वाराणसी: काशी के मंदिरों की एक अलग ही पहचान है. देश दुनिया से लोग काशी की परंपराओं से आकर्षित होकर चले आते है. वहीं दूसरी ओर आधुनिकता से जुड़ना काशी वासियों की हमेशा से खूबी रही है. ऐसी ही एक खूबी सामने निकल कर आई है.
मंदिर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग-
- जिले के एक मंदिर में पूजा अर्चना के साथ वाटर हार्वेस्टिंग भी की जाती है.
- काशी के रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर वापस से धरती के नीचे भेजा जा रहा है.
- यहां पर भक्तों का मानना है कि इससे जल का संचय होगा.
- वहीं दूसरा ओर महादेव पर जो शहद दूध दही चढ़ता है वह लोगों के पैरों के नीचे या सीवर में ना जाकर वापस धरती में ही चला जाएगा.
- लोगों का मानना है कि महादेव के ऊपर चढ़ा हुआ यह चरणामृत पानी के लेवल को बढ़ाने में मदद करेगा.
- मंदिर में महादेव पर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर एक पाइप के जरिए नीचे वापस धरती में डाल दिया जाता है.
मंदिर में आए भक्तों का माना है कि जो जल नालियों के सहारे सीवर में होकर मां गंगा तक जाता था, उसी जल का संचय करने के लिए यह नया तरीका अपनाया गया है. रेन वाटर हार्वेस्टिंग की तर्ज पर महादेव के ऊपर चढ़ाए जाने वाले जल की भी हार्वेस्टिंग की जा रही है.
वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इस जल संचय की तारीफ की है. साथ ही इस बात की ओर इशारा किया है कि आगे आने वाले दिनों में सभी देवालयओं में इस तरह से वाटर हार्वेस्टिंग की जाएगी. बाबा के ऊपर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर वापस धरती की गोद में भेज दिया जाएगा.