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थाईलैंड में गूंजेगी काशी की आवाज, BHU के संगीतज्ञ और शोधार्थी देंगे प्रस्तुति - BHU Musician researcher singing performance

थाईलैंड के साहित्योत्सव में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दो कलाविदों को आमंत्रित किया गया है. इस कार्यक्रम में जाने वाले ज्ञानेश चंद्र पांडेय मलेशिया और श्रीलंका में भी भारतीय संगीत की प्रस्तुतियां दे चुके हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दो कलाविदों को आमंत्रित
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दो कलाविदों को आमंत्रित
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Published : May 30, 2023, 8:19 PM IST

वाराणसी: काशी की गूंज अब थाईलैंड के साहित्योत्सव में भी सुनाई देगी. वाराणसी से दो कलाविदों को आमंत्रित किया गया है. इसके साथ ही वाराणसी से एक शोधार्थी को भी बुलाया गया है. ये कार्यक्रम बैंकॉक स्थित थाईलैंड हिंदी परिषद द्वारा 9 और 10 जून को आयोजित होगा. थाई भारत कल्चरल लॉज और साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन द्वारा यह कार्यक्रम कराया जा रहा है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दो कलाविदों को किया गया आमंत्रित.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दो कलाविदों को किया गया आमंत्रित.
थाईलैंड में आयिजत हो रहे इस कार्यक्रम में वाराणसी से काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीतज्ञ और सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडेय को गायन प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है. वहीं, शोधार्थी डॉ. संगीता मिश्रा को भी इस कार्यक्रम में इनवाइट किया गया है. इस कार्यक्रम में जाने वाले ज्ञानेश चंद्र पांडेय मलेशिया और श्रीलंका में भी भारतीय संगीत की प्रस्तुतियां दे चुके हैं.कार्यक्रम का आयोजन भारत-थाईलैंड के सांस्कृतिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है. इसमें शामिल होने वाले कलाकार भारत की तरफ से प्रस्तुति देंगे. इसके साथ ही इसमें यूपी के और भी कलाकारों का बुलाया गया है. इसमें प्रयागराज से वरिष्ठ साहित्यकार अभिमन्यु पांडेय, लखनऊ की डॉ. सरिता शुक्ला, कानपुर की शोधार्थी बबिता पाठक, साहित्यकार हरिश्चंद्र सिंह चौहान को बुलाया गया है. फुलब्राइट फेलोशिप में हुआ बीएचयू के एसोसिएट प्रोफेसर का चयन: इसी क्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विवेक सिंह का फुलब्राइट फैलोशिप में चयन किया गया है. डॉक्टर विवेक को 9 महीने तक के लिए यह फेलोशिप प्राप्त हुई है. वह अमेरिका के मिसिसिपी विश्वविद्यालय में अपना शोध कार्य करेंगे और वहां पर भारतीय भाषाओं के अध्यापन के सत्र में भी भाग लेंगे. इस बारे में डॉक्टर सिंह ने बताया कि यह फेलोशिप दोनों देशों के सांस्कृतिक और भाषाई संबंधों को मजबूत करने का प्रयास होगा. इस दौरान वह अमेरिकी सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का भी अध्ययन करेंगे. यह भी पढे़ं: बनारस में गंगा की लहरों पर दौड़ेगी वाटर टैक्सी, मिलेंगी ये सुविधाएं

वाराणसी: काशी की गूंज अब थाईलैंड के साहित्योत्सव में भी सुनाई देगी. वाराणसी से दो कलाविदों को आमंत्रित किया गया है. इसके साथ ही वाराणसी से एक शोधार्थी को भी बुलाया गया है. ये कार्यक्रम बैंकॉक स्थित थाईलैंड हिंदी परिषद द्वारा 9 और 10 जून को आयोजित होगा. थाई भारत कल्चरल लॉज और साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन द्वारा यह कार्यक्रम कराया जा रहा है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दो कलाविदों को किया गया आमंत्रित.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दो कलाविदों को किया गया आमंत्रित.
थाईलैंड में आयिजत हो रहे इस कार्यक्रम में वाराणसी से काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीतज्ञ और सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडेय को गायन प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है. वहीं, शोधार्थी डॉ. संगीता मिश्रा को भी इस कार्यक्रम में इनवाइट किया गया है. इस कार्यक्रम में जाने वाले ज्ञानेश चंद्र पांडेय मलेशिया और श्रीलंका में भी भारतीय संगीत की प्रस्तुतियां दे चुके हैं.कार्यक्रम का आयोजन भारत-थाईलैंड के सांस्कृतिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है. इसमें शामिल होने वाले कलाकार भारत की तरफ से प्रस्तुति देंगे. इसके साथ ही इसमें यूपी के और भी कलाकारों का बुलाया गया है. इसमें प्रयागराज से वरिष्ठ साहित्यकार अभिमन्यु पांडेय, लखनऊ की डॉ. सरिता शुक्ला, कानपुर की शोधार्थी बबिता पाठक, साहित्यकार हरिश्चंद्र सिंह चौहान को बुलाया गया है. फुलब्राइट फेलोशिप में हुआ बीएचयू के एसोसिएट प्रोफेसर का चयन: इसी क्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विवेक सिंह का फुलब्राइट फैलोशिप में चयन किया गया है. डॉक्टर विवेक को 9 महीने तक के लिए यह फेलोशिप प्राप्त हुई है. वह अमेरिका के मिसिसिपी विश्वविद्यालय में अपना शोध कार्य करेंगे और वहां पर भारतीय भाषाओं के अध्यापन के सत्र में भी भाग लेंगे. इस बारे में डॉक्टर सिंह ने बताया कि यह फेलोशिप दोनों देशों के सांस्कृतिक और भाषाई संबंधों को मजबूत करने का प्रयास होगा. इस दौरान वह अमेरिकी सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का भी अध्ययन करेंगे. यह भी पढे़ं: बनारस में गंगा की लहरों पर दौड़ेगी वाटर टैक्सी, मिलेंगी ये सुविधाएं
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