय में सफलता का संयोग बना रहता है. नरक चतुर्दशी रूप चतुर्दशी को छोटी दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है. इसलिए शाम को दीपक जलाने की परंपरा है. इसे छोटी दीवाली कहते हैं इस दिन घर के प्रवेश द्वार के बाहर 4 बत्तियों वाला दीपक रखने से नरक से मुक्ति मिलती है. परंपरा के मुताबिक आटे का चौमुखा दीपक बनाकर उसे तेल से भरकर चार बत्ती लगाकर प्रज्ज्वलित करने का विधान है. प्रदोष काल के समय तिल के तेल का 14 दीपक प्रज्वलित करके देवस्थान, बाग बगीचे या सुरक्षित स्थानों पर रखने का विधान भी बताया गया है. प्रदोष काल का शुभारंभ सूर्यास्त के बाद और रात्रि के प्रारंभ को बताया गया है प्रदोष काल 2 घंटे या 3 घंटे यानी 48 या 72 मिनट का होता है.
3 नवंबर हनुमान जयंती
पंच दिवसीय पर्व के दूसरे दिन 3 नवंबर को नरक चतुर्दशी के साथ ही हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा. कार्तिक पक्ष की चतुर्दशी को सायंकाल मेष लग्न में हनुमान जी के जन्म को माना जाता है. इस दिन श्री हनुमान जी का जन्म महोत्सव काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भक्ति भाव से हनुमान जी का पंचोपचार व षोडशोपचार पूजन किया जाता है. मेष लग्न शाम 4:13 से सायं काल 5:52 तक होता है हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए हनुमान जी से संबंधित स्तुति श्री हनुमान चालीसा, पंचमुखी हनुमान स्तोत्र, सुंदरकांड आदि विविध मंगल पाठ किए जाते हैं.
4 नवंबर दीपावली दीप पूजन
पंच दिवसीय पर्व के तीसरे दिन 4 नवंबर को दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक गुरुवार को दीपावली का पर्व लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के साथ संपन्न होगा विशिष्ट काल में की गई पूजा विशेष फलदाई मानी जाती है. इसलिए शुभ मुहूर्त कि यदि बात की जाए तो पूजन के लिए सर्वोत्तम मूर्ति प्रदोष काल व स्थिर लग्न होता है. इस वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि बुधवार 3 नवंबर को अर्धरात्रि के बाद 6:04 से गुरुवार 4 नवंबर को अर्धरात्रि के पश्चात 2:45 तक रहेगी. तत्पश्चात प्रतिपदा शुरू हो जाएगी दीपावली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल शाम 5:11 से रात्रि 7:49 तक होगा. इस समय दीपावली की पूजा अर्चना प्रारंभ करने के लिए काफी उत्तम समय माना जा रहा है. स्थिर लग्न यानी सिंह ने लग्न रात्रि 12:20 से और रात्रि के बाद 2:24 तक रहेगा यह मूर्ति सिंह ने लग्न में पूजा करने वालों के लिए शुभ फलदाई है. निशीथ काल रात्रि 11:16 से रात्रि 12:07 तक होगा जबकि महा निशीथ काल रात्रि 11:26 तक रहेगा. इस काल में वृषभ लग्न का समावेश रहेगा रात्रि 11:41 से अर्ध रात्रि 1:18 पर लाभ की चौघड़िया रहेगी. जिसमें रात्रि 11:16 से महानिशीथ काल का संयोग भी बन रहा है. सामान्यता श्री लक्ष्मी, श्री गणेश व दीपक के साथ समस्त देवी-देवताओं श्री महाकाली महासरस्वती महालक्ष्मी व कुबेर का पूजन सायंकाल से ही शुरु होकर रात्रि पर यंत्र चलता रहेगा दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ गणेश पूजन का विधान है.
5 नवम्बर को अन्नकूट
पंच दिवसीय पर्व के चौथे दिन यानी 5 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि के दिन देवालय घरों में अन्नकूट महोत्सव मनाने के लिए 56 तरह के भोग तैयार किए जाते हैं और ईश्वर के सामने इन्हें परोसा जाता है. इस दिन देवालयों का आकर्षण मनमोहक ढंग से सजाया जाता है. ज्योतिषाचार्य विमल जैन का कहना है कि इस बार कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 नवंबर को अर्धरात्रि के बाद 2:45 से शुक्रवार 5 नवंबर को रात्रि 11:15 तक रहेगी इस दौरान अन्नकूट का पर्व मनाया जाएगा.
6 नवंबर भैया दूज, यम द्वितीया
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि पंच दिवसीय पर्व के अंतिम दिन यानी 6 नवंबर को भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैया दूज और यम दुतिया मनाया जाएगा. भैया दूज के दिन बहन के घर भाई को जाकर भोजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को यम का पूजन किया जाता है. जिसे यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है. इस बार यह पर्व शनिवार 6 नवंबर को मनाया जाएगा कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि शुक्रवार 5 नवंबर को रात्रि 11:15 से शनिवार 6 नवंबर को सायंकाल 7:45 तक रहेगी. इस दौरान भैया दूज का पर्व बहन भाई बना सकते हैं.

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