वाराणसी: वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस ने विश्व की अर्थवयवस्था को घुटनों पर ला दिया है. इससे भारत भी खासा प्रभावित हुआ है. इस महामारी में जहां बड़े और छोटे दोनों व्यापारी प्रभावित हुए हैं, वहीं इस वैश्विक महामारी की वजह से भारत में बैंड-बाजा बारात की भी हालत खराब हो चुकी है.
कोरोना ने नहीं बजने दी शहनाइयां
भारत में शादियों का सीजन अप्रैल माह से शुरू हो जाता है. इस बार के सीजन में 30 विवाह मुहूर्त थे. इन शादी-विवाह के मुहूर्तों पर विवाह को सफल बनाने में टेंट, कैटरिंग और सजावट की बड़ी अहम भूमिका होती है. इन सभी व्यापारों से कई लोगों का साल भर तक जीवन यापन होता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने इस व्यापर पर खासा असर डाला है. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी शादियों से जुड़े लोग प्रभावित हुए हैं. इन लोगों की लगभग एक साल की रकम डूब गयी है.
कैटरिंग वाले हैरान तो फूल कारोबारी परेशान
शादियों का सीजन अप्रैल से शुरू होकर जुलाई तक चलता है. साल भर की लगभग 50 प्रतिशत शादियां इस माह में हो जाती हैं. धर्म नगरी वाराणसी में स्थानीय लोगों के अलावा इस शहर में डेस्टिनेशिंग वेडिंग करने वालों की कतार लगी रहती है. इस बार अन्य लोगों की तरह इससे सम्बंधित लोगों को भी निराशा हाथ लगी है. टेंट व्यापारी से लेकर फूलों के व्यापारी तक के आर्डर वापिस हो चुके हैं. जिससे अब तक इन सबका लाखों का नुकसान हुआ है. इतना ही नहीं इस व्यापार में सैकड़ों मजदूरों की चैन काम करती है, वह भी इस कोरोना के कारण खासे प्रभावित हुए हैं और आर्थिक तंगी के मुहाने पर पहुंच गए हैं.
उम्मीदों पर फिरा पानी
शादियों के इस सीजन में फूलों जुड़े लोग भी अच्छी कमाई करते हैं. जिसमें व्यापारी, मजदूर और किसान शामिल होते हैं, लेकिन पिछले 1 महीने से फूलों का व्यापार पूरी तरह से बंद होने के कारण ये व्यापार बदहाली की कगार पर है. इन्हें शादियों के इस सीजन से उम्मीद थी कि इनकी बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति शादियों का ये सीजन सही कर देगा, लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन की बढ़ी अवधि ने इनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.