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बारिश न होने से छलका कारोबारियों का दर्द, कहा- पौधे सूख गए और ऑर्डर भी कैंसल हो गए

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Published : Jul 21, 2022, 8:39 PM IST

उत्तर प्रदेश में बारिश न होने से आम जनमानस के साथ किसान और नर्सरी कारोबारी भी परेशान हैं. वाराणसी जिले में नर्सरी कारोबारियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया. इस खास रिपोर्ट में पढ़िए कि नर्सरी कारोबारियों का क्या कहना है..

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नर्सरी

वाराणसी: उत्तर प्रदेश समेत पूर्वांचल के अधिकांश हिस्से इस बार बारिश न होने के कारण सूखे की चपेट में हैं. जून और जुलाई के महीने में बारिश का निर्धारित मानक के अनुरूप न होना किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें पैदा करने वाला साबित हो रहा है. हालांकि मौसम ने एक-दो दिन से करवट बदला है, लेकिन बारिश अभी भी जरूरत से बेहद कम है और गर्मी, उमस ने लोगों को बेहाल कर रखा है. इन सबके बीच खेतों में जमीन फटने के साथ ही किसानों को अपनी किस्मत फूटने का डर तो सता ही रहा है. साथ ही साथ बारिश न होने की वजह से नर्सरी सूख रही हैं. सरकारी तंत्र भी इस पर ही अपने टारगेट को पूरा कर हरियाली बढ़ाने के दम भरता है.

वाराणसी में नर्सरी कारोबारी

इस बार भी योगी सरकार ने करोड़ों पौधे लगाकर नए रिकॉर्ड बनाने की तैयारी की है. वहीं, नर्सरी में लगाए गए पौधे तैयार न हो पाने की वजह से दिक्कतें पैदा होने लगी हैं. हालात यह है कि पानी की कमी से पौधे सूख रहे हैं. नर्सरी में मौजूद पौधों के साथ ही लगाए जा चुके पौधों की हालत भी खराब है. जिसे निश्चित तौर पर मेंटेन करने के लिए सरकारी तंत्र को भी कुछ करने की जरूरत है.

तेज धूप में जलकर पौधे हो रहे बर्बाद
वाराणसी के चांदपुर इंडस्ट्रियल स्टेट के पास नर्सरी का पूरा कारोबार होता है. सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के अधिकांश हिस्सों में यहीं से तैयार किए गए पौधे भेजे जाते हैं. आसपास के जिलों में सरकारी आर्डर भी यहीं से पूरे होते हैं. लेकिन लगातार तेज धूप भीषण गर्मी और उमस ने पौधों को बदहाली की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है. तेज धूप की वजह से पौधे जलकर बर्बाद हो रहे हैं. मिट्टी सूखने की वजह से खोदकर बोये जाने वाले पौधे अब तक लगाए ही नहीं जा सके हैं.

पढ़ेंः ग्राउंड रिपोर्टः तालाब ओवरफ्लो होने से विद्यालय में घुसा गंदा पानी, भविष्य संवारें या जान बचाएं मासूम

70 प्रतिशत नुकसान में है नर्सरी उद्योग
पूर्वांचल की बड़ी नर्सरी में शामिल बिहारी नर्सरी के अशोक मौर्य का कहना है कि इस बार आर्डर की कमी है, क्योंकि हर वर्ष जहां जून के महीने में पौधे तैयार कर उसे बेचना शुरू कर देते थे. इस बार तो स्थिति यह है कि अमरूद, कटहल, आम जामुन, नींबू ऐसे पौधे जो मिट्टी खोदकर नीचे से लगाए जाते थे. उन्हें लगाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि बारिश हुई ही नहीं है.

इसके अलावा कोलकाता समेत बाहर से स्पेशल आर्डर पर मंगाए गए पौधे इस दौर में ही डंप पर पड़े हैं, क्योंकि जो आर्डर मिले थे उन्होंने इनको लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि गर्मी की वजह से पहले ही बहुत पौधे खराब हो गए थे. इसके कारण पूरा कारोबार पिछले वर्ष की तुलना में घटकर 30% पर आ गया है. यानी नर्सरी उद्योग इस बार 70% के नुकसान में है.

