वाराणसीः 'मन के हारे हार है मन के जीते जीत.' जी हां यदि जिंदगी जीने का हौसला सीखना है तो काशी इन गलियों में जरूर आइए. क्योंकि कमच्छा की गलियों में रहने वाले बच्चे न सिर्फ आपको जीवन जीने का हौसला देंगे, बल्कि आपके जीवन जीने के नजरिए को भी पूरी तरीके से बदल देंगे. ये बच्चे कोई साधारण बच्चे नहीं हैं, बल्कि ये वे हैं जिन्हें पीएम मोदी ने दिव्यांग नाम दिया है. खास बात यह है कि यह दिव्यांग बच्चे इन दिनों भाई-बहन के जीवन में प्रेम घोलने की कवायद में जुटे हैं. इनके इस प्रयास से न सिर्फ भाई-बहन के प्रेम में मधुरता आएगी, बल्कि ये आत्मनिर्भर भी बनेंगे.
पढ़ेंः बटेश्वर में अटल जी की कैसी प्रतिमा, जिसमें उनकी छवि नहीं
बच्चे व्यवहारिकता सीखने के साथ बन रहे आत्मनिर्भर
बच्चों को राखी बनाने की शिक्षा दे रही अनुपमा ने बताया कि सभी बच्चे मानसिक रूप से दिव्यांग हैं. इनकी मानसिक आयु वर्ग 7 से 10 साल तक के बच्चों की हैं. इसी के अनुसार इन्हें राखी बनाना सिखाया जा रहा है. राखी बनाने से ये बच्चे व्यवहारिक रूप से नई चीजें सीख रहे हैं. साथ ही इसके जरिए उन्हें दो पैसे की आमदनी भी हो रही है. उन्होंने बताया कि यह राखियां बनने के बाद स्कूलों, कॉलेजों और अलग-अलग दुकानों पर भेजी जाती हैं, जहां उन्हें बेचा जाता है. बेचने के बाद जो भी लाभ होता है, वह बच्चों में बांट दिया जाता है. इससे यह बच्चे व्यवहारिक रूप से कुछ सीखने के साथ-साथ आर्थिक रूप से कुछ पैसे भी कमा लेते हैं.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप