ETV Bharat / state

बीएचयू में प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को मायावती ने ठहराया सही

बीएचयू में प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर उपजे विवाद पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को सही ठहराया है.

प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को मायावती ने ठहराया सही.
author img

By

Published : Nov 21, 2019, 6:24 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 7:46 PM IST

वाराणसी: बनारस हिन्दू केन्द्रीय विवि में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कालर फिरोज खान को लेकर विवाद पर मायावती ने कहा है कि शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है. कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की अति-राजनीति से जोड़ने के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है.

  • 2. बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा और इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। सरकार इसपर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा

    — Mayawati (@Mayawati) November 21, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या है पूरा मामला

  • मामला बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय ( एस.वी.डी.वी. डिपार्टमेंट) का है.
  • यहां फिरोज खान नाम के एक गैर हिन्दू प्रोफेसर की नियुक्ति की गई है, जिसको लेकर छात्र नाराजगी जता रहे हैं.
  • छात्र पूरी तरह से इस नियुक्ति के खिलाफ हैं.
  • विभाग के छात्र पिछले 14 दिनों से कुलपति आवास के सामने धरना दे रहे हैं.
  • छात्रों का आरोप है अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षक की नियुक्ति पूरी तरह से विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ है और इसे तुरंत रद्द कर देना चाहिए.
  • छात्रों ने चेतावनी भी दी है कि जब तक यह नियुक्ति रदद् नहीं होगी तब तक वह इसी तरह विरोध करते रहेंगे.

मायावती ने आगे कहा कि बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा. इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं है. सरकार इस पर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा.

विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना, नियुक्ति से धर्म निरपेक्षता को बढ़ावा

छात्रों का कहना है कि पंडित मदन मोहन मालवीय में विश्विद्यालय की स्थापना करते वक्त विश्वविद्यालय का जो इतिहास लिखा है. उसमें साफ साफ कहा गया है कि कोई भी गैर हिन्दू इस विभाग में नहीं आ सकते हैं. ऐसे में एक गैर हिन्दू अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षक की नियुक्ति विभाग में क्यों की गई. वहीं विश्विद्यालय प्रशासन का यह मानना है कि इस नियुक्ति से विश्वविद्यालय में धर्म निरपेक्षता को बढ़ावा दिया जा रहा है.

वाराणसी: बनारस हिन्दू केन्द्रीय विवि में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कालर फिरोज खान को लेकर विवाद पर मायावती ने कहा है कि शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है. कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की अति-राजनीति से जोड़ने के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है.

  • 2. बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा और इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। सरकार इसपर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा

    — Mayawati (@Mayawati) November 21, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या है पूरा मामला

  • मामला बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय ( एस.वी.डी.वी. डिपार्टमेंट) का है.
  • यहां फिरोज खान नाम के एक गैर हिन्दू प्रोफेसर की नियुक्ति की गई है, जिसको लेकर छात्र नाराजगी जता रहे हैं.
  • छात्र पूरी तरह से इस नियुक्ति के खिलाफ हैं.
  • विभाग के छात्र पिछले 14 दिनों से कुलपति आवास के सामने धरना दे रहे हैं.
  • छात्रों का आरोप है अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षक की नियुक्ति पूरी तरह से विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ है और इसे तुरंत रद्द कर देना चाहिए.
  • छात्रों ने चेतावनी भी दी है कि जब तक यह नियुक्ति रदद् नहीं होगी तब तक वह इसी तरह विरोध करते रहेंगे.

मायावती ने आगे कहा कि बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा. इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं है. सरकार इस पर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा.

विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना, नियुक्ति से धर्म निरपेक्षता को बढ़ावा

छात्रों का कहना है कि पंडित मदन मोहन मालवीय में विश्विद्यालय की स्थापना करते वक्त विश्वविद्यालय का जो इतिहास लिखा है. उसमें साफ साफ कहा गया है कि कोई भी गैर हिन्दू इस विभाग में नहीं आ सकते हैं. ऐसे में एक गैर हिन्दू अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षक की नियुक्ति विभाग में क्यों की गई. वहीं विश्विद्यालय प्रशासन का यह मानना है कि इस नियुक्ति से विश्वविद्यालय में धर्म निरपेक्षता को बढ़ावा दिया जा रहा है.

Intro:Body:

             
  1. Mayawati‏Verified account @Mayawati 9h9 hours ago
             

    More



             

    2. बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा और इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। सरकार इसपर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा



             

    59 replies264 retweets1,442 likes



             

    Reply


              59 

             

    Retweet


              264 

             

    Like


              1.4K

             

    Show this thread


             

  2.          
  3. Mayawati‏Verified account @Mayawati 9h9 hours ago
             

    More



             

    बनारस हिन्दू केन्द्रीय विवि में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कालर फिरोज खान को लेकर विवाद पर शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है। कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की अति-राजनीति से जोड़ने के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है


             


Conclusion:
Last Updated : Nov 21, 2019, 7:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.