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कोरोना के साथ ही अब कुपोषण से भी लड़ी जाएगी जंग, काशी में शुरू हो रही बच्चों की 4डी स्क्रीनिंग - चिकित्सा अधिकारी डॉ.एके गुप्ता

कोरोना संक्रमण की भयावहता ने बच्चों के कुपोषण से जंग लड़ने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया था. लेकिन सक्रमण की धीमी रफ्तार ने पुनः कुपोषण के खिलाफ हुंकार भरने की प्रकिया को शुरू कर दिया है. जिसके बाद सीएमओ के निर्देश पर एक बार फिर जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत व बच्चों की स्क्रीनिंग शुरू की गई है.

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Published : Feb 13, 2022, 12:24 PM IST

वाराणसी: कोरोना संक्रमण की भयावहता ने बच्चों के कुपोषण से जंग लड़ने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया था. लेकिन सक्रमण की धीमी रफ्तार ने पुनः कुपोषण के खिलाफ हुंकार भरने की प्रकिया को शुरू कर दिया है. जिसके बाद सीएमओ के निर्देश पर एक बार फिर जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत व बच्चों की स्क्रीनिंग शुरू की गई है. इसके तहत जनपद के आठ ब्लॉकों में आरबीएसके की 16 टीमें, ग्रामीण स्तर पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बच्चों की स्क्रीनिंग करेंगी.

जिले में बच्चों की पुनः शुरू हो रही 4-डी स्क्रीनिंग

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने से आरबीएसके के तहत बच्चों के लिए चल रही '4-डी स्क्रीनिंग' और कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराने का काम बाधित था, लेकिन अब धीरे-धीरे सेवाएं पटरी पर लौट रही हैं.

इसे भी पढ़ें - वाराणसी में गंगा का पानी हुआ काला, जल निगम की तकनीकी टीम करेगी जांच

कक्षा नौ से ऊपर के स्कूल भी खुल चुके हैं. लिहाजा स्क्रीनिंग पुनः शुरू की रही हैं. स्क्रीनिंग में यदि कोई 5 वर्ष से कम का बच्चा कुपोषित मिलता है तो उसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय, पाण्डेयपुर के एमसीएच विंग में संचालित पोषण पुर्नवास केन्द्र में भर्ती कराया जाएगा.साथ ही 4-डी श्रेणी में आने वाली बीमारियों से पीड़ित बच्चों को उपचार उपलब्ध होगा.

यह बीमारियां 4-डी श्रेणी में हैं शामिल

बता दें कि बच्चों की सभी तीस प्रकार की बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटा गया है.इन श्रेणियों को 4-डी का नाम दिया गया है. इस 4-डी में पहला है डिफिसिएंसीज यानी पोषाहार में कमी की वजह से होने वाली बीमारियां, दूसरा, डिसीज यानी बच्चों की सामान्य बीमारियां, तीसरा डिफेक्ट यानी जन्मजात विकृतियों से उत्पन्न रोग एवं चौथा डेवलपमेंटल डिसीज यानी विकास में कमी वाले रोग शामिल हैं.

आरबीएसके के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.एके गुप्ता ने बताया कि आरबीएसके में शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों का 4 डी के अन्तर्गत आने वाली बीमारियों का समुचित इलाज कराया जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

वाराणसी: कोरोना संक्रमण की भयावहता ने बच्चों के कुपोषण से जंग लड़ने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया था. लेकिन सक्रमण की धीमी रफ्तार ने पुनः कुपोषण के खिलाफ हुंकार भरने की प्रकिया को शुरू कर दिया है. जिसके बाद सीएमओ के निर्देश पर एक बार फिर जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत व बच्चों की स्क्रीनिंग शुरू की गई है. इसके तहत जनपद के आठ ब्लॉकों में आरबीएसके की 16 टीमें, ग्रामीण स्तर पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बच्चों की स्क्रीनिंग करेंगी.

जिले में बच्चों की पुनः शुरू हो रही 4-डी स्क्रीनिंग

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने से आरबीएसके के तहत बच्चों के लिए चल रही '4-डी स्क्रीनिंग' और कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराने का काम बाधित था, लेकिन अब धीरे-धीरे सेवाएं पटरी पर लौट रही हैं.

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कक्षा नौ से ऊपर के स्कूल भी खुल चुके हैं. लिहाजा स्क्रीनिंग पुनः शुरू की रही हैं. स्क्रीनिंग में यदि कोई 5 वर्ष से कम का बच्चा कुपोषित मिलता है तो उसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय, पाण्डेयपुर के एमसीएच विंग में संचालित पोषण पुर्नवास केन्द्र में भर्ती कराया जाएगा.साथ ही 4-डी श्रेणी में आने वाली बीमारियों से पीड़ित बच्चों को उपचार उपलब्ध होगा.

यह बीमारियां 4-डी श्रेणी में हैं शामिल

बता दें कि बच्चों की सभी तीस प्रकार की बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटा गया है.इन श्रेणियों को 4-डी का नाम दिया गया है. इस 4-डी में पहला है डिफिसिएंसीज यानी पोषाहार में कमी की वजह से होने वाली बीमारियां, दूसरा, डिसीज यानी बच्चों की सामान्य बीमारियां, तीसरा डिफेक्ट यानी जन्मजात विकृतियों से उत्पन्न रोग एवं चौथा डेवलपमेंटल डिसीज यानी विकास में कमी वाले रोग शामिल हैं.

आरबीएसके के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.एके गुप्ता ने बताया कि आरबीएसके में शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों का 4 डी के अन्तर्गत आने वाली बीमारियों का समुचित इलाज कराया जाता है.

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