वाराणसी: उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर संसार के सबसे पुराने नगरों में गिना जाता है. इसे काशी नगरी भी कहते हैं, जहां महादेव का वास है. यहां की परंपरा, खानपान, संस्कृति एक अलग कहानी बयां करती है. इनके साथ-साथ मिठाइयों की बात कर लें, तो काशी की मिठाइयां भी अपने आप में बेहद ऐतिहासिक मानी जाती हैं. आज हम आपको वाराणसी की एक खास और अनोखी मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस पर आज भी सिर्फ और सिर्फ बनारस का ही वर्चस्व है.
इस मिठाई का नाम है 'बनारसी मलइयो'. जब मलइयो की बात आती है, तो बनारसियों के चेहरे खिल उठते हैं. क्योंकि काशीवासी पूरे साल इस सीजनल मिठाई का इंतजार करते हैं कि कब सर्दी आये की मलइयों का स्वाद चखें. सबसे खास बात यह है कि यह मिठाई किसी मशीन में नहीं, बल्कि ओस की बूंदों से तैयार होती है.
बनारस की मलइयो होती है बेहद स्वादिष्ट
सर्दियों के मौसम में वाराणसी के लगभग सभी जगहों पर आपको मलइयो खाने को मिल जाएगी. लेकिन बनारस के चौखंबा गली में मिलने वाली भइयों की मलइयो की तो बात ही कुछ और है. कहा जाता है कि यहीं से मलाइयो बनाने की शुरुआत की गई थी. आज भी लोग दूर-दराज से यहां मलइयो खाने आते हैं. सुबह के समय यहां पर काफी संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठी होती है. लोग मलइयो खाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे होते हैं.
ओस की बूंदों से तैयार होती है ये मिठाई
दुकानदार भैया लाल ने बताया कि बनारसी मलइयो दूध और ओस की बूंदों से तैयार होती है. यही वजह है कि यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. उन्होंने बताया कि यदि 3 महीने बनारसी मलइयो को खा लिया जाए, तो आंखों की रोशनी बढ़ जाती है. आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए मलइयो किसी वरदान से कम नहीं है. ओस की बूंदों में प्राकृतिक मिनरल पाए जाते हैं. जो त्वचा के लिए काफी लाभदायक होते हैं. इसके साथ ही मलइयो में पड़ने वाले केसर, बादाम शक्ति वर्धक होते हैं. यानी यह मलइयो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी उतना ही फायदेमंद है.
इन सामग्रियों से बनती है मलइयो
दुकानदार भैया लाल ने बताया कि वर्तमान में आधुनिकता के परिवेश के कारण मलइयो भले ही कई फ्लेवर में मौजूद है, लेकिन इसकी यदि हम पारंपरिक स्वाद की बात करें तो यह केसर-पिस्ता, बादाम से बनाई जाती है. इसमें दूध, चीनी, केसर, पिस्ता, बादाम, इलायची मिलाई जाती है. दुकानदार भैया लाल बताते हैं कि इसको खाने से शारीरिक सुंदरता भी बढ़ती है. इससे चेहरे पर निखार आता है. इम्यूनिटी पावर भी बढ़ता है.
ग्राहकों ने भी बताई इसकी खुबियां
मलइयो को खाने वाले लोग बताते हैं कि बनारस आकर यदि कोई मलइयो नहीं खाया, तो उसका बनारस आना अधूरा है. लोगों का कहना था कि वे पूरे साल मलइयो का इंतजार करते हैं, क्योंकि शबनम के इस्तेमाल से बनने वाली मलइयो केवल सर्दी के 3 महीने ही मिलती है. मलइयो का स्वाद लेते हुए ग्राहकों ने यह भी बताया कि जितना ज्यादा ओस पड़ता है, मलइयो की गुणवत्ता भी उतनी ही अच्छी होती है. लोगों का कहना रहा कि पूरे बनारस में जगह-जगह मलइयो मिलती है, लेकिन भैया लाल की मलइयो बेहद स्वादिष्ट होती है. यह झाग जैसा होता है. मुंह में रखते ही घुल जाता है, जो काफी स्वादिष्ट होता है. तो अगली बार आप जब भी काशीनगरी आएं तो भइयो की मलइयो का स्वाद जरूर चखें.