ETV Bharat / state

वाराणसी: महादेव भी अब कर रहे हैं 'वाटर हार्वेस्टिंग', काशी के देवालयों में शुरू हुई नई पहल

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एक मंदिर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य शुरू हुआ है. लोगों का मानना है की भगवान पर चढ़ाए जाने वाले जल को वापस धरती की गोद में भेजने से पानी के लेवल को बढ़ाने में मदद होगी.

मंदिर में हो रहा रेन वाटर हार्वेस्टिंग.
author img

By

Published : Aug 3, 2019, 11:33 AM IST

वाराणसी: काशी के मंदिरों की एक अलग ही पहचान है. देश दुनिया से लोग काशी की परंपराओं से आकर्षित होकर चले आते है. वहीं दूसरी ओर आधुनिकता से जुड़ना काशी वासियों की हमेशा से खूबी रही है. ऐसी ही एक खूबी सामने निकल कर आई है.

मंदिर में हो रहा रेन वाटर हार्वेस्टिंग.

मंदिर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग-

  • जिले के एक मंदिर में पूजा अर्चना के साथ वाटर हार्वेस्टिंग भी की जाती है.
  • काशी के रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर वापस से धरती के नीचे भेजा जा रहा है.
  • यहां पर भक्तों का मानना है कि इससे जल का संचय होगा.
  • वहीं दूसरा ओर महादेव पर जो शहद दूध दही चढ़ता है वह लोगों के पैरों के नीचे या सीवर में ना जाकर वापस धरती में ही चला जाएगा.
  • लोगों का मानना है कि महादेव के ऊपर चढ़ा हुआ यह चरणामृत पानी के लेवल को बढ़ाने में मदद करेगा.
  • मंदिर में महादेव पर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर एक पाइप के जरिए नीचे वापस धरती में डाल दिया जाता है.

मंदिर में आए भक्तों का माना है कि जो जल नालियों के सहारे सीवर में होकर मां गंगा तक जाता था, उसी जल का संचय करने के लिए यह नया तरीका अपनाया गया है. रेन वाटर हार्वेस्टिंग की तर्ज पर महादेव के ऊपर चढ़ाए जाने वाले जल की भी हार्वेस्टिंग की जा रही है.


वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इस जल संचय की तारीफ की है. साथ ही इस बात की ओर इशारा किया है कि आगे आने वाले दिनों में सभी देवालयओं में इस तरह से वाटर हार्वेस्टिंग की जाएगी. बाबा के ऊपर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर वापस धरती की गोद में भेज दिया जाएगा.

वाराणसी: काशी के मंदिरों की एक अलग ही पहचान है. देश दुनिया से लोग काशी की परंपराओं से आकर्षित होकर चले आते है. वहीं दूसरी ओर आधुनिकता से जुड़ना काशी वासियों की हमेशा से खूबी रही है. ऐसी ही एक खूबी सामने निकल कर आई है.

मंदिर में हो रहा रेन वाटर हार्वेस्टिंग.

मंदिर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग-

  • जिले के एक मंदिर में पूजा अर्चना के साथ वाटर हार्वेस्टिंग भी की जाती है.
  • काशी के रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर वापस से धरती के नीचे भेजा जा रहा है.
  • यहां पर भक्तों का मानना है कि इससे जल का संचय होगा.
  • वहीं दूसरा ओर महादेव पर जो शहद दूध दही चढ़ता है वह लोगों के पैरों के नीचे या सीवर में ना जाकर वापस धरती में ही चला जाएगा.
  • लोगों का मानना है कि महादेव के ऊपर चढ़ा हुआ यह चरणामृत पानी के लेवल को बढ़ाने में मदद करेगा.
  • मंदिर में महादेव पर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर एक पाइप के जरिए नीचे वापस धरती में डाल दिया जाता है.

मंदिर में आए भक्तों का माना है कि जो जल नालियों के सहारे सीवर में होकर मां गंगा तक जाता था, उसी जल का संचय करने के लिए यह नया तरीका अपनाया गया है. रेन वाटर हार्वेस्टिंग की तर्ज पर महादेव के ऊपर चढ़ाए जाने वाले जल की भी हार्वेस्टिंग की जा रही है.


वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इस जल संचय की तारीफ की है. साथ ही इस बात की ओर इशारा किया है कि आगे आने वाले दिनों में सभी देवालयओं में इस तरह से वाटर हार्वेस्टिंग की जाएगी. बाबा के ऊपर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर वापस धरती की गोद में भेज दिया जाएगा.

Intro:वाराणसी। काशी में मंदिरों की एक अपनी ही अलग दुनिया है लेकिन उस मंदिर में परंपरा को आधुनिकता से जोड़ना काशी वासियों की हमेशा से खूबी रही है ठीक है ऐसा ही है वाकया सामने आया जब महादेव के एक मंदिर में वाटर हार्वेस्टिंग होती दिखाई दी काशी में महादेव का यह रामेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यहां जल का संचय किया जा रहा है।


Body:VO1: महादेव के रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर वापस से धरती के नीचे भेजा जा रहा है। यहां पर भक्तों का कहना है कि इससे जल का संचय तो हो ही रहा है इसके साथ ही महादेव पर जो शहद दूध दही चढ़ता है वह लोगों के पैरों के नीचे या सीवर में ना जाकर वापस धरती में ही समा जा रहा है। लोगों का कहना है कि इस जल को पाताल लोक वापस भेजा जा रहा है जिससे महादेव के ऊपर चढ़ा हुआ यह चरणामृत पानी के लेवल को बढ़ाने में मदद करें। वाटर हार्वेस्टिंग के लिए इस मंदिर में महादेव पर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर एक पाइप के जरिए नीचे वापस धरती में डाल दिया जाता है। मंदिर में आए भक्तों का माना है कि जो जल नालियों के सहारे सीवर में होकर मां गंगा तक जाता था उसी जल का संचय करने के लिए यह नया तरीका अपनाया गया है। जिसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की तर्ज पर महादेव के ऊपर चढ़ाए जाने वाले जल की भी हार्वेस्टिंग की जा रही है और महादेव को जल चढ़ाने के बाद इस जल के साथ ही दूध दही शहद जैसी और चीजें धरती में चली जाती है और जिसे हम महादेव का चरणामृत कहते हैं वह वापस मा धरती के सुपुर्द हो रहा है।

बाइट: धीरज शर्मा, शिव भक्त


Conclusion:VO2: गौरतलब है कि वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इस जल संचय की तारीफ करते हुए इस बात की ओर इशारा किया है कि आगे आने वाले दिनों में सभी देवालय ओं में इस तरह से वाटर हार्वेस्टिंग की जाएगी और बाबा के ऊपर चढ़ाए जाने वाले जल को एकत्रित कर वापस धरती की गोद में भेज दिया जाएगा। कुछ दिनों में अगर सब चीजें सही रहती हैं तो जिला अधिकारी का कहना है कि विश्वनाथ कॉरिडोर में भी इस प्रोजेक्ट को लाया जाएगा और बाबा विश्वनाथ के ऊपर चढ़ने वाले जल को भी इसी तरह से धरती में पाताल लोक में भेज दिया जाएगा।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.