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संस्कृत विश्वविद्यालय के 25 छात्रों को स्कॉलरशिप देगी एमपी सरकार

संस्कृत के अग्रणी विकास के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने रविवार को वाराणसी के सर्किट हाउस में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. इस मौके पर शिवराजसिंह चौहान ने संस्कृत पढ़ने वाले 25 छात्रों को स्कॉलरशिप देने का वादा किया.

एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान और संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी
एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान और संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी
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Published : Aug 28, 2022, 4:52 PM IST

वाराणसी: संस्कृत के अग्रणी विकास के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने रविवार को वाराणसी के सर्किट हाउस में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान कुलपति ने एमपी के सीएम से संस्कृत भाषा के विकास के लिए सहयोग मांगा.

शिवराज सिंह चौहान ने प्रो. हरे राम त्रिपाठी को संस्कृत भाषा की उन्नति के लिए सहायता देने का अश्वासन दिया. उन्होंने इस संबंध में जल्द ही प्रस्ताव मांगा है. शिवराजसिंह चौहान ने संस्कृत पढ़ने वाले 25 छात्रों को स्कॉलरशिप देने का वादा किया. बता दें कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने देश भर से उद्योगपतियों व सामर्थ्य लोगों का आवाहन किया था. कुलाधिपति ने लागों से आवाहन किया था कि वह संस्कृत विश्वविद्यालय व संस्कृत भाषा के विकास में अपना योगदान दें. इसी परिपेक्ष्य से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उद्यमियों व सामर्थ लोगों से मुलाकात करके विश्वविद्यालय के विकास के लिए सहयोग मांगा जा रहा है. इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के कुलपति ने रविवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा.

रविवार को संस्कृत विश्वविद्यालय में अघोराचार्य बाबा किनाराम के 3 दिवसीय जन्मोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम के आखिरी दिन बतौर मुख्य अतिथि किनाराम पीठ के पीठाधीश्वर महाराज अघोरेश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम शामिल हुए. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि अघोर परंपरा को बाबा कीनाराम और बाबा अवधूत भगवान राम ने देश और काल के अनुसार संजोकर इसका स्वरूप निर्धारित किया.

इस दौरान उन्होंने पीठाधीश्वर महाराज अघोरेश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम से विश्वविद्यालय मे बाबा किनाराम शोधपीठ की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा. जिस पर पीठाधीश्वर ने अपनी सहमति दी. पीठाधीश्वर बाबा गौतम राम ने कहा कि शीघ्र ही आश्रम मे पीठ से जुड़े ट्रस्टीयों से विचार विमर्श कर उनके ग्रंथ "विद्यासागर" पर शोध कराया जाएगा, क्योंकि इस विश्वविद्यालय के 232 वर्षों के ऐतिहासिक स्थल पर ऐसे पीठ की स्थापना व अन्वेषण से निश्चित ही एक नवीन पथ तैयार होगा. जिससे हमारी पीढ़ी को आगे बढने का आयाम मिलेगा.

इसे पढ़ें- रक्षा मंत्री बोले, पीएम मोदी के कहने पर यूक्रेन और रूस ने रोक दिया था युद्ध

वाराणसी: संस्कृत के अग्रणी विकास के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने रविवार को वाराणसी के सर्किट हाउस में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान कुलपति ने एमपी के सीएम से संस्कृत भाषा के विकास के लिए सहयोग मांगा.

शिवराज सिंह चौहान ने प्रो. हरे राम त्रिपाठी को संस्कृत भाषा की उन्नति के लिए सहायता देने का अश्वासन दिया. उन्होंने इस संबंध में जल्द ही प्रस्ताव मांगा है. शिवराजसिंह चौहान ने संस्कृत पढ़ने वाले 25 छात्रों को स्कॉलरशिप देने का वादा किया. बता दें कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने देश भर से उद्योगपतियों व सामर्थ्य लोगों का आवाहन किया था. कुलाधिपति ने लागों से आवाहन किया था कि वह संस्कृत विश्वविद्यालय व संस्कृत भाषा के विकास में अपना योगदान दें. इसी परिपेक्ष्य से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उद्यमियों व सामर्थ लोगों से मुलाकात करके विश्वविद्यालय के विकास के लिए सहयोग मांगा जा रहा है. इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के कुलपति ने रविवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा.

रविवार को संस्कृत विश्वविद्यालय में अघोराचार्य बाबा किनाराम के 3 दिवसीय जन्मोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम के आखिरी दिन बतौर मुख्य अतिथि किनाराम पीठ के पीठाधीश्वर महाराज अघोरेश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम शामिल हुए. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि अघोर परंपरा को बाबा कीनाराम और बाबा अवधूत भगवान राम ने देश और काल के अनुसार संजोकर इसका स्वरूप निर्धारित किया.

इस दौरान उन्होंने पीठाधीश्वर महाराज अघोरेश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम से विश्वविद्यालय मे बाबा किनाराम शोधपीठ की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा. जिस पर पीठाधीश्वर ने अपनी सहमति दी. पीठाधीश्वर बाबा गौतम राम ने कहा कि शीघ्र ही आश्रम मे पीठ से जुड़े ट्रस्टीयों से विचार विमर्श कर उनके ग्रंथ "विद्यासागर" पर शोध कराया जाएगा, क्योंकि इस विश्वविद्यालय के 232 वर्षों के ऐतिहासिक स्थल पर ऐसे पीठ की स्थापना व अन्वेषण से निश्चित ही एक नवीन पथ तैयार होगा. जिससे हमारी पीढ़ी को आगे बढने का आयाम मिलेगा.

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