पिछली बार कोरोना और इस बार सूखा ने किया बर्बाद
दूसरे नर्सरी कारोबारियों का कहना है कि सबसे बड़ा संकट बाहर से मंगाए गए पौधों के बर्बाद होने को हैं, क्योंकि कोलकाता, बेंगलुरु, पुणे से बड़ी मात्रा में सजावटी और घर में लगाने वाले पौधे मंगवाए जाते हैं. यह पौधे आ तो गए लेकिन ऑर्डर पर मंगवाए गए पौधों को लोगों ने उठाया ही नहीं है. जिसकी वजह से बड़ा नुकसान हुआ है और अपने यहां तैयार पौधे सूख कर बर्बाद हो गए हैं. जिसकी वजह से लगभग 30% पौधे खराब होने के कारण फेंकने पड़ गए हैं. नए पौधे लगाने की हिम्मत नहीं हुई है और न ही पैसा है, क्योंकि 2 साल कोविड-19 की वजह से पहले से ही कारोबार चौपट हो रखा था और इस बार बारिश न होने की वजह से जून-जुलाई में होने वाला कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो गया है.

पढ़ेंः वाराणसी में हल्की बारिश ने खोली नगर निगम की पोल, सुनिए राहगीरों की जुबानी

फेल साबित हो रही मौसम विभाग की जानकारी
वहीं, पौधे लगाने के शौकीन भी मानते हैं कि पौधे लगाना बहुत अच्छा लगता है. लेकिन अगर एक भी पौधा सूखता है या धूप की वजह से जलता है तो मन बहुत दुखी होता है. यही वजह से लोगों ने इस बार घरों में पौधे लगाना ही सही नहीं समझा. जिसके कारण नर्सरी कारोबार प्रभावित हुआ है. वहीं, मौसम की बात की जाए तो 2 दिन से उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में बारिश हो रही है लेकिन यहां बारिश पर्याप्त नहीं है. वाराणसी में तो बरसात के हालात बेहद ही खराब है, क्योंकि मानसून को लेकर लगातार की जा रही मौसम विभाग की भविष्यवाणी फेल साबित हुई है.

मौसम विभाग की मानें तो बनारस सहित पूर्वांचल में मौसम का यह बदला मिजाज निश्चित ही चौंकाने वाला है, क्योंकि जून के महीने में पहले से ही बारिश जरूरत से लगभग 80% कम हुई थी और जुलाई में तो 20 तारीख तक पूर्वांचल और बनारस पूरी तरह से सूखा रहा है. 1 दिन की बारिश लगभग 5% से भी कम हुई है, जो कहीं से भी किसानों और नर्सरी उद्योग के लिए फायदा पहुंचाने वाली साबित नहीं हुई है. यानी अभी भी यदि मौसम नहीं सुधरा तो नर्सरी सूख जाएगी और सरकारी तंत्र जो टारगेट हरियाली बढ़ाने के लिए इस साल लेकर चल रहा है. वह तो प्रभावित होगा ही साथ ही साथ पेड़ पौधे लगाने के शौकीनों का शौक भी खत्म हो जाएगा.

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वाराणसी: उत्तर प्रदेश समेत पूर्वांचल के अधिकांश हिस्से इस बार बारिश न होने के कारण सूखे की चपेट में हैं. जून और जुलाई के महीने में बारिश का निर्धारित मानक के अनुरूप न होना किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें पैदा करने वाला साबित हो रहा है. हालांकि मौसम ने एक-दो दिन से करवट बदला है, लेकिन बारिश अभी भी जरूरत से बेहद कम है और गर्मी, उमस ने लोगों को बेहाल कर रखा है. इन सबके बीच खेतों में जमीन फटने के साथ ही किसानों को अपनी किस्मत फूटने का डर तो सता ही रहा है. साथ ही साथ बारिश न होने की वजह से नर्सरी सूख रही हैं. सरकारी तंत्र भी इस पर ही अपने टारगेट को पूरा कर हरियाली बढ़ाने के दम भरता है.

वाराणसी में नर्सरी कारोबारी

इस बार भी योगी सरकार ने करोड़ों पौधे लगाकर नए रिकॉर्ड बनाने की तैयारी की है. वहीं, नर्सरी में लगाए गए पौधे तैयार न हो पाने की वजह से दिक्कतें पैदा होने लगी हैं. हालात यह है कि पानी की कमी से पौधे सूख रहे हैं. नर्सरी में मौजूद पौधों के साथ ही लगाए जा चुके पौधों की हालत भी खराब है. जिसे निश्चित तौर पर मेंटेन करने के लिए सरकारी तंत्र को भी कुछ करने की जरूरत है.

तेज धूप में जलकर पौधे हो रहे बर्बाद
वाराणसी के चांदपुर इंडस्ट्रियल स्टेट के पास नर्सरी का पूरा कारोबार होता है. सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के अधिकांश हिस्सों में यहीं से तैयार किए गए पौधे भेजे जाते हैं. आसपास के जिलों में सरकारी आर्डर भी यहीं से पूरे होते हैं. लेकिन लगातार तेज धूप भीषण गर्मी और उमस ने पौधों को बदहाली की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है. तेज धूप की वजह से पौधे जलकर बर्बाद हो रहे हैं. मिट्टी सूखने की वजह से खोदकर बोये जाने वाले पौधे अब तक लगाए ही नहीं जा सके हैं.

