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सावधान: बच्चों के लिए खतरनाक है कोरोना का नया स्ट्रेन - बीएचयू ने नए स्ट्रेन पर किया शोध

कोरोना की मार झेल रही पूरी दुनिया अब नए स्ट्रेन से खौफ में है. लोगों के अंदर इस नए स्ट्रेन का डर है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और ब्रिटेन के ऑफिस ऑफ नेशनल स्टैटिक्स के संयुक्त अध्ययन में यह सामने आया है कि नया स्ट्रेन बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है.

नए स्ट्रेन का खौफ
नए स्ट्रेन का खौफ
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Published : Jan 9, 2021, 8:58 PM IST

वाराणसी: पूरा विश्व एक तरफ जहां वैश्विक महामारी से लड़ रहा है वहीं कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन लोगों में भय पैदा कर रहा है. ऐसे में वैज्ञानिकों की माने तो यह नया स्ट्रेन बड़े, बुजुर्गों की अपेक्षा बच्चों और युवाओं को तेजी से अपना शिकार बना रहा है. ब्रिटेन और बीएचयू के वैज्ञानिकों ने लोगों को आयु समूह में बांट कर इस पर शोध किया. 86 हजार लोगों पर किए गए अध्ययन में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट कम उम्र के व्यक्तियों में ज्यादा हमलावर है.

बीएचयू ने किया शोध
ब्रिटेन में संक्रमण ज्यादा

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और ब्रिटेन के ऑफिस ऑफ नेशनल स्टैटिक्स के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक 7 से 11 वर्ष की समूह में नया स्ट्रेन पुराने स्ट्रेन के मुकाबले 65% ज्यादा है. अध्ययन के मुताबिक ब्रिटेन में पहले यह संक्रमण 10 लोगों से 11 लोगों में फैल रहा था. जबकि नए स्ट्रेन के शिकार लोग 18 व्यक्तियों को संक्रमित कर रहे हैं.

नए स्ट्रेन के लोग भारत में कम

प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि नए स्ट्रेन के लोग भारत में कम हैं. अगर हम पिछले स्ट्रेन की बात करें तो जो 50 से ज्यादा उम्र वाले थे. उनको यह इंफेक्शन ज्यादा हो रहा था. अब हम देख रहे हैं कि 12 से 24 साल के जो बच्चे हैं. उनके अंदर यह इंफेक्शन 65 % से ज्यादा बढ़ गया है. नया स्ट्रेन बच्चों को ज्यादा अपना शिकार बना रहा है. पुराने कोविड-19 की बात करें तो वह बच्चों में सबसे कम पाया जा रहा था.

बीसीजी का वैक्सीन मददगार

प्रोफेसर चौबे ने बताया कि बीसीजी का वैक्सीन बहुत मददगार है. बच्चों के साथ हमारे यहां सब को यह वैक्सीन लगती है. बच्चों में संक्रमण की संख्या सबसे ज्यादा है. बाकी और लोगों में कम है.



वाराणसी: पूरा विश्व एक तरफ जहां वैश्विक महामारी से लड़ रहा है वहीं कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन लोगों में भय पैदा कर रहा है. ऐसे में वैज्ञानिकों की माने तो यह नया स्ट्रेन बड़े, बुजुर्गों की अपेक्षा बच्चों और युवाओं को तेजी से अपना शिकार बना रहा है. ब्रिटेन और बीएचयू के वैज्ञानिकों ने लोगों को आयु समूह में बांट कर इस पर शोध किया. 86 हजार लोगों पर किए गए अध्ययन में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट कम उम्र के व्यक्तियों में ज्यादा हमलावर है.

बीएचयू ने किया शोध
ब्रिटेन में संक्रमण ज्यादा

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और ब्रिटेन के ऑफिस ऑफ नेशनल स्टैटिक्स के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक 7 से 11 वर्ष की समूह में नया स्ट्रेन पुराने स्ट्रेन के मुकाबले 65% ज्यादा है. अध्ययन के मुताबिक ब्रिटेन में पहले यह संक्रमण 10 लोगों से 11 लोगों में फैल रहा था. जबकि नए स्ट्रेन के शिकार लोग 18 व्यक्तियों को संक्रमित कर रहे हैं.

नए स्ट्रेन के लोग भारत में कम

प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि नए स्ट्रेन के लोग भारत में कम हैं. अगर हम पिछले स्ट्रेन की बात करें तो जो 50 से ज्यादा उम्र वाले थे. उनको यह इंफेक्शन ज्यादा हो रहा था. अब हम देख रहे हैं कि 12 से 24 साल के जो बच्चे हैं. उनके अंदर यह इंफेक्शन 65 % से ज्यादा बढ़ गया है. नया स्ट्रेन बच्चों को ज्यादा अपना शिकार बना रहा है. पुराने कोविड-19 की बात करें तो वह बच्चों में सबसे कम पाया जा रहा था.

बीसीजी का वैक्सीन मददगार

प्रोफेसर चौबे ने बताया कि बीसीजी का वैक्सीन बहुत मददगार है. बच्चों के साथ हमारे यहां सब को यह वैक्सीन लगती है. बच्चों में संक्रमण की संख्या सबसे ज्यादा है. बाकी और लोगों में कम है.



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