वाराणसी: काशी को धर्म और मोक्ष की नगरी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां वास करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं. क्योंकि यहां सिर्फ महादेव ही नहीं, बल्कि उनके पिता स्वयं महेश्वर महादेव भी विराजमान हैं. जी हां, काशी में हजारों देवी देवता का वास होता है, उन्हीं में से एक हैं बाबा विश्वनाथ के पिता महेश्वर महादेव.
कहा जाता है कि जब काशी और गंगा का अस्तित्व नहीं था, तब से यहां पर बाबा विश्वनाथ के पिता महेश्वर महादेव वास करते हैं. कहते हैं कि इनके दर्शन पूजन करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. यही वजह है कि पितृपक्ष में महेश्वर महादेव मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ जुटी रहती है.
30 फीट नीचे विराजमान हैं बाबा
बाबा विश्वनाथ मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर दूर सिंघिया घाट के पास शीतला गली में महेश्वर महादेव का मंदिर है. बाबा महेश्वर महादेव का मंदिर जमीन से लगभग 30 फीट नीचे है. यहां पर पंचमुख शेषनाग के नीचे बाबा विराजमान हैं. 30 फीट गहरा नीचे होने के कारण मंदिर की दीवारों से पानी निकलता है. इससे मंदिर की तलहटी बेहद ठंडी रहती है.
इसे भी पढ़ें : 'शिव की रसोई' में विशेष मौके पर आप भी करा सकते हैं भक्तों को भोजन
पुराने काशी खंड में मिलता है वर्णन
पिता महेश्वर मंदिर के सेवक सुरेश शर्मा ने बताया कि काशी खंड में बाबा के होने का प्रमाण मिलता है. इस मंदिर को लेकर कई सारी पौराणिक मान्यता हैं. कहा जाता है कि जब पहली बार देवी देवता काशी आए थे तो यहां पर अपने पिता को न देखकर काफी उदास हुए. जिसके बाद उन्होंने पिता महेश्वर महादेव का आह्वान किया था. उस समय से पिता महेश्वर यहीं पर विराजमान हैं. देवी देवताओं के बुलावे पर महेश्वर महावेद 'गया' से चलकर काशी आए और यहां पर स्वयंभू हो गए.
इसे भी पढ़ें : बाबा विश्वनाथ दरबार की बढ़ेगी सुरक्षा, रेड और येलो जोन का होगा विस्तार
साल में एक बार खुलता है मंदिर
मंदिर के सेवक ने बताया कि बाबा का मंदिर साल भर में एक बार सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही खुलता है. इस दिन बाबा का श्रृंगार और अभिषेक किया जाता है. उसके बाद दर्शनार्थियों के लिए मंदिर खोल दिया जाता है. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पर दर्शन के लिए आते हैं.