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काशी में गंगा पार टेंट सिटी के निर्माण पर NGT ने लगाई रोक, जजों ने नाराजगी जताते हुए उठाए सवाल और मांगा जवाब - Prime Minister Narendra Modi

वाराणसी में गंगा किनारे बसने वाली आलीशान टेंट सिटी इस बार सवालों के घेरे में आ गई है. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal) ने अगले आदेश तक टेंट सिटी के निर्माण पर रोक लगा दी है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 21, 2023, 8:46 PM IST

अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने दी जानकारी.

वाराणसी: गंगा उस पार बनाए जाने वाली टेंट सिटी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NHG) ने अब रोक लगा दी है. इसी साल जनवरी में टेंट सिटी पहली बार रेत पर बसाई गई थी और पर्यटकों को खींचने के लिए यह योजना हर साल आगे बढ़ाने की प्लानिंग थी. इस बार भी अगले महीने से टेंट सिटी बसाई जाने की तैयारी शुरू हो गई थी. लेकिन इसके पहले वाराणसी के याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी की तरफ से एनजीटी में टेंट सिटी के खिलाफ याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए आज एनजीटी कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है.

जवाब देने के लिए 30 अक्टूबर का समय दियाः बता दें कि जनवरी 2023 में रेत पर टेंट सिटी बसाई गई थी, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. तुषार गोस्वामी की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए एनजीटी ने बेहद सख्त रुख दिखाया है और 30 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई के लिए डेट निर्धारित की है. तब तक एनजीटी ने टेंट सिटी बसाए जाने और निर्माण करने पर रोक लगा दिया है. इतना ही नहीं एनजीटी के चार जजों ने तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, वाराणसी विकास प्राधिकरण, राज्य सरकार की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए दिए गए अनापत्ति पर भी कड़ा रुख अपनाया है. साथ ही इस पर सवाल उठाए हैं और जवाब देने के लिए 30 अक्टूबर का समय दिया है.

सारे कछुए अब कहां हैः गंगा उस पार बसाई जा रही टेंट सिटी के मामले में जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा ने कछुआ सेंचुरी को डिनोटिफाई करने का आदेश दिया था. इस पर सवाल उठाते हुए चार जजों ने ट्रिब्यूनल है पूछा कि अगर कछुआ सेंचुरी अपने डिनोटिफाई किया है तो वह सारे कछुए अब कहां है, क्या आपने स्थिति के बारे में कोई जानकारी दी है. इस बारे में याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी के वकील सौरभ तिवारी ने बताया कि बहस के दौरान ट्रिब्यूनल के जज ने जब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से टेंट सिटी के एस्टेब्लिशमेंट और ऑपरेशन के सर्टिफिकेट के बारे में पूछा तो जो जवाब जो दाखिल किया गया है. वह चौंकाने वाला है.

इसे भी पढ़ें-बनारस में टेंट सिटी तैयार, मिनी काशी में दिखेगा अध्यात्म और संस्कृति का समागम



एक रात के लिए 40 हजार किराए पर उठाए सवालः राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने जवाब में कहा है कि एस्टेब्लिशमेंट के लिए उन्होंने एनओसी जारी की लेकिन ऑपरेशन के लिए सर्टिफिकेट नहीं दिया था. इस पर सवाल उठाते हुए एनजीटी के जजों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को अगली सुनवाई में तलब किया है. फिलहाल 30 अक्टूबर तक इस पर रोक लगा दी गई है और तब तक गंगा पार रेट पर किसी तरह की टेंट सिटी का निर्माण नहीं कराया जा सकेगा. सुनवाई के दौरान वाराणसी विकास प्राधिकरण के वकील अमित तिवारी ने धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष को रखते हुए टेंट सिटी को आम पब्लिक से जोड़ने की बात कही. जिस पर ट्रिब्यूनल बेंच ने टिप्पणी करते हुए टेंट सिटी के भारी भरकम किराए का भी जिक्र किया और कहा कि जब 40000 एक रात खर्च करके कोई व्यक्ति वहां रखेगा तो वह आम आदमी कैसे हो सकता है.

इसे भी पढ़ें-वाराणसी टेंट सिटी को लेकर एनजीटी गंभीर, शिकायतों पर नोटिस जारी करने का आदेश

अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने दी जानकारी.

वाराणसी: गंगा उस पार बनाए जाने वाली टेंट सिटी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NHG) ने अब रोक लगा दी है. इसी साल जनवरी में टेंट सिटी पहली बार रेत पर बसाई गई थी और पर्यटकों को खींचने के लिए यह योजना हर साल आगे बढ़ाने की प्लानिंग थी. इस बार भी अगले महीने से टेंट सिटी बसाई जाने की तैयारी शुरू हो गई थी. लेकिन इसके पहले वाराणसी के याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी की तरफ से एनजीटी में टेंट सिटी के खिलाफ याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए आज एनजीटी कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है.

जवाब देने के लिए 30 अक्टूबर का समय दियाः बता दें कि जनवरी 2023 में रेत पर टेंट सिटी बसाई गई थी, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. तुषार गोस्वामी की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए एनजीटी ने बेहद सख्त रुख दिखाया है और 30 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई के लिए डेट निर्धारित की है. तब तक एनजीटी ने टेंट सिटी बसाए जाने और निर्माण करने पर रोक लगा दिया है. इतना ही नहीं एनजीटी के चार जजों ने तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, वाराणसी विकास प्राधिकरण, राज्य सरकार की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए दिए गए अनापत्ति पर भी कड़ा रुख अपनाया है. साथ ही इस पर सवाल उठाए हैं और जवाब देने के लिए 30 अक्टूबर का समय दिया है.

सारे कछुए अब कहां हैः गंगा उस पार बसाई जा रही टेंट सिटी के मामले में जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा ने कछुआ सेंचुरी को डिनोटिफाई करने का आदेश दिया था. इस पर सवाल उठाते हुए चार जजों ने ट्रिब्यूनल है पूछा कि अगर कछुआ सेंचुरी अपने डिनोटिफाई किया है तो वह सारे कछुए अब कहां है, क्या आपने स्थिति के बारे में कोई जानकारी दी है. इस बारे में याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी के वकील सौरभ तिवारी ने बताया कि बहस के दौरान ट्रिब्यूनल के जज ने जब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से टेंट सिटी के एस्टेब्लिशमेंट और ऑपरेशन के सर्टिफिकेट के बारे में पूछा तो जो जवाब जो दाखिल किया गया है. वह चौंकाने वाला है.

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एक रात के लिए 40 हजार किराए पर उठाए सवालः राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने जवाब में कहा है कि एस्टेब्लिशमेंट के लिए उन्होंने एनओसी जारी की लेकिन ऑपरेशन के लिए सर्टिफिकेट नहीं दिया था. इस पर सवाल उठाते हुए एनजीटी के जजों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को अगली सुनवाई में तलब किया है. फिलहाल 30 अक्टूबर तक इस पर रोक लगा दी गई है और तब तक गंगा पार रेट पर किसी तरह की टेंट सिटी का निर्माण नहीं कराया जा सकेगा. सुनवाई के दौरान वाराणसी विकास प्राधिकरण के वकील अमित तिवारी ने धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष को रखते हुए टेंट सिटी को आम पब्लिक से जोड़ने की बात कही. जिस पर ट्रिब्यूनल बेंच ने टिप्पणी करते हुए टेंट सिटी के भारी भरकम किराए का भी जिक्र किया और कहा कि जब 40000 एक रात खर्च करके कोई व्यक्ति वहां रखेगा तो वह आम आदमी कैसे हो सकता है.

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