वाराणसी : धर्म नगरी काशी में ममता बनर्जी ने बुधवार को एक बड़ा 'खेला' करते हुए यूपी की राजनीति में अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई. यह पहली बार हुआ जब कोई बड़ा नेता गंगा आरती देखने गया और बिना गंगा पूजन के ही वापस चला गया. ममता बनर्जी के इस व्यवहार का कारण भी था क्योंकि उन्हें वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर काफी विरोध का सामना करना पड़ा.
खास बात यह रही कि विरोध का तरीका भी वहीं था जो बंगाल के चुनाव में खासा चर्चा का विषय बना था. अब सवाल यह है कि ममता का यह व्यवहार सियासी था या परंपरा का निर्वहन, यह आने वाला समय ही बता पाएगा.
ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश दौरे के दौरान बीते 7 फरवरी को समाजवादी पार्टी के कांफ्रेंस में ममता बनर्जी ने कहा, 'मैं वाराणसी जाऊंगी, पूजा भी करूंगी और दीप भी जलाऊंगी'. हालांकि ममता बनर्जी ने बनारस गंगा आरती में न दीप जलाए, न ही पूजन किया. उन्होंने पूरी गंगा आरती घाट की सीढ़ियों पर ही बैठकर देखा जबकि उनके लिए गंगा पूजन के साथ ही आरती देखने के लिए पूरी व्यवस्था की गई थी.
इस दौरान ममता बनर्जी को गंगा पूजन के लिए कई बार बुलाया गया लेकिन न ही वो गईं, न ही वीआईपी सीट पर बैठ पूजन देखा. हालांकि उन्होंने अपने नाम से रसीद कटवा कर के गंगा पूजन की परंपरा को पूरा जरूर किया.
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भाजपा के बिगड़े हालात हैं
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क्योंकि दीदी-भइया साथ हैं
भाजपा प.बंगाल में हुई शर्मिंदा हार के सदमे से अभी भी नहीं उबरी है, इसीलिए सुश्री ममता बनर्जी जी को बनारस में काले झंडे दिखा रही है। ये भाजपाइयों की हताशा का ही दूसरा रूप है क्योंकि वो जानते हैं कि वो उप्र भी बुरी तरह हार रहे हैं
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— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 2, 2022
क्योंकि दीदी-भइया साथ हैं
भाजपा प.बंगाल में हुई शर्मिंदा हार के सदमे से अभी भी नहीं उबरी है, इसीलिए सुश्री ममता बनर्जी जी को बनारस में काले झंडे दिखा रही है। ये भाजपाइयों की हताशा का ही दूसरा रूप है क्योंकि वो जानते हैं कि वो उप्र भी बुरी तरह हार रहे हैंभाजपा के बिगड़े हालात हैं
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क्योंकि दीदी-भइया साथ हैं
भाजपा प.बंगाल में हुई शर्मिंदा हार के सदमे से अभी भी नहीं उबरी है, इसीलिए सुश्री ममता बनर्जी जी को बनारस में काले झंडे दिखा रही है। ये भाजपाइयों की हताशा का ही दूसरा रूप है क्योंकि वो जानते हैं कि वो उप्र भी बुरी तरह हार रहे हैं
अखिलेश ने ट्वीट कर ममता का दिया साथ
वाराणसी में ममता के विरोध पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा के बिगड़े हालात है क्योंकि दीदी भैया के साथ है. भाजपा पश्चिम बंगाल में हुई हार से सदमे में है. इसलिए ममता बनर्जी को काले झंडे दिखाकर उनका विरोध कर रही है. यह विरोध भाजपाइयों की उस हताशा को बता रहा है जिसमें वह पूरी तरह उत्तर प्रदेश को हार रहे हैं.
2022 के बहाने 2024 की है तैयारी
राजनीतिक विश्लेषक एके लारी की मानें तो ममता बनर्जी 2022 के चुनाव में सपा को समर्थन देने के साथ 2024 के लिए अपनी नींव को भी मजबूत कर रहीं हैं. टीएमसी को पश्चिम बंगाल के लिए ही जाना जाता है लेकिन बीते कुछ समय से ममता लगातार तृणमूल कांग्रेस का विस्तार अन्य राज्यों में कर रहीं हैं. इसी के तहत उन्होंने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन दिया है.
पश्चिम बंगाल के चुनाव में अखिलेश ने भी ममता का समर्थन दिया था. निश्चित तौर पर ममता बीजेपी के विरोधी दलों को एकजुट कर गठबंधन में शामिल कर 2024 के लिए नई राह को तैयार कर रहीं हैं.
मंच से अखिलेश दिखाएंगे गठबंधन की ताकत
गौरतलब है कि गुरुवार को ऐढे़ में समाजवादी पार्टी व गठबंधन दल की जनसभा है. यहां मंच पर अखिलेश यादव अपने गठबंधन दलों के साथ शक्ति प्रदर्शन करेंगे. इसमें टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी शामिल होंगी. ममता बनर्जी कल अखिलेश के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगी. बहरहाल ममता नाराज है या फिर परंपरागत तरीके से आरती देखी, इस बात से पर्दा तो खुद ममता ही उठाएंगी. हो सकता है कि कल जनसभा में ममता इन घटनाओं पर बात करें. फिलहाल ममता दीदी के गंगा पूजन न करने की चर्चा जोरों पर है.