पढ़ेंः ग्राउंड रिपोर्टः तालाब ओवरफ्लो होने से विद्यालय में घुसा गंदा पानी, भविष्य संवारें या जान बचाएं मासूम

70 प्रतिशत नुकसान में है नर्सरी उद्योग
पूर्वांचल की बड़ी नर्सरी में शामिल बिहारी नर्सरी के अशोक मौर्य का कहना है कि इस बार आर्डर की कमी है, क्योंकि हर वर्ष जहां जून के महीने में पौधे तैयार कर उसे बेचना शुरू कर देते थे. इस बार तो स्थिति यह है कि अमरूद, कटहल, आम जामुन, नींबू ऐसे पौधे जो मिट्टी खोदकर नीचे से लगाए जाते थे. उन्हें लगाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि बारिश हुई ही नहीं है.

इसके अलावा कोलकाता समेत बाहर से स्पेशल आर्डर पर मंगाए गए पौधे इस दौर में ही डंप पर पड़े हैं, क्योंकि जो आर्डर मिले थे उन्होंने इनको लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि गर्मी की वजह से पहले ही बहुत पौधे खराब हो गए थे. इसके कारण पूरा कारोबार पिछले वर्ष की तुलना में घटकर 30% पर आ गया है. यानी नर्सरी उद्योग इस बार 70% के नुकसान में है.

पिछली बार कोरोना और इस बार सूखा ने किया बर्बाद
दूसरे नर्सरी कारोबारियों का कहना है कि सबसे बड़ा संकट बाहर से मंगाए गए पौधों के बर्बाद होने को हैं, क्योंकि कोलकाता, बेंगलुरु, पुणे से बड़ी मात्रा में सजावटी और घर में लगाने वाले पौधे मंगवाए जाते हैं. यह पौधे आ तो गए लेकिन ऑर्डर पर मंगवाए गए पौधों को लोगों ने उठाया ही नहीं है. जिसकी वजह से बड़ा नुकसान हुआ है और अपने यहां तैयार पौधे सूख कर बर्बाद हो गए हैं. जिसकी वजह से लगभग 30% पौधे खराब होने के कारण फेंकने पड़ गए हैं. नए पौधे लगाने की हिम्मत नहीं हुई है और न ही पैसा है, क्योंकि 2 साल कोविड-19 की वजह से पहले से ही कारोबार चौपट हो रखा था और इस बार बारिश न होने की वजह से जून-जुलाई में होने वाला कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो गया है.

पढ़ेंः वाराणसी में हल्की बारिश ने खोली नगर निगम की पोल, सुनिए राहगीरों की जुबानी

फेल साबित हो रही मौसम विभाग की जानकारी
वहीं, पौधे लगाने के शौकीन भी मानते हैं कि पौधे लगाना बहुत अच्छा लगता है. लेकिन अगर एक भी पौधा सूखता है या धूप की वजह से जलता है तो मन बहुत दुखी होता है. यही वजह से लोगों ने इस बार घरों में पौधे लगाना ही सही नहीं समझा. जिसके कारण नर्सरी कारोबार प्रभावित हुआ है. वहीं, मौसम की बात की जाए तो 2 दिन से उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में बारिश हो रही है लेकिन यहां बारिश पर्याप्त नहीं है. वाराणसी में तो बरसात के हालात बेहद ही खराब है, क्योंकि मानसून को लेकर लगातार की जा रही मौसम विभाग की भविष्यवाणी फेल साबित हुई है.

मौसम विभाग की मानें तो बनारस सहित पूर्वांचल में मौसम का यह बदला मिजाज निश्चित ही चौंकाने वाला है, क्योंकि जून के महीने में पहले से ही बारिश जरूरत से लगभग 80% कम हुई थी और जुलाई में तो 20 तारीख तक पूर्वांचल और बनारस पूरी तरह से सूखा रहा है. 1 दिन की बारिश लगभग 5% से भी कम हुई है, जो कहीं से भी किसानों और नर्सरी उद्योग के लिए फायदा पहुंचाने वाली साबित नहीं हुई है. यानी अभी भी यदि मौसम नहीं सुधरा तो नर्सरी सूख जाएगी और सरकारी तंत्र जो टारगेट हरियाली बढ़ाने के लिए इस साल लेकर चल रहा है. वह तो प्रभावित होगा ही साथ ही साथ पेड़ पौधे लगाने के शौकीनों का शौक भी खत्म हो जाएगा.

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