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National Sports Day: हॉकी प्लेयर ललित उपाध्याय ने कहा- खिलाड़ी नहीं, सुविधाओं का है अभाव

आज 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती पर देश में 'राष्ट्रीय खेल दिवस'(National Sports Day) मनाया जाता है. इसी अवसर पर टोक्यो ओलंपिक में देश को गौरान्वित करने वाली हॉकी टीम के सदस्य रहे ललित उपाध्याय(Lalit Upadhyay) से खास बातचीत की गई. आइये जानते हैं उन्होंने खेलों को लेकर क्या कुछ कहा.

ललित उपाध्याय से खास बातचीत
ललित उपाध्याय से खास बातचीत
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Published : Aug 29, 2021, 8:42 AM IST

वाराणसी: भारत में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस(National Sports Day) मनाया जाता है. हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का ध्यान 29 अगस्त को हुआ था. उनकी जयंती के दिन देश में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. यूपी के वाराणसी से कई दिग्गज खिलाड़ियों ने देश विदेश में परचम लहराया हैं. ओलंपिक हो या फिर राष्ट्रीय स्तर के खेल हर जगह बनारस के खिलाड़ियों का दबदबा रहा है. खेलों में बात यदि हॉकी की की जाए तो वाराणसी का यूपी कॉलेज हॉकी की नर्सरी कहा जाता है. टोक्यो ओलंपिक में देश को गौरान्वित करने में हॉकी टीम के सदस्य रहे ललित उपाध्याय(Lalit Upadhyay) से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

बेहतर आधरभूत संरचना की है जरूरत
ललित ने बताया कि वाराणसी हॉकी का गढ़ रहा है. यहां से कई दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं. यहां प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बल्कि प्रतिभा निखारने वाले कोच व आधारभूत संरचना की जरूरत है. यहां पर अच्छे खिलाड़ियों के बावजूद बेहतर सुविधाएं नहीं है, जिसके कारण खिलाड़ी अभाव में खेलने को मजबूर है. जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर है वह खुद से खेल के टूल किट व अन्य सामान खरीदकर अपनी प्रैक्टिस कर लेते हैं, लेकिन जो गरीब तबके के खिलाड़ी हैं वह इन सब चीजों के अभाव में ही खेलते हैं और कहीं ना कहीं अभाव में उसका खेल प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि शासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि आधारभूत वा अन्य मूलभूत सुविधाएं खिलाड़ी व मैदान को प्रदान की जाएं. जिससे अच्छा परिणाम देखने को मिलेगा.

ललित उपाध्याय से खास बातचीत

ललित ने कहा कि आधारभूत संरचना के साथ-साथ आम जनमानस को भी हॉकी खेल के प्रति अपनी रुचि दिखानी पड़ेगी. क्योंकि वर्तमान में भी लोग इस खेल के प्रति अपनी उतनी रुचि नहीं दिखा रहे, जितना दिखाने की आवश्यकता है. लोगों को किसी व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि पूरी स्पोर्ट कम्युनिटी को प्रमोट करना पड़ेगा. यदि कोई छोटा भी अवॉर्ड लेकर आता है तो उसे उतना ही प्रोत्साहित करना चाहिए जितना कि किसी बड़े अवॉर्ड को लाने पर. इससे खिलाड़ियों के मन में भी उत्साह उत्पन्न होगा और वह बेहतर लगन के साथ खेल सकेंगे. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों को खेल के प्रति प्रोत्साहन देना चाहिए, जिससे बच्चे आगे आएं.

कहा जाता है कि बनारस का उदय प्रताप प्लेग्राउंड से कई दिग्गज खिलाड़ी निकले हैं. यह मैदान अंतरराष्ट्रीय होनहार खिलाड़ियों की वह नर्सरी है, जिसने मोहम्मद शाहिद से लेकर ललित उपाध्याय जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को देश को समर्पित किया. यहां के यूपी कॉलेज मैदान में वाराणसी व आसपास के बच्चे आकर अभ्यास करते हैं और यहां पर साईं और खेलो इंडिया स्कीम के तहत लगभग 40 बच्चों प्रशिक्षण दिया जाता है. अभी भी बनारस के दो खिलाड़ी हॉकी में इंडिया अंडर 20 में मैच खेल रहे हैं.

इस मैदान से ओलंपियन खिलाड़ी पद्मश्री मोहम्मद शाहिद ने अपने खेल की शुरुआत की थी, उन्होंने 1980 के मास्को ओलंपिक में देश को स्वर्ण पदक दिलाया था. इसके बाद स्वर्गीय विवेक सिंह ने 1988 के सियोल में और 1996 में अटलांटा ओलंपिक में राहुल सिंह ने ओलंपिक तक का सफर तय किया था. इसी क्रम में 41 साल बाद काशी के ललित उपाध्याय ने भारतीय हॉकी टीम में शामिल होकर देश में पदक लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

वाराणसी: भारत में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस(National Sports Day) मनाया जाता है. हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का ध्यान 29 अगस्त को हुआ था. उनकी जयंती के दिन देश में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. यूपी के वाराणसी से कई दिग्गज खिलाड़ियों ने देश विदेश में परचम लहराया हैं. ओलंपिक हो या फिर राष्ट्रीय स्तर के खेल हर जगह बनारस के खिलाड़ियों का दबदबा रहा है. खेलों में बात यदि हॉकी की की जाए तो वाराणसी का यूपी कॉलेज हॉकी की नर्सरी कहा जाता है. टोक्यो ओलंपिक में देश को गौरान्वित करने में हॉकी टीम के सदस्य रहे ललित उपाध्याय(Lalit Upadhyay) से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

बेहतर आधरभूत संरचना की है जरूरत
ललित ने बताया कि वाराणसी हॉकी का गढ़ रहा है. यहां से कई दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं. यहां प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बल्कि प्रतिभा निखारने वाले कोच व आधारभूत संरचना की जरूरत है. यहां पर अच्छे खिलाड़ियों के बावजूद बेहतर सुविधाएं नहीं है, जिसके कारण खिलाड़ी अभाव में खेलने को मजबूर है. जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर है वह खुद से खेल के टूल किट व अन्य सामान खरीदकर अपनी प्रैक्टिस कर लेते हैं, लेकिन जो गरीब तबके के खिलाड़ी हैं वह इन सब चीजों के अभाव में ही खेलते हैं और कहीं ना कहीं अभाव में उसका खेल प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि शासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि आधारभूत वा अन्य मूलभूत सुविधाएं खिलाड़ी व मैदान को प्रदान की जाएं. जिससे अच्छा परिणाम देखने को मिलेगा.

ललित उपाध्याय से खास बातचीत

ललित ने कहा कि आधारभूत संरचना के साथ-साथ आम जनमानस को भी हॉकी खेल के प्रति अपनी रुचि दिखानी पड़ेगी. क्योंकि वर्तमान में भी लोग इस खेल के प्रति अपनी उतनी रुचि नहीं दिखा रहे, जितना दिखाने की आवश्यकता है. लोगों को किसी व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि पूरी स्पोर्ट कम्युनिटी को प्रमोट करना पड़ेगा. यदि कोई छोटा भी अवॉर्ड लेकर आता है तो उसे उतना ही प्रोत्साहित करना चाहिए जितना कि किसी बड़े अवॉर्ड को लाने पर. इससे खिलाड़ियों के मन में भी उत्साह उत्पन्न होगा और वह बेहतर लगन के साथ खेल सकेंगे. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों को खेल के प्रति प्रोत्साहन देना चाहिए, जिससे बच्चे आगे आएं.

कहा जाता है कि बनारस का उदय प्रताप प्लेग्राउंड से कई दिग्गज खिलाड़ी निकले हैं. यह मैदान अंतरराष्ट्रीय होनहार खिलाड़ियों की वह नर्सरी है, जिसने मोहम्मद शाहिद से लेकर ललित उपाध्याय जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को देश को समर्पित किया. यहां के यूपी कॉलेज मैदान में वाराणसी व आसपास के बच्चे आकर अभ्यास करते हैं और यहां पर साईं और खेलो इंडिया स्कीम के तहत लगभग 40 बच्चों प्रशिक्षण दिया जाता है. अभी भी बनारस के दो खिलाड़ी हॉकी में इंडिया अंडर 20 में मैच खेल रहे हैं.

इस मैदान से ओलंपियन खिलाड़ी पद्मश्री मोहम्मद शाहिद ने अपने खेल की शुरुआत की थी, उन्होंने 1980 के मास्को ओलंपिक में देश को स्वर्ण पदक दिलाया था. इसके बाद स्वर्गीय विवेक सिंह ने 1988 के सियोल में और 1996 में अटलांटा ओलंपिक में राहुल सिंह ने ओलंपिक तक का सफर तय किया था. इसी क्रम में 41 साल बाद काशी के ललित उपाध्याय ने भारतीय हॉकी टीम में शामिल होकर देश में पदक लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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