वाराणसी: क्या आपको इन दिनों बुखार हो रहा है? घुटनों में दर्द होता है? आंखों में जलन रहती है? अगर हां तो आप तुरंत चेक कराएं अपनी प्लेटलेट्स. क्योंकि ये बुखार आपके प्लेटलेट्स को कम कर सकता है. जी हां, आमतौर पर ब्लड में प्लेटलेट्स की मात्रा का कम होना डेंगू का सबसे बड़ा लक्षण माना जाता है. लेकिन, प्लेटलेट्स कम होने का मतलब सिर्फ यह नहीं कि मरीज को डेंगू ही है. यह दूसरी बीमारियों के कारण भी हो सकता है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि आम जनमानस में प्लेटलेट्स को लेकर बड़ा भ्रम है. प्लेटलेट्स कम होते ही लोग इसे डेंगू समझ रहे हैं. लेकिन, वास्तविकता ऐसी नहीं है. टाइफाइड, वायरल फीवर समते अन्य कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जिनमें प्लेटलेट्स घट जाती हैं.
क्या होती हैं प्लेटलेट्स: रेड ब्लड सेल्स और व्हाइट्स ब्लड सेल्स की तरह प्लेटलेट्स भी ब्लड सेल्स हैं. इसका मुख्य काम खून में गाढ़ापन बनाए रखना होता है. खून में डेढ़ लाख से चार लाख तक प्लेटलेट्स का होना सामान्य माना जाता है. सीएमओ ने बताया कि जब तक किसी मरीज की प्लेटलेट काउंट 10,000 से कम न हो और सक्रिय रक्तस्राव न हो रहा हो तब तक उसे प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं होती है. वास्तव में, दस हजार से अधिक प्लेटलेट्स मरीजों में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन जैसी कई समस्याएं पैदा करती हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि डेंगू के इलाज में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन प्राथमिक इलाज नहीं है.
डेंगू की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट जरूरी: सीएमओ ने बताया कि डेगू की पुष्टि के लिए एलाइजा जांच (ELISA tes) जरूरी होती है. बगैर एलाइजा जांच कराए किसी भी मरीज को डेंगू से पीड़ित घोषित नहीं करना चाहिए. इस सबंध में जिले के सभी सरकारी व निजी चिकित्सालयों को निर्देश भी दिए गए हैं. साथ ही कहा गया है कि एलाइजा जांच में डेंगू की पुष्टि होने पर सम्बन्धित मरीज का सम्पूर्ण विवरण सीएमओ कार्यालय में उपलब्ध कराया जाए.
यहां होती है एलाइजा जांच: मरीज को डेंगू है या नहीं इसकी पुष्टि के लिए उसके रक्त के नमूने आईएमएस बीएचयू स्थित माइक्रोबायोलाजी विभाग की सेन्टीलन सर्विलांस प्रयोगशाला के अलावा पं. दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय स्थित एसएसएच प्रयोगशाला को भेजी जा सकती है. यहां रक्त नमूनों की जांच एलाइजा विधि से होने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि मरीज डेंगू पीड़ित है या नहीं.
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नौ हजार से अधिक की जांच में 230 को डेंगू: जिला मलेरिया अधिकारी शरतचन्द्र पाण्डेय ने बताया कि जुलाई 2022 से अब तक जिले में डेंगू के 9195 संदिग्ध मरीजों का सैंपल लिया गया. आईएमएस बीएचयू स्थित माइक्रोबायोलाजी विभाग की सेन्टीलन सर्विलांस प्रयोगशाला के अलावा पं. दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय स्थित एसएसएच प्रयोगशाला में हुई एलाइजा जांच में 230 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. शेष मरीजों में प्लेटलेट्स तो कम मिली, लेकिन उन्हें डेंगू नहीं था. अन्य बीमारियों के कारण उनकी प्लेटलेट्स कम हुई थी.
क्या होता है डेंगू: डेंगू एक तरह का वायरस है जो एडीज मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है. डेंगू मच्छर दिन में काटता है. इन मच्छरों का प्रकोप बारिश और उसके तुरंत बाद के मौसम में बढ़ता है. ठहरे हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं और इन्हीं दिनों डेंगू का कहर भी बढ़ता है. गड्ढे, नाली, कूलर, पुराने टायर, टूटी बोतलें, डिब्बों जैसी जगहों में रुके हुए पानी में डेंगू के मच्छर पैदा होते हैं.
डेंगू के लक्षण: तेज बुखार, खांसी, पेट दर्द व बार-बार उलटी होना, सांस लेने में तकलीफ, मुंह, होंठ और जीभ का सूखना, आंखें लाल होना, कमजोरी और चिड़चिड़ापन, हाथ-पैर का ठंडा होना, कई बार त्वचा का रंग भी बदल जाता है और चकत्ते पड़ जाते हैं.
बचाव ही बेहतर उपाय: घर के अंदर और बाहर उन सभी जगहों को साफ रखें. जहां भी पानी जमा होने की आशंका हो जैसे पुराने टायर, टूटी बोतल, डिब्बे, कूलर, नालियां. सोते समय मच्छर से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. घर के अंदर मच्छर खिड़की और दरवाजों से आते हैं. खिड़की और दरवाजे पर नेट लगाने से डेंगू के कहर से बचा जा सकता है. एसे कपड़े पहनें जो आपके शरीर को पूरी तरह ढके रहें, जिससे मच्छर आपको काट न सकें.
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