वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी विश्व में अपनी अलग पहचान रखती है. यहां होने वाले विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान सनातन धर्म में अपना अलग ही महत्व रखते हैं. ऐसे ही धार्मिक अनुष्ठानों में से एक है काशी में होने वाली पंचक्रोशी यात्रा.
जी हां ! यह यात्रा अपने आप में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पांच पड़ाव के साथ 84 किलोमीटर की इस यात्रा को वाराणसी की धार्मिक यात्राओं में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. पांच कोश की इस यात्रा के पड़ाव पर पड़ने वाले प्राचीन मंदिर कुंड तालाब और यहां के वर्तमान इंफ्रास्ट्रक्चर को बदलने की कवायद अब शुरू होने जा रही है. इसे लेकर योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में पंचक्रोशी यात्रा के विकास का प्लान तैयार हुआ. अब यह प्लान धरातल पर उतरने को तैयार है जबकि इसकी जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंपी गई है.
इस दौरान पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया कि वाराणसी में होने वाली पंचक्रोशी यात्रा काशी की सबसे प्राचीन और पौराणिक यात्राओं में से एक मानी जाती है. यात्रा में शामिल पांच पड़ाव काशी में अपनी अलग पहचान रखते हैं. पहला पड़ाव कंदवा, दूसरा भीमचंडी, तीसरा रामेश्वर, चौथा शिवपुर और पांचवां पड़ाव कपिलधारा के रूप में जाना जाता है. यह सभी स्थान काशी में अति प्राचीन वक्त से मौजूद हैं और यात्राओं के लिए यहां बहुत सी धर्मशालाएं भी हैं जो आज भी अपनी पुरानी स्थिति में ही हैं.
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कहा जाता है कि अधिकांश धर्मशालाओं में क्षेत्रीय दबंगों का कब्जा था जिसे अब खाली कराया जा चुका है. पर्यटन अधिकारी का कहना है कि इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए यूपीपीसीएल को कार्यदाई संस्था के रूप में चुना गया है. इस संस्था को बदलने की कवायद सरकार बनने के बाद हुई थी लेकिन वर्तमान पर्यटन मंत्री की तरफ से पुरानी संस्था को ही आगे बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं. इस बाबत 40 करोड़ के बजट को मंजूरी भी दे दी गई है. इसके तहत हर पड़ाव के सापेक्ष 10 लाख का पहला हिस्सा रिलीज भी किया जा चुका है. अगले सप्ताह से इस दिशा में कार्य भी शुरू हो जाएगा.
इस प्रोजेक्ट के पूरे प्लान के मुताबिक पंचकोशी परिक्रमा के पहले पड़ाव कंदवा के लिए सात करोड़ 22 लाख, दूसरे पड़ाव भीमचंडी के लिए आठ करोड़ 58 लाख, तीसरे पड़ाव रामेश्वर के लिए आठ करोड़ 70 लाख, चौथे पढ़ाव शिवपुर के लिए आठ करोड़ 45 लाख और पांचवें एवं अंतिम पड़ाव कपिलधारा के लिए 38 लाख स्वीकृत हुए हैं. पर्यटन अधिकारी का कहना है कि इस पंचक्रोशी यात्रा को एक नया रूप मिलने के बाद यहां पर 84 किलोमीटर यानी 25 कोस की यात्रा करना आसान भी होगा और सुविधाओं के बढ़ने की वजह से यात्रियों को परेशानियों का सामना भी नहीं करना पड़ेगा.
जानें क्या होती है पंचकोशी यात्रा : गौरतलब है कि काशी में होने वाली पंचकोशी यात्रा 25 कोस यानी 84 किलोमीटर में पूरी होने वाली पौराणिक यात्रा मानी जाती है. यह 5 दिनों में पूरी करने वाली यात्रा कही जाती है. इसमें हर अलग-अलग पड़ाव पर रात्रि विश्राम करने के साथ लोग भजन कीर्तन करते हुए अपनी यात्रा को पूर्ण करते हैं. हर अलग-अलग पड़ाव पर स्थित शिवालय में दर्शन पूजन के बाद खाना पकाने से लेकर भजन और भोजन का बेहतर प्रबंध करने की तैयारी हर यात्री अपने स्तर पर करता है.
पौराणिक समय से चल रही इस यात्रा का रूप आज भी उसी आधार पर लोगों द्वारा बनाया गया है. हालांकि अधिकांश धर्मशालाओं पर कब्जा होने और व्यवस्था खराब होने की वजह से यात्री बड़ा परेशान रहते थे. अब एक बार फिर से इस यात्रा को नया रूप मिलने से बनारस की पौराणिक यात्रा और काशी की धरोहर को बचाने का काम किया जा सकेगा.
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