वाराणसी: सनातन धर्म को पर्व और त्योहार के लिए जाना जाता है. यहां पर हर दिन एक त्यौहार मनाया जाता है और अलग-अलग हिस्से में त्योहारों को भी अलग-अलग मनाए जाने की परंपरा है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भी एक ऐसा पर्व है जो उत्तर से दक्षिण तक अलग-अलग रूप में मान्य होता है. वैसे तो एक मान्यता के अनुसार 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि 14 जनवरी को ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है. लेकिन इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को नहीं है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के एक्सपर्ट्स की माने तो मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को नहीं बल्कि इस वर्ष 15 जनवरी को मनाया जाएगा.
रात्रि 2 बजे के बाद मकर राशि में प्रवेश करेगा सूर्य
काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर सुभाष पांडेय का कहना है कि इस वर्ष माघ कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि को शनिवार पड़ रही है. उस दिन रात्रि में 2 बजे के बाद मकर राशि में सूर्य का प्रवेश हो रहा है, जो 15 तारीख को सूर्योदय के बाद 16 घटी तक पुण्य काल माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुण्य काल जब तक रहेगा, यानि अपराहन 2:00 बजे तक संक्रांतिजन्य पुण्य काल माना जाएगा. यह ऐन की संक्रांति है. उस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं, जो हमारी क्रांति है वह भी उत्तरायण की तरफ अग्रसर हो जाएगी और इस दिन से ही शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है.
15 तारीख को 2:00 बजे तक रहेगा पुण्य काल
प्रोफेसर पांडेय के मुताबिक जब मकर राशि में सूर्य प्रवेश करते है, तो शिशिर ऋतु का प्रारंभ होता है. मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत होती है. विवाह इत्यादि कार्य उत्तरायण सूर्य के दौरान ही किए जाते हैं, यानी 14 तारीख की रात्रि में 2:00 बजे संक्रांति लगेगी और 15 तारीख को 2:00 बजे तक पुण्य काल रहेगा. इस दौरान गंगा स्नान (Ganga snan), नदी सरोवर में स्नान, तिल दान का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है. तिल खाया भी जाता है और खिचड़ी दान (khichdi dan) करने का भी बहुत बड़ा महत्व माना गया है. इस दिन खिचड़ी खाई भी जाती है. इसके अतिरिक्त गर्म कपड़े देने का भी विधान दान पुण्य में बताया गया है. इससे मनचाहे फल की प्राप्ति होती है.
मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत
प्रोफेसर सुभाष पांडेय ने बताया कि पंचांग में लिखे गए काल के अनुसार 15 जनवरी 2023 को ही इस बार मकर की संक्रांति पुण्य काल में मनाई जाएगी. प्रोफेसर पांडेय के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन अपने आप में सनातन धर्म मानने वालों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियां हैं और हम हर राशि पर सूर्य 1 महीने तक भ्रमण करता है. कर्क राशि से लेकर धनु राशि तक के सूर्य रहने पर सूर्य दक्षिणायन होते हैं. इस दौरान बहुत सारे मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, यज्ञोपवीत वर्जित किए गए हैं, लेकिन जब मकर राशि के सूर्यहोते हैं जब भगवान भास्कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस समय निश्चित रूप से मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है.
दिन की होगी वृद्धि, सर्दी धीरे-धीरे होगी कम
प्रोफेसर के मुताबिक अलग-अलग राशियों में राशियों के अनुसार हमारे यहां छात्रों का भी वर्णन मिलता है. जैसे मीन राशि और मेष राशि के सूर्य रहने पर बसंत ऋतु का प्रारंभ होता है. वृश्चिक राशि और मिथुन राशि के सूर्य होने पर ग्रीष्म ऋतु होती है. वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु, छह ऋतु होती हैं और एक काल का एक निर्धारण शास्त्र है और यह काल की गति है.
हमारे यहां जो भी काल की घटना होती है वह सूर्य को आधार मानकर ही की जाती है. उनका कहना है कि इस समय दक्षिण गोल में सूर्य है, लेकिन मकर राशि में धीरे-धीरे आ रहा है. अब दिन की वृद्धि भी स्टार्ट हो जाएगी और जो सर्दी की अधिकता है वह भी अब धीरे-धीरे कम होगी. 15 जनवरी के बाद मौसम में परिवर्तन भी साफ तौर पर दिखाई देने लगेगा. सूर्य दक्षिण की तरफ भ्रमण करने लगेगा और दिन बड़ा होने लगेगा, रात्रि धीरे-धीरे छोटी होगी.
12 राशियों पर पड़ता है बहुत बड़ा असर
प्रो. पाण्डेय की माने तो इसका 12 राशियों पर बहुत बड़ा असर पड़ता है. किसीकी जन्म राशि में यदि सूर्य चौथे, आठवें और बारहवें स्थान पर हो तो उसे उस महीने में नाना प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है. यदि किसी के कुंडली या राशि में सूर्य चौथे स्थान पर हैं तो सूर्य कोई भी कार्य उस व्यक्ति का नहीं होने देता है और रोग की अधिकता रहती है. उदर संबंधी विकार भी होते हैं. आठवें स्थान पर सूर्य होने पर व्यवसाय में बाधा होती है, कहीं व्यवसाय में पैसा लगने पर फंसने की स्थिति रहती है.
12 वें स्थान पर सूर्य होने पर अमुक व्यक्ति को यात्रा में सफलता नहीं मिलती है. वह किसी भी कार्य के लिए यात्रा कर रहा हो, उसमें वह सफल नहीं होता है. इसलिए यदि ऐसे लोगों की राशियों में सूर्य इन स्थान पर रहते हैं तो सूर्य पूजन सबसे सर्वोपरि माना गया है, क्योंकि सनातन धर्म में साक्षात देवता के रूप में सूर्य और चंद्र स्पष्ट तौर पर दिखाई देते हैं. इसलिए जो व्यक्ति सूर्य का पूजन करता है. भगवान भास्कर को अर्घ्य देता है प्रतिदिन, उसके जीवन में किसी भी प्रकार का संताप और तकलीफ नहीं आती है. इसलिए हर व्यक्ति को सूर्य की उपासना करनी चाहिए.
सूर्य के राशि परिवर्तन का 12 राशियों पर प्रभाव
मेष: कार्य क्षेत्र में सफलता आर्थिक लाभ.
वृष: धार्मिक क्रियाकलापों में मन लगेगा, लाभ.
मिथुन: शारीरिक कष्ट, समय अनुकूल नहीं होगा.
कर्क: साझे में किए गए प्रयास सफल होंगे.
सिंह: चिंतन की स्थिति होगी कोई भी निर्णय बहुत सोचकर करें.
कन्या: प्रेम के माहौल में समय अच्छा बीतेगा, विद्यार्थियों को मेहनत करनी होगी.
तुला: शुभ समाचार मिलेंगे, अपनों से लाभ.
वृश्चिक: यश, कीर्ति और सम्मान की प्राप्ति होगी.
धनु: लाभ होगा, व्यापार अच्छा चलेगा.
मकर: अपने सभी कार्यों को पूरा करेंगे और हर तरफ आपकी चर्चा होगी.
कुंभ: बेवजह के खर्चों से बचें, नहीं तो स्थिति बिगड़ सकती है.
मीन: शुभ और लाभदायक होगी संक्रांति.
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