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काशी के मणिकर्णिका घाट में ठंड का कहर, दिन में अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार

उत्तर भारत में ठंड का कहर बढ़ता ही जा रहा है. पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी के कारण ठंड और कोहरे की मार से लोग परेशान हैं. ठंड का कहर काशी के महाश्मशान घाट मणिकर्णिका घाट में देखने को मिल रहा है. ठंड के कारण शाम के समय घाट में शवों की संख्या में कमी रहती है, वहीं दोपहर के समय शवों की संख्या अचानक बढ़ जा रही है.

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मणिकर्णिका घाट में रात के समय शवों की संख्या में घटी
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Published : Dec 31, 2019, 11:58 AM IST

Updated : Dec 31, 2019, 12:16 PM IST

वाराणसी: पूरे प्रदेश में ठंड का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. हर तरफ ठंड और कोहरे की मार से लोग परेशान हैं, लेकिन इन सबके बीच काशी के महाश्मशान घाट मणिकर्णिका घाट पर भी इस ठंड और शीतलहर का असर देखने को मिल रहा है. हाड़ कंपा देने वाली ठंड और शीतलहर के साथ कोहरे की वजह से दोपहर के वक्त आने वाले शवों की संख्या इतनी ज्यादा हो जा रही है कि दाह संस्कार करने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. वहीं शाम के समय शवों की संख्या में कमी देखने को मिलती है.

मणिकर्णिका घाट में रात के समय शवों की संख्या में घटी.

रात के समय शवों की संख्या घटी
दरअसल, महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर सिर्फ बनारस ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के अलग-अलग हिस्सों से लोग शव लेकर यहां पहुंचते हैं. मान्यता है कि काशी के मणिकर्णिका घाट पर मुखाग्नि मिलने के बाद मृतक को शिवलोक की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि यहां इतनी ज्यादा संख्या में शव पहुंचते हैं.

दोपहर के समय शवों की लंबी कतार
दूर-दराज से आने वाले लोगों की संख्या 24 घंटे यहां पर ऐसे ही बनी रहती है, लेकिन भीषण ठंड का असर यहां पर भी देखने को मिल रहा है. सुबह 7:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक और शाम को 5:00 बजे से लेकर अगली सुबह 5:00 बजे तक इक्का-दुक्का शव ही दाहसंस्कार के लिए पहुंच रहे हैं. सुबह 11:00 बजे के बाद अचानक से शवों की संख्या बढ़ जा रही है और शाम 5:00 बजे तक लगातार शवों के आने का सिलसिला जारी रहता है.

मणिकर्णिका घाट पर शवों का दाह संस्कार करने के लिए बनाए गए 10 प्लेटफॉर्म फुल होने के कारण बाकी शवों के दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. हालात यह है कि शवों के दाह संस्कार के लिए लोगों को घंटों वेटिंग में शव रखने पड़ रहे हैं.

वाराणसी: पूरे प्रदेश में ठंड का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. हर तरफ ठंड और कोहरे की मार से लोग परेशान हैं, लेकिन इन सबके बीच काशी के महाश्मशान घाट मणिकर्णिका घाट पर भी इस ठंड और शीतलहर का असर देखने को मिल रहा है. हाड़ कंपा देने वाली ठंड और शीतलहर के साथ कोहरे की वजह से दोपहर के वक्त आने वाले शवों की संख्या इतनी ज्यादा हो जा रही है कि दाह संस्कार करने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. वहीं शाम के समय शवों की संख्या में कमी देखने को मिलती है.

मणिकर्णिका घाट में रात के समय शवों की संख्या में घटी.

रात के समय शवों की संख्या घटी
दरअसल, महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर सिर्फ बनारस ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के अलग-अलग हिस्सों से लोग शव लेकर यहां पहुंचते हैं. मान्यता है कि काशी के मणिकर्णिका घाट पर मुखाग्नि मिलने के बाद मृतक को शिवलोक की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि यहां इतनी ज्यादा संख्या में शव पहुंचते हैं.

दोपहर के समय शवों की लंबी कतार
दूर-दराज से आने वाले लोगों की संख्या 24 घंटे यहां पर ऐसे ही बनी रहती है, लेकिन भीषण ठंड का असर यहां पर भी देखने को मिल रहा है. सुबह 7:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक और शाम को 5:00 बजे से लेकर अगली सुबह 5:00 बजे तक इक्का-दुक्का शव ही दाहसंस्कार के लिए पहुंच रहे हैं. सुबह 11:00 बजे के बाद अचानक से शवों की संख्या बढ़ जा रही है और शाम 5:00 बजे तक लगातार शवों के आने का सिलसिला जारी रहता है.

मणिकर्णिका घाट पर शवों का दाह संस्कार करने के लिए बनाए गए 10 प्लेटफॉर्म फुल होने के कारण बाकी शवों के दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. हालात यह है कि शवों के दाह संस्कार के लिए लोगों को घंटों वेटिंग में शव रखने पड़ रहे हैं.

Intro:स्पेशल:

रैप से भेजी गई है।

वाराणसी: ठंड का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है हालात यह हैं कि ना ही घर में चयन है और ना बाहर राहत हर तरफ ठंड और कोहरे की मार से लोग परेशान हैं, लेकिन इन सबके बीच अगर हम आपसे यह कहें कि महाश्मशान पर भी इस ठंड और शीतलहर का असर देखने को मिल रहा है, तो सुनकर चौकियगा मत क्योंकि धर्म नगरी वाराणसी में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर हाड़ कपा देने वाली ठंड और शीतलहर के साथ कोहरे की वजह से दोपहर के वक्त आने वाले शवों की संख्या इतनी ज्यादा हो जा रही है कि दाह संस्कार करने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. हालात ये हैं कि दो 2 घंटे की वेटिंग है और हर कोई अपनों का दाह संस्कार कर सही सलामत अपने घर जाना चाह रहा है.Body:वीओ-01 दरअसल महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के अलावा देश के अलग-अलग कोने और कभी-कभी दुनिया भर के अलग-अलग हिस्सों से भी लोग अपनों का शव लेकर पहुंचते हैं. मान्यता है कि काशी के इस स्थान पर मुखाग्नि मिलने के बाद शिवलोक की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि यहां इतनी ज्यादा संख्या में शव पहुंचते हैं.Conclusion:वीओ-02 दूर-दूर से आने वाले लोगों की संख्या 24 घंटे यहां पर ऐसे ही बनी रहती है लेकिन भीषण ठंड का असर महाश्मशान मणिकर्णिका पर भी देखने को मिल रहा है सुबह 7:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक और शाम को 5:00 बजे से लेकर दूसरे दिन अल सुबह 5:00 बजे तक इक्का-दुक्का शव ही मणिकर्णिका पर दाहसंस्कार के लिए पहुंच रहे हैं. जिसका असर यह हो रहा है कि 11:00 बजे के बाद सुबह अचानक से शवों की संख्या बढ़ जा रही है और शाम 5:00 बजे तक लगातार शवों के आने का सिलसिला जारी रहा है. जिसकी वजह से महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शवों का दाह संस्कार करने के लिए बनाए गए 10 प्लेटफॉर्म फुल होने के कारण बाकी शवों के दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. हालात यह है कि शवों के दाह संस्कार के लिए लोगों को घंटो घंटो वेटिंग में शव रखने पड़ रहे हैं.

बाईट- राकेश कुमार सिंह, शवयात्री
बाईट- सुनील विश्वकर्मा, शवयात्री


गोपाल मिश्र

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Last Updated : Dec 31, 2019, 12:16 PM IST
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