वाराणसी: कोरोना संक्रमण के चलते काशी में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. यही वजह है कि नगर निगम कार्यालय में इन दिनों मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ गई है. अधिकारियों का कहना है कि पहले जहां चार से 10 लोगों का एप्लीकेशन ही आता था, वहीं अब 200 से 250 एप्लीकेशन नगर निगम कार्यालय को प्राप्त हो रहे हैं.
बता दें कि बीते एक से डेढ़ महीने से काशी में लगातार मौतें हो रही हैं. यह मौतें कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति की वजह से हुई है. श्मशान घाटों से लेकर कब्रगाह तक, हर जगह से लोगों में अपनों के खोने का दर्द और सिस्टम के प्रति गुस्सा लगातार देखने को मिल रहा है. हालांकि प्रशासनिक आंकड़ों में स्थिति सुधर रही है. रोज आने वाले संक्रमित मरीजों की संख्या भी कम हो रही है, लेकिन मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. इसकी तस्दीक सिर्फ श्मशान घाट पर जलती चिताएं ही नहीं, बल्कि नगर निगम कार्यालय पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अचानक से बढ़ गई एप्लीकेशन की संख्या भी बयां कर रही है.
अचानक से बढ़ गया लोड
वाराणसी नगर निगम को इन दिनों एक नहीं बल्कि कई काम करने पड़ रहे हैं. एक तरफ जहां नगर की साफ सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त रखना है तो वहीं संक्रमण को कम करने के लिए सैनिटाइजेशन भी करवाना है. इन सबके बीच मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. हालांकि सिस्टम ऑनलाइन हो चुका है. लोगों को कार्यालय तक पहुंचने की जरूरत नहीं होती, लेकिन अलग-अलग जोन में बैठे बनारस के नगर निगम सिस्टम को अचानक से मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
पहले के मुकाबले बढ़ गई आवेदन की संख्या
आंकड़ों पर गौर करें तो फरवरी मार्च में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 2 हजार के आसपास था, जबकि अप्रैल में ये तेजी से बढ़ा. हालात ये हैं कि अप्रैल में 900 प्रमाण पत्र जारी हो चुके हैं, जबकि 10 मई तक 1600 से ज्यादा मृत्यु के आवेदन का प्रमाण पत्र बनाना बाकी है. अधिकारी बताते हैं कि पहले जहां प्रतिदिन चार से पांच एप्लीकेशन मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आते थे, वहीं अब 200 से 250 तक आवेदन आ रहे हैं.
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अलग-अलग 5 जोन में बंटे नगर निगम सिस्टम को शहरी क्षेत्र में संचालित किया जाता है. हर नगर निगम के जोन कार्यालय पर ऑनलाइन आवेदन आने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार करके उसे वहां भेज दिया जाता है, ताकि लोगों को नगर निगम कार्यालय का चक्कर न करना पड़े.