ETV Bharat / state

5 महीने का आध्यात्मिक लॉकडाउन, हरि विष्णु चले शयन को

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगले 5 महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाएगा. लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि इस दौरान श्री हरि विष्णु निद्रा करते हैं, जिसके कारण कोई शुभ काम नहीं किया जाता.

डॉ. विनय कुमार पांडेय
डॉ. विनय कुमार पांडेय
author img

By

Published : Jul 1, 2020, 8:19 AM IST

Updated : Jul 2, 2020, 11:31 AM IST

वाराणसी: सनातन धर्म में व्रत, त्यौहार और तिथियों का विशेष महत्व माना गया है. अनादि काल से अलग-अलग मौसम में अलग-अलग तरीके से खुद को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के उद्देश्य से ऋषि मुनि तरह-तरह के तरीके अपनाते रहे हैं. वैज्ञानिक आधार पर इन तरीकों को शास्त्र सम्मत करते हुए आज के समय में भी पालन करने की बातें धर्म शास्त्रों में कही गई हैं. यही वजह है कि अगर ऋषि मुनियों की कही बातों का अनुसरण किया जाए, तो हम न सिर्फ स्वस्थ रहते हैं, बल्कि कोविड-19 के दौर में अपने साथ अपने परिवार को भी बिल्कुल सुरक्षित रख सकेंगे.

5 महीने तक नहीं होंगे शुभ कार्य
वैसे तो इस महामारी से बचने के लिए लॉकडाउन का सहारा लेकर लोगों को घरों में रहने की अपील की जा रही है, लेकिन धार्मिक आधार पर 1 जुलाई से एक ऐसा मौका आ रहा है, जिसका फायदा सनातन धर्मावलंबियों को उठाकर न सिर्फ इस महामारी से खुद को सुरक्षित रखने में सहायता मिलेगी, बल्कि इस धार्मिक लॉकडाउन के बल पर आने वाले 5 महीनों तक इस महामारी से लड़ने की शक्ति भी मिल जाएगी.

देवशयनी एकादशी का महत्व
दरअसल ,1 जुलाई को देवशयनी एकादशी का पर्व है. देवशयनी एकादशी यानी भगवान श्री हरि विष्णु के शयन करने का वक्त. धर्म शास्त्रों के मुताबिक, भगवान श्री हरी विष्णु आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन योग निद्रा में जाते हैं. क्षीर सागर में श्री हरि विष्णु योग निद्रा में 5 माह तक रहते हैं, जिसे चातुर्मास के नाम से जाना जाता है. धर्म शास्त्रों में भी वर्णित है कि इस चातुर्मास के दौरान सभी शुभ कार्य पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. शादी विवाह से लेकर गृह प्रवेश कोई शुभारंभ, मुंडन, जनेऊ संस्कार कुछ भी नहीं संभव होता है.

देवशयनी एकादशी के पीछे की कहानी
अगर इस 5 महीने के दौरान की कहानी पर गौर करें, तो भगवान श्री हरि विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि दान के रूप में मांगी थी. भगवान ने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी, आकाश और सभी दिशाओं को ढका और अगले पग में संपूर्ण स्वर्ग लोक ले लिया. तीसरे पग में जब कुछ भी नहीं बचा, तो राजा बलि ने अपने शीश को ही भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया. इसके बाद श्री हरि विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और उनसे प्रसन्न होकर मनोवांछित वर मांगने को कहा.

डॉ. विनय कुमार पांडेय

देवोत्थान एकादशी तक राजा बलि के महल में करते हैं निवास
इस पर राजा बलि ने भगवान से उनके महल पर निवास करने की इच्छा जाहिर कर दी और अपने भक्त से प्रसन्न होकर भगवान श्री हरि विष्णु ने 5 महीने तक उनके महल में रहने का वरदान उन्हें दे दिया. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री हरि विष्णु देवशयनी एकादशी से लेकर देवोत्थान एकादशी तक राजा बलि के महल में निवास करते हैं. यही वजह है कि इस चार माह श्री हरि विष्णु जब योगनिद्रा में जाते हैं. तब सभी शुभ कार्य पूरी तरह से रुक जाते हैं. यह खुद के अंदर योