वाराणसी: सारे देश सहित बाबा विश्वनाथ की नगरी में भी सोमवार को नाग पंचमी का त्योहार जोर-शोर से मनाया जा रहा है. नाग पंचमी के दिन धर्म और परंपराओं का अद्भुत मिलाप देखने को मिलता है. धर्म के अनुसार आज के दिन नाग देवता का पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. वहीं वाराणसी में छोटा-बड़ा हर कोई घरों में और गलियों से लेकर मंदिरों तक छोटे गुर-बड़े गुरु का संबोधन कर इस दिन को और भी परंपरागत तरीके से खास बनाते हैं. आखिर नाग पंचमी के दिन छोटे गुरु-बड़े गुरु का संबोधन कर नाग पंचमी को क्यों मनाया जाता है, आइए जानते हैं...
- सोमवार को देशभर में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है.
- सभी लोग नाग देवता का दर्शन कर उन्हें दूध-लावा का भोग लगा रहे हैं और आशीर्वाद ले रहे हैं.
- छोटे-छोटे बच्चे और बड़े छोटे गुरु-बड़े गुरु का संबोधन कर नाग देवता की श्रद्धा भाव से पूजा कर रहे हैं.
- इस बारे में काशी के नाग तीर्थ कहे जाने वाले नागपुर के प्रधान पुरोहित आचार्य कुंदन पांडेय ने बताया कि छोटे गुरु-बड़े गुरु का संबोधन महर्षि पाणिनीय और महर्षि पतंजलि के लिए किया जाता है.
- महर्षि पतंजलि की कर्म भूमि वाराणसी रही है.
- यहीं पर उन्होंने शिक्षा-दीक्षा के साथ गुरु पाणिनीय से ज्ञान प्राप्त किया.
- इसके अलावा महर्षि पतंजलि को शेषनाग अवतार माना जाता है.
- इसलिए नाग पंचमी के दिन गुरु पाणिनीय को बड़े गुरु और महर्षि पतंजलि को छोटे गुरु के रूप में पूजा जाता है.
इस दिन नाग देवता के पूजन का विशेष विधान माना जाता है. उन्हें दूध-लावा और तुलसी की माला चढ़ाई जाती है. तुलसी की माला इसलिए क्योंकि शेषनाग भगवान विष्णु के साथ रहते हैं और उन्हें भी तुलसी भगवान विष्णु की तरह ही प्रिय है. इसलिए आज के दिन उनको तुलसी चढ़ाई जाती है.
-आचार्य कुंदन पांडेय, प्रधान पुरोहित, नाग कुंड तीर्थ