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कभी बावरे मन ने देखा था सपना, अब जाकर हुआ कोई अपना - राजकीय पाश्चात महिला देख रेख संगठन

यूपी के वाराणसी में राजकीय पाश्चात वर्ती महिला देख रेख संगठन में रह रही संवासिनियों का विवाह धूमधाम से संपन्न कराया गया. इस अवसर पर संवासिनियों का कहना था कि आज उनका सपना पूरा हुआ है जो वह कभी अपने बावरे मन से देखा करती थीं.

विदा हो चली संवासिनियां
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Published : Nov 21, 2019, 8:41 PM IST

वाराणसी: राजकीय पाश्चात वर्ती देखरेख संगठन की किशोरियों के बावरे मन में भी एक सपना था. यह सपना था बाबुल के घर से पिया घर जाकर गृहस्थी संभालने का, लेकिन हालात की वजह से इनको इस बात पर यकीन नहीं था कि इनका यह सपना साकार होगा या नहीं. इन सबसे परे बुधवार को इस संगठन में पली बढ़ी किशोरियों का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ.

विदा हो चलीं संवासिनियां.

अधिकारियों ने किया कन्यादान
महिला कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित संस्था राजकीय पाश्चात वर्ती देखरेख संगठन में 23 निराश्रित संवासिनियों का बुधवार को धूमधाम के साथ विवाह संपन्न कराया गया. पूरे हिंदू रीति-रिवाज से इन 23 संवासिनियों को विदा करने और कन्यादान करने की रस्म अधिकारियों ने पूरी की. साथ ही लड़कियों के खाते में 35 हजार रुपये के साथ ही जरूरत का हर सामान दिया गया.

इसे भी पढ़ें:- कथक क्वीन सितारा देवी की याद में अस्सी घाट पर हुआ भावार्पण कार्यक्रम का आयोजन

नई जीवन की हो रही शुरूआत
खास बात यह है कि समाज में रहते हुए भी समाज से अलग रहने वाली इन संवासिनियों का जीवन इनके विवाह के पूर्ण होते ही गुलजार हो गया, इस बात की खुशी उनके चेहरे पर साफ देखने को मिल रही थी. बता दें कि कोई संवासिनी यहां पर 4 सालों से रह रही है तो किसी का पूरा बचपन ही यहां पर बीता है. इनका कहना है कि अब पिया के घर जाएंगी और अपने नए जीवन की शुरूआत करेंगी.

देश के कोने-कोने से आए रिश्ते
पाश्चात वर्ती महिला देख रेख संगठन में पलने वाली संवासिनियों की शादी के लिए रिश्ते भी बनारस ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग कोनों से आए थे. वहीं एक संवासिनी से विवाह करने जयपुर से अपने परिवार के साथ आए दूल्हे ने बताया कि उनके गांव में लड़कियों का अनुपात लड़कों की अपेक्षा काफी कम है, इसीलिए वह यहां विवाह के लिए आए हैं.

इसे भी पढ़ें:- वाराणसी: बच्चों की तरह मनाया जाता है बाबा बटुक भैरव का जन्मोत्सव

वाराणसी: राजकीय पाश्चात वर्ती देखरेख संगठन की किशोरियों के बावरे मन में भी एक सपना था. यह सपना था बाबुल के घर से पिया घर जाकर गृहस्थी संभालने का, लेकिन हालात की वजह से इनको इस बात पर यकीन नहीं था कि इनका यह सपना साकार होगा या नहीं. इन सबसे परे बुधवार को इस संगठन में पली बढ़ी किशोरियों का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ.

विदा हो चलीं संवासिनियां.

अधिकारियों ने किया कन्यादान
महिला कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित संस्था राजकीय पाश्चात वर्ती देखरेख संगठन में 23 निराश्रित संवासिनियों का बुधवार को धूमधाम के साथ विवाह संपन्न कराया गया. पूरे हिंदू रीति-रिवाज से इन 23 संवासिनियों को विदा करने और कन्यादान करने की रस्म अधिकारियों ने पूरी की. साथ ही लड़कियों के खाते में 35 हजार रुपये के साथ ही जरूरत का हर सामान दिया गया.

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नई जीवन की हो रही शुरूआत
खास बात यह है कि समाज में रहते हुए भी समाज से अलग रहने वाली इन संवासिनियों का जीवन इनके विवाह के पूर्ण होते ही गुलजार हो गया, इस बात की खुशी उनके चेहरे पर साफ देखने को मिल रही थी. बता दें कि कोई संवासिनी यहां पर 4 सालों से रह रही है तो किसी का पूरा बचपन ही यहां पर बीता है. इनका कहना है कि अब पिया के घर जाएंगी और अपने नए जीवन की शुरूआत करेंगी.

देश के कोने-कोने से आए रिश्ते
पाश्चात वर्ती महिला देख रेख संगठन में पलने वाली संवासिनियों की शादी के लिए रिश्ते भी बनारस ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग कोनों से आए थे. वहीं एक संवासिनी से विवाह करने जयपुर से अपने परिवार के साथ आए दूल्हे ने बताया कि उनके गांव में लड़कियों का अनुपात लड़कों की अपेक्षा काफी कम है, इसीलिए वह यहां विवाह के लिए आए हैं.

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Intro:स्पेशल:

वाराणसी: 21 साल की पूजा और 20 साल की पूनम के अरमान उन्हीं लड़कियों की तरह है जैसे हर लड़की के होते हैं. इनके बावरे मन में भी एक सपना था सपना बाबुल के घर से पिया के घर सज धज कर जाने के बाद अपनी गृहस्थी को संभालने का लेकिन हालात कुछ ऐसे हुए किबइनका यह सपना पूरा होगा या नहीं इस पर भी संशय था. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि न इनके परिवार का पता था और ना ही इनको समाज उस नजर से देखता था जिस नजर से बाकी लड़कियों को देखा जाता है. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि यह पली-बढ़ी संवासिनी गृह में . वाराणसी के जैतपुरा स्थित पाश्चात्य भर्ती महिला देखरेख संगठन में आज मंगल ध्वनि सुनाई दी. मौका था यहां बंद 23 संवाद संवासिनियों के पुनर्वास कार्यक्रम के तहत उनके जीवन को संवारने के लिए उनके विवाह आयोजन का.


Body:वीओ-01 दरअसल महिला कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित संस्था राजकीय पश्चात व्रती देखरेख संगठन में 23 निराश्रित संवासिनियों का आज धूमधाम के साथ विवाह संपन्न कराया गया रीति रिवाज से इन 23 लड़कियों को विदा करने की रस्म अधिकारियों ने पूरी की कन्यादान अधिकारियों ने किया और लड़कियों के खाते में 35 हजार रुपये के साथ जरूरत का हर सामान दिया गया. सबसे बड़ी बात यह है कि समाज में रहते हुए भी समाज से अलग रहने वाली इंसर्म वासियों का जीवन आज जिस तरह से गुलजार हुआ वह शायद उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था इस बात की खुशी इनके चेहरे पर भी साफ दिख रहे थे इनका कहना था कि अब हम अपने नए जीवन की शुरुआत करेंगे. कोई संवासिनी यहां पर 4 सालों से बंद है तो कोई बचपन से ही यहां पर रह रही थी, लेकिन अब वह पिया के घर जाएगी और नई जिंदगी की शुरुआत करेगी.


बाईट- विनय कुमार सिंह, एडीएम सिटी
बाईट- प्रवीण कुमार त्रिपाठी, जिला प्रोबेशन अधिकारी
बाईट- पूजा, दुल्हन
बाईट- पूनम,दुल्हन


Conclusion:वीओ-02 23 निराश्रित संवासिनियों की शादी के लिए रिश्ते भी बनारस ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग कोनों से आये. जयपुर से अपने परिवार के साथ शादी करने पहुंचे दूल्हे ने बताया कि उसके गांव में लड़कियों का रेशियो इतना कम है कि वहां शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलती. जिसकी वजह से वह अपनी शादी करने यहां आया. यहां तक कि उसके बड़े भाई ने भी 5 साल पहले वाराणसी के इसी संवासिनि गृह में रहने वाली लड़की से शादी की और आज जीवन सुखमय तरीके से बीत रहा है. इसके अलावा बनारस, जौनपुर,-गाजीपुर आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में दूल्हे पहुंचकर यहां पर रहने वाली निराश्रित संवासिनियों का जीवन सवारने के लिए उनके साथ सात फेरे लेकर उन्हें विदा कराकर खुशी-खुशी अपने साथ ले गए.

बाईट- कुलदीप चौरसिया, दूल्हा
बाईट- सेवाराम अग्रवाल, दूल्हे के पिता
बाईट- मनीष, दूल्हा
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