वाराणसी: काशी में तीज त्योहार को लेकर अलग परंपरा और मान्यता है. जिनकी अपनी अलग ही कहानी है. ऐसे ही एक अद्भुत परंपरा काशी में डेढ़ दशक पहले इस्लाम धर्म की महिलाओं के द्वारा शुरू की गई. जिसमें बकायदा मुस्लिम महिलाएं बुर्का पहनकर होली के पर्व को मनाती हैं. यही नहीं वह रंग, गुलाल और फूल वाली होली भी खेलती है. इसके साथ ही काशी की गंगा जमुना तहजीब के संदेश को विश्व पटल तक पहुंचाती हैं. हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महिलाओं ने रंग गुलाल से होली खेल करके समरसता और बंधुत्व का संदेश दिया है.
डेढ़ दशक से मुस्लिम महिलाए काशी में खेल रही होली
दरअसल, वाराणसी के लमही स्थित सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन के द्वारा होली उत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें दर्जनों की संख्या में हिंदू मुस्लिम महिलाओं ने ढोलक की थाप पर एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही फगुआ गीत गाकर जमकर मस्ती भी की. इस दौरान सभी महिलाएं एक-दूसरे को गुलाब लगाकर इस त्योहार के समरसता को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी.
फूल गुलाल से खेली होली
मुस्लिम महिला फाउंडेशन के अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा कि बनारस में हर त्योहार बेहद अपनत्व का बंधुत्व के साथ मनाया जाता है. ऐसे में यदि हिंदू भाई बहनों के द्वारा ईद पर एक दूसरे को गले लगाकर के शुभकामनाएं दी जाती हैं, तो भला हम होली खेलने से कैसे पीछे रह सकते हैं. हम भी होली का त्योहार मना कर एक दूसरे को गले लगाकर प्रेम और बंधुत्व को बढ़ा सकते हैं. इसलिए हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम लोगों ने इस होली के त्योहार को मनाया है. एक दूसरे को मिठाई खिलाकर और गुलाल लगाकर के त्योहार की शुभकामनाएं दी हैं.
कट्टरपंथियों के लिए है जवाब
नजमा ने कहा कि समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो तीज त्योहार में भी अपनी राजनीतिक रोटी सेकते हैं और समाज में कट्टरता को फैलाते हैं. हमारी होली उन कट्टरपंथियों को जवाब है कि समाज में समरसता और एकता जरूरी है और काशी इसी एकता के लिए जानी जाती है.
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