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वाराणसी: बीएचयू साइंस ऑफ फुटवियर वर्कशॉप में छात्रों ने जाना कैसे पहने फुटवियर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा साइंस ऑफ फुटवियर पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस वर्कशॉप में बताया गया कि लोगों को किस तरह के फुटवियर पहनने चाहिए.

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फुटवियर वर्कशॉप में छात्रों ने जाना कैसे फुटवेयर पहने.
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Published : Feb 2, 2020, 2:35 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग विभाग कला संकाय द्वारा 1 और 2 फरवरी को साइंस ऑफ फुटवियर पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. दो दिवसीय नेशनल वर्कशॉप का रविवार को समापन हुआ. कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य पैरों की समीक्षा करने वाले वैज्ञानिकों का कौशल का विकास करना है. इसके साथ ही कार्यशाला में जूते के कारण खेल प्रदर्शन पर पड़ने वाले प्रभाव और किस प्रकार से उचित जूते का चयन किया जाए, इस पर भी चर्चा की गई.

फुटवियर वर्कशॉप का आयोजन.

फुटवियर के बारे में दी गई जानकारी

  • वर्कशॉप में शोध विद्यार्थियों ने इस बात को जाना कि किस व्यक्ति को किस तरह के फुटवियर पहनने चाहिए.
  • खिलाड़ियों को किस तरह के फुटवियर और कैसे पहनना चाहिए, क्योंकि हमारे शरीर का अधिकतम भाग हमारे पैरों पर होता है.
  • अगर हमारा फुटवियर ठीक नहीं होगा तो हमारे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ेगा आदि विषयों पर चर्चा की गई.
  • यह दो दिवसीय वर्कशॉप थी, जिसमें छात्र-छात्रा, शोध विद्यार्थी, प्रोफेसरों भी सम्मिलित हुए.
  • इस वर्कशॉप का उद्देश्य था कि हम जो फुटवियर पहनते हैं, उसके बारे में जान सकें.
  • बचपन में फुटवियर पहनने के कारण जो डिजीज हमें हो जाती है, उसका मॉडल बनाकर भी प्रदर्शित किया गया
  • 6 विशेषज्ञ अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और लेदर कंपनियों से आए थे, जिन्होंने फुटवियर के बारे में जानकारी दी.

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग विभाग कला संकाय द्वारा 1 और 2 फरवरी को साइंस ऑफ फुटवियर पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. दो दिवसीय नेशनल वर्कशॉप का रविवार को समापन हुआ. कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य पैरों की समीक्षा करने वाले वैज्ञानिकों का कौशल का विकास करना है. इसके साथ ही कार्यशाला में जूते के कारण खेल प्रदर्शन पर पड़ने वाले प्रभाव और किस प्रकार से उचित जूते का चयन किया जाए, इस पर भी चर्चा की गई.

फुटवियर वर्कशॉप का आयोजन.

फुटवियर के बारे में दी गई जानकारी

  • वर्कशॉप में शोध विद्यार्थियों ने इस बात को जाना कि किस व्यक्ति को किस तरह के फुटवियर पहनने चाहिए.
  • खिलाड़ियों को किस तरह के फुटवियर और कैसे पहनना चाहिए, क्योंकि हमारे शरीर का अधिकतम भाग हमारे पैरों पर होता है.
  • अगर हमारा फुटवियर ठीक नहीं होगा तो हमारे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ेगा आदि विषयों पर चर्चा की गई.
  • यह दो दिवसीय वर्कशॉप थी, जिसमें छात्र-छात्रा, शोध विद्यार्थी, प्रोफेसरों भी सम्मिलित हुए.
  • इस वर्कशॉप का उद्देश्य था कि हम जो फुटवियर पहनते हैं, उसके बारे में जान सकें.
  • बचपन में फुटवियर पहनने के कारण जो डिजीज हमें हो जाती है, उसका मॉडल बनाकर भी प्रदर्शित किया गया
  • 6 विशेषज्ञ अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और लेदर कंपनियों से आए थे, जिन्होंने फुटवियर के बारे में जानकारी दी.
Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग विभाग कला संकाय द्वारा एक और 1और 2फरवरी को साइंस ऑफ फुटवियर पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। दो दिवसीय नेशनल वर्कशॉप का आज समापन हुआ।




Body:कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य पैरों की समीक्षा करने वाले वैज्ञानिक कौशल का विकास करना। इसमें भाग लेने वाले प्रतिभागी पादुका एवं पैर के विभिन्न भागों को बेहतर रूप से समझ पाएंगे।इसके अलावा इस कार्यशाला में प्रतिभागी जूते के कारण खेल प्रदर्शन पर पड़ने वाले प्रभाव एवं किस प्रकार उचित जूते की चयन किया जाए इस पर चर्चा हुआ।

वर्कशॉप में छात्र-छात्राओं शोध विद्यार्थियों ने इस बात को जाना कि किस व्यक्ति को किस तरह के फुटवियर पहनने चाहिए।उसके साथ ही खिलाड़ियों को किस तरह के फुटवीर और कैसे पहनना चाहिए। क्योंकि हमारे शरीर का अधिकतम भाग हमारे पैरों पर होता है। पैरों का अधिकतम भार हमारे फुटवियर पड़ता है। तो इस तरह कहीं ना कहीं अगर हमारा फुटवियर ठीक नहीं होगा तो हमारे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ेगा। इस आदि विषयों पर चर्चा किया।


Conclusion:डॉ विनायक दुबे ने बताया हमने नेशनल वर्कशॉप साइंस फुटवियर का आयोजन किया यह दो दिवसीय वर्कशॉप था।जिसमें छात्र-छात्राओं शोध विद्यार्थियों प्रोफेसरों ने भी सम्मिलित हुए। इस वर्कशॉप का एकमात्र उद्देश्य था।किस तरह हम जो फुटवियर पहनते हैं उसके बारे में जान सके कि वह हमारे लिए हानिकारक है। अगर वह हानिकारक है तो हम उसे कैसे बदल सकते हैं।उसके साथी बचपन में फुटवियर पहनने के कारण जो डिजीज हमें हो जाती है उसका मॉडल बनाकर हमने प्रदर्शित किया। साक्षी वर्कशॉप में खिलाड़ियों ने भी अपनी बात रखी। जो 6 विशेषज्ञ अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और लेदर कंपनियों से आए थे उन्होंने भी फुटवियर के बारे में सभी को जानकारी दिया।

बाईट :-- डॉ विनायक दुबे, असिस्टेंट प्रोफेसर, शारीरिक शिक्षा विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय।

आशुतोष उपाध्याय

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