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जालौन में बारिश कम होने से बढ़ रही किसानों की समस्याएं - जालौन किसान

जिले में कम बारिश होने से किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है. खरीफ की फसलों की बुवाई न होने से काफी नुकसान पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.

कम बारिश होने से नहीं हो पा रही फसलों की बुवाई.
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Published : Jul 3, 2019, 2:31 PM IST

जालौन: जिले में मॉनसून न आने से खेत भीषण सूखे की चपेट में नजर आते दिखाई दे रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल जून माह में 50 फीसदी से भी कम बारिश दर्ज की गई है.

कम बारिश होने से नहीं हो पा रही फसलों की बुवाई.

बारिश न होने से किसान परेशान और मायूस

  • साल 2018 में जून माह में 70 एमएम बारिश दर्ज की गई थी.
  • साल 2019 में जून माह में 34 एमएम बारिश दर्ज हो पाई है.
  • खरीफ की फसलों की समय से बुवाई न होने से नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ गई है.
  • बारिश न होने से खरीफ की बुवाई नहीं हो पाई है.

एक बार बारिश हो गई थी, तो खेत खरीफ की फसल के लिए तैयार कर लिया था. अब पिछले 6 दिन से बारिश का इंतजार कर रहे हैं. इससे बुवाई समय से हो सके लेकिन बारिश दूर-दूर तक होने की उम्मीद नहीं दिख रही है.
-बनारसी, स्थानीय किसान

इस बार 4 दिन पहले हल्की बारिश हुई थी. इससे खेत एक बार जुताई के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन अभी 5 दिन के अंदर बारिश की मांग किसानों के लिए बढ़ गई है. खरीफ की फसल के लिए बुवाई का समय जून और जुलाई के मध्य तक रहता है.
-डॉ. राजीव सिंह , निदेशक, कृषि विज्ञान केंद्र

जालौन: जिले में मॉनसून न आने से खेत भीषण सूखे की चपेट में नजर आते दिखाई दे रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल जून माह में 50 फीसदी से भी कम बारिश दर्ज की गई है.

कम बारिश होने से नहीं हो पा रही फसलों की बुवाई.

बारिश न होने से किसान परेशान और मायूस

  • साल 2018 में जून माह में 70 एमएम बारिश दर्ज की गई थी.
  • साल 2019 में जून माह में 34 एमएम बारिश दर्ज हो पाई है.
  • खरीफ की फसलों की समय से बुवाई न होने से नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ गई है.
  • बारिश न होने से खरीफ की बुवाई नहीं हो पाई है.

एक बार बारिश हो गई थी, तो खेत खरीफ की फसल के लिए तैयार कर लिया था. अब पिछले 6 दिन से बारिश का इंतजार कर रहे हैं. इससे बुवाई समय से हो सके लेकिन बारिश दूर-दूर तक होने की उम्मीद नहीं दिख रही है.
-बनारसी, स्थानीय किसान

इस बार 4 दिन पहले हल्की बारिश हुई थी. इससे खेत एक बार जुताई के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन अभी 5 दिन के अंदर बारिश की मांग किसानों के लिए बढ़ गई है. खरीफ की फसल के लिए बुवाई का समय जून और जुलाई के मध्य तक रहता है.
-डॉ. राजीव सिंह , निदेशक, कृषि विज्ञान केंद्र

Intro:बुंदेलखंड के सभी जिलों में मानसून का रंग ना चढ़ने से भीषण सूखे की चपेट में नजर आते दिखाई दे रहे हैं क्योंकि आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल जून माह में 50 फ़ीसदी से भी कम बारिश जिले में दर्ज की गई है 2018 में जून में 70 एमएम बारिश दर्ज की गई थी जबकि 2019 में जून महीने में महज 34 एमएम बारिश दर्ज हो पाई है जिससे खरीफ की फसलों का समय से बुवाई ना होने से नुकसान पहुंचने की संभावना अधिक बढ़ गई है


Body:जालौन जिले में खरीफ की फसल की बुवाई का समय जून और जुलाई में शुरू हो जाता है मानसून की बारिश से दिल उड़ा बाजरा और अरहर की फसलों की पैदावार की जाती है लेकिन बारिश न होने से खरीफ की बुआई नहीं हो पाई है जिससे किसानों के नुकसान की संभावनाओं को बढ़ा दिया है आंकड़ों के मुताबिक बुंदेलखंड में 2005 में औसतन बारिश भी दर्ज नहीं की गई थी 2013 में जरूर 11 सौ एमएम बारिश जिले में दर्ज की गई थी किसानों के लिए खरीफ की फसल फलदाई होती है क्योंकि इन फसलों में किसान की लागत बहुत कम आती है लेकिन अगर बारिश ने खेल बिगाड़ दिया तो किसानों को रबी की फसल के लिए लागत जुटाना मुश्किल पड़ जाता है जिले के स्थानीय किसान बनारसी बता रहे हैं कि एक बार बारिश हो गई थी तो खेत खरीफ की फसल के लिए तैयार कर लिया था लेकिन अब पिछले 6 दिन से बारिश का इंतजार कर रहा हूं जिससे बुआई समय से हो सके लेकिन बारिश दूर दूर तक होने की उम्मीद नहीं दिख रही है कृषि विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर डॉ राजीव सिंह ने बताया जालौन जिले में एवरेज बारिश 850 मिलीमीटर है जो जून के आखिरी और जुलाई के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाती है इस बार 4 दिन पहले हल्की बारिश हुई है जिससे खेत एक बार ज्योत के लिए तैयार हो गए हैं लेकिन अभी 5 दिन के अंदर बारिश की मांग किसानों के लिए बढ़ गई है खरीफ की फसल के लिए बुवाई का समय जून और जुलाई के मध्य तक रहता है और अगर बारिश लेट हो जाती है तो खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचने की संभावना अधिक बढ़ जाएगी

बाइट बनारसी स्थानीय किसान

बाइक डॉ राजीव सिंह डायरेक्टर कृषि विज्ञान केंद्र


Conclusion:
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