वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग विभाग कला संकाय द्वारा 1 और 2 फरवरी को साइंस ऑफ फुटवियर पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. दो दिवसीय नेशनल वर्कशॉप का रविवार को समापन हुआ. कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य पैरों की समीक्षा करने वाले वैज्ञानिकों का कौशल का विकास करना है. इसके साथ ही कार्यशाला में जूते के कारण खेल प्रदर्शन पर पड़ने वाले प्रभाव और किस प्रकार से उचित जूते का चयन किया जाए, इस पर भी चर्चा की गई.
फुटवियर के बारे में दी गई जानकारी
- वर्कशॉप में शोध विद्यार्थियों ने इस बात को जाना कि किस व्यक्ति को किस तरह के फुटवियर पहनने चाहिए.
- खिलाड़ियों को किस तरह के फुटवियर और कैसे पहनना चाहिए, क्योंकि हमारे शरीर का अधिकतम भाग हमारे पैरों पर होता है.
- अगर हमारा फुटवियर ठीक नहीं होगा तो हमारे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ेगा आदि विषयों पर चर्चा की गई.
- यह दो दिवसीय वर्कशॉप थी, जिसमें छात्र-छात्रा, शोध विद्यार्थी, प्रोफेसरों भी सम्मिलित हुए.
- इस वर्कशॉप का उद्देश्य था कि हम जो फुटवियर पहनते हैं, उसके बारे में जान सकें.
- बचपन में फुटवियर पहनने के कारण जो डिजीज हमें हो जाती है, उसका मॉडल बनाकर भी प्रदर्शित किया गया
- 6 विशेषज्ञ अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और लेदर कंपनियों से आए थे, जिन्होंने फुटवियर के बारे में जानकारी दी.