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National Doctor's Day 2021: रिटायरमेंट के 16 साल बाद भी कर रहे मरीजों की सेवा, जानिए...डॉ. लहरी की कहानी

BHU के कार्डियोलॉजिस्ट सर्जन पद्मश्री टी. के. लहरी रिटायरमेंट के बाद भी पेसेंट्स की सेवा कर रहे हैं. 77 साल की उम्र में भी उनके अंदर जोश और गरीब जरूरतमंदों की मदद करने का जज्बा अभी भी पहले जैसा है.

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Jul 1, 2021, 10:03 AM IST

Updated : Jul 1, 2021, 10:42 AM IST

वाराणसी: हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद है बेहतर स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करना और डॉक्टरों को उनकी सेवा के लिए शुक्रिया अदा करना है. तो आज हम आपको इस खास दिन पर एक ऐसे डॉक्टर के बारे में बताएंगे जिसने शायद इस पेशे को ना सिर्फ जिया बल्कि इस पेशे से जुड़ी सेवा भाव के मकसद को भी चरितार्थ किया है. 77 साल के BHU के कार्डियोलॉजी सर्जन पद्मश्री टी. के. लहरी किसी पहचान के मोहताज नहीं है. डॉ. लहरी रिटायरमेंट के 16 साल बाद भी अपनी नि:स्वार्थ सेवा दे रहे हैं.


काशी हिंदू विश्वविद्यालय से की शुरुआत
डॉ. लहरी कोलकाता के रहने वाले हैं और उन्होंने अमेरिका से डॉक्टरी की पढ़ाई की है. इसके बाद 1974 में वे बनारस आए और काशी हिंदू विश्वविद्यालय में लेक्चरर के पद पर उनकी नियुक्ति हुई. बनारस आने के बाद वे डॉक्टर लहरी यहीं के होकर रह गए. डॉक्टर लहरी बताते हैं कि, जब उन्होंने बीएचयू में नौकरी की शुरुआत की थी तो उस समय उनका वेतन 250 रुपये महीने हुआ करता था.

स्पेशल रिपोर्ट


अमेरिका से की डॉक्टरी
डॉ. लहरी ने बताया कि परिवार में इस वक्त तो एक छोटा भाई है, जो अमेरिका में इंजीनियर है. परिवार के रामकृष्ण मिशन से जुड़े होने की वजह से जरूरतमंद और गरीबों की मदद हमेशा से करते रहने वाले डॉ. लहरी ने भी अपनी इस खासियत को जारी रखा.

उन्होंने बताया कि 1974 में जब मैंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्वाइन किया तो मेरी सैलरी भले ही कम थी, लेकिन जज्बे के साथ मैंने काम जारी रखा. उन्होंने बताया कि गरीबों की मदद कर अपनी सैलरी उन्हीं पर खर्च करने लगा.

डॉ. लहरी ने कहा कि 1997 तक पहुंचते-पहुंचते उनकी सैलरी बिना टैक्स के 84 हजार रुपये पहुंच गई थी. इसमें भी कई और खर्च मिला दिया जाए तो एक लाख से ज्यादा तनख्वाह मिलती थी. फिर भी 1997 में डॉ. लहरी ने बीएचयू से मिलने वाली सैलरी को लेना बंद कर दिया. उन्होंने अपनी पूरी सैलेरी गरीब और जरूरतमंद लोगों में डोनेट कर दिया. डॉ लहरी कुछ पैसे लेते थे इससे वह घर का खर्च चलाता थे. इसके अलावा उनको सैलेरी के पैसों से कोई मतलब नहीं था.

इसे भी पढ़ें-डाॅक्टर्स डेः कोरोना काल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कहानी उन्हीं की जुबानी

2005 में रिटायर्ड, लेकिन जारी है सेवा

डॉ. लहरी 2005 में रिटायर्ड हो गए, लेकिन उन्होंने समाज सेवा का काम जारी रखा. रिटायरमेंट के 16 साल बाद भी डॉ. लहरी रोज पहले की तरह ही सुबह 6 बजे उठते हैं और अस्पताल पहुंच जाते हैं जहां वह 40 से 50 मरीज देखते हैं.

योगी से मिलने पर किया मना
बीएचयू से रिटायर्ड डॉ लहरी 2018 में उस वक्त भी चर्चा में आए. जब लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से चलाए जा रहे जनसंपर्क अभियान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इनसे मिलने के लिए बनारस पहुंचे थे. सीएम योगी को डॉ लहरी के घर पर उनसे मिलने जाना था, लेकिन जब अधिकारी व बीजेपी नेता डॉ. लहरी के पास पहुंचे और सीएम के आने की सूचना दी तो उन्होंने साफ तौर पर बोल दिया कि अगर वह मिलना चाहते हैं तो उनको कहिए ओपीडी में बैठता हूं वहां आकर मुझसे मिले.

2016 में मिला पद्मश्री सम्मान
डॉ. लहरी को 2016 में सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था. डॉ. लहरी के साथ अस्पताल में उनकी मदद करने वाले डॉ. वैद्यनाथ का कहना है कि हम बीते 12 सालों से डॉ. लहरी के साथ काम कर रहे हैं और उनके जैसी शख्सियत हमने नहीं देखी. एक गार्जियन की तरह वह हमेशा गाइड भी करते हैं. उनका कहना है मरीजों के प्रति डॉ. लहरी का काफी विनम्र भाव है. डॉ. लहरी जैसे महान डॉक्टर इस धरती पर मौजूद है, जो सिर्फ गरीबों की सेवा करना ही अपना कर्तव्य समझते हैं न कि अपनी जरूरतों को पूरा करना.

वाराणसी: हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद है बेहतर स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करना और डॉक्टरों को उनकी सेवा के लिए शुक्रिया अदा करना है. तो आज हम आपको इस खास दिन पर एक ऐसे डॉक्टर के बारे में बताएंगे जिसने शायद इस पेशे को ना सिर्फ जिया बल्कि इस पेशे से जुड़ी सेवा भाव के मकसद को भी चरितार्थ किया है. 77 साल के BHU के कार्डियोलॉजी सर्जन पद्मश्री टी. के. लहरी किसी पहचान के मोहताज नहीं है. डॉ. लहरी रिटायरमेंट के 16 साल बाद भी अपनी नि:स्वार्थ सेवा दे रहे हैं.


काशी हिंदू विश्वविद्यालय से की शुरुआत
डॉ. लहरी कोलकाता के रहने वाले हैं और उन्होंने अमेरिका से डॉक्टरी की पढ़ाई की है. इसके बाद 1974 में वे बनारस आए और काशी हिंदू विश्वविद्यालय में लेक्चरर के पद पर उनकी नियुक्ति हुई. बनारस आने के बाद वे डॉक्टर लहरी यहीं के होकर रह गए. डॉक्टर लहरी बताते हैं कि, जब उन्होंने बीएचयू में नौकरी की शुरुआत की थी तो उस समय उनका वेतन 250 रुपये महीने हुआ करता था.

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अमेरिका से की डॉक्टरी
डॉ. लहरी ने बताया कि परिवार में इस वक्त तो एक छोटा भाई है, जो अमेरिका में इंजीनियर है. परिवार के रामकृष्ण मिशन से जुड़े होने की वजह से जरूरतमंद और गरीबों की मदद हमेशा से करते रहने वाले डॉ. लहरी ने भी अपनी इस खासियत को जारी रखा.

उन्होंने बताया कि 1974 में जब मैंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्वाइन किया तो मेरी सैलरी भले ही कम थी, लेकिन जज्बे के साथ मैंने काम जारी रखा. उन्होंने बताया कि गरीबों की मदद कर अपनी सैलरी उन्हीं पर खर्च करने लगा.

डॉ. लहरी ने कहा कि 1997 तक पहुंचते-पहुंचते उनकी सैलरी बिना टैक्स के 84 हजार रुपये पहुंच गई थी. इसमें भी कई और खर्च मिला दिया जाए तो एक लाख से ज्यादा तनख्वाह मिलती थी. फिर भी 1997 में डॉ. लहरी ने बीएचयू से मिलने वाली सैलरी को लेना बंद कर दिया. उन्होंने अपनी पूरी सैलेरी गरीब और जरूरतमंद लोगों में डोनेट कर दिया. डॉ लहरी कुछ पैसे लेते थे इससे वह घर का खर्च चलाता थे. इसके अलावा उनको सैलेरी के पैसों से कोई मतलब नहीं था.

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2005 में रिटायर्ड, लेकिन जारी है सेवा

डॉ. लहरी 2005 में रिटायर्ड हो गए, लेकिन उन्होंने समाज सेवा का काम जारी रखा. रिटायरमेंट के 16 साल बाद भी डॉ. लहरी रोज पहले की तरह ही सुबह 6 बजे उठते हैं और अस्पताल पहुंच जाते हैं जहां वह 40 से 50 मरीज देखते हैं.

योगी से मिलने पर किया मना
बीएचयू से रिटायर्ड डॉ लहरी 2018 में उस वक्त भी चर्चा में आए. जब लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से चलाए जा रहे जनसंपर्क अभियान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इनसे मिलने के लिए बनारस पहुंचे थे. सीएम योगी को डॉ लहरी के घर पर उनसे मिलने जाना था, लेकिन जब अधिकारी व बीजेपी नेता डॉ. लहरी के पास पहुंचे और सीएम के आने की सूचना दी तो उन्होंने साफ तौर पर बोल दिया कि अगर वह मिलना चाहते हैं तो उनको कहिए ओपीडी में बैठता हूं वहां आकर मुझसे मिले.

2016 में मिला पद्मश्री सम्मान
डॉ. लहरी को 2016 में सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था. डॉ. लहरी के साथ अस्पताल में उनकी मदद करने वाले डॉ. वैद्यनाथ का कहना है कि हम बीते 12 सालों से डॉ. लहरी के साथ काम कर रहे हैं और उनके जैसी शख्सियत हमने नहीं देखी. एक गार्जियन की तरह वह हमेशा गाइड भी करते हैं. उनका कहना है मरीजों के प्रति डॉ. लहरी का काफी विनम्र भाव है. डॉ. लहरी जैसे महान डॉक्टर इस धरती पर मौजूद है, जो सिर्फ गरीबों की सेवा करना ही अपना कर्तव्य समझते हैं न कि अपनी जरूरतों को पूरा करना.

Last Updated : Jul 1, 2021, 10:42 AM IST
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