वाराणसी: बुधवार को बीएचयू स्थित मधुबन में छात्रों ने प्रेस वार्ता की. छात्रों ने प्रदर्शन कर पीएचडी प्रवेश परीक्षा में ओबीसी वर्ग के छात्र छात्राओं के साथ हो रहे भेदभाव को रोकने की मांग की. छात्रों का कहना है कि बीएचयू में हो रहे भेदभाव के संबंध में गुरुवार को पीएम मोदी को पत्रक सौंपेंगे.
ओबीसी वर्ग के छात्रों का नहीं प्रतिनिधि
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर विवाद थमने का खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. छात्रों की मांग है कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा में विश्वविद्यालय की तरफ से ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि नहीं नियुक्त किया जाता है. जबकि अन्य आरक्षित वर्ग एससी, एसटी के प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते हैं. प्रतिनिधि न होने के कारण रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में जानबूझकर कम अंक दिए जाते हैं और उन्हें मेरिट से बाहर कर दिया जाता है.
हस्ताक्षर प्रक्रिया में कम दिए जाते नंबर
छात्र चाहते हैं कि ओबीसी वर्ग के लिए प्रतिनिधि नियुक्त किया जाए. वहीं प्रवेश परीक्षा में लिखित एवं हस्ताक्षर की प्रक्रिया में छात्र-छात्राओं के नाम और श्रेणी का उपयोग होता है. जिसकी वजह से कम अंक दिए जाते हैं, जबकि छात्रों के कुल अंकों का योग सामान्य वर्ग के छात्रों से अधिक होता है. रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में कम अंक दिए जाने की वजह से डिग्री पाठ्यक्रम में छात्रों की तुलना में ओबीसी वर्ग से बाहर हो जाते हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का विश्वविद्यालय है. मोदी जी स्वयं ओबीसी वर्ग के हैं और ओबीसी का इतना ज्यादा दमन हो रहा है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ओबीसी को उनके मूलभूत अधिकार से वंचित किया जा रहा है. इसके लिए गुरुवार को बीएचयू गेट से जनसंपर्क कार्यालय तक मार्च निकाला जाएगा.
-रविंद्र कुमार,शोध छात्र,बीएचयू