वाराणसीः ज्ञानवापी मस्जिद-मन्दिर मामले में एक नया दावा वाराणसी के सिविल कोर्ट में पेश किया गया. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि मस्जिद के पिछले भाग में श्रृंगार गौरी माता विराजमान हैं. इस मंदिर में साल में एक बार पूजा करने की अनुमति है. इसे आदिविश्वेश्वर के नाम से शिवपुराण और स्कन्द पुराण में वर्णित किया गया है. यह नया दावा श्रृंगार गौरी मंदिर की तरफ से दायर किया गया है.
इस दावे में मूल रूप से ये मांग की गई है कि जो प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, जिसकी वजह से 22 साल तक ये मुकदमा अटका हुआ है. उसकी संवैधानिक वैलिडिटी को चैलेंज किया है. इस दावे में कहा गया है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 संविधान की धारा 25 के खिलाफ है और crpc की धारा 27 A के तहत हम प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की संवैधानिक वैलिडिटी को सिविल कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं.
इस मामले के वकील हरिशंकर जैन के बताया कि मैंने एक नया दावा दायर किया. इसमें मां श्रृंगार गौरी स्थान आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग उसमें वादी हैं. राज्य सरकार प्रतिवादी है और उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो 1983 का जो काशी विश्वनाथ एक्ट है. उसमें मंदिर की व्याख्या की गई है. मन्दिर की व्याख्या में ये कहा गया है कि यहां आदिविश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग है. उन्होंने कहा कि आदिविश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग आज जो वर्तमान में काशी विश्वनाथ मंदिर है वो नहीं है. ये 1780 में रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. ओरिजनल ज्ञानवापी मन्दिर है, जो मुस्लिमानों ने कब्जे में दबा रखा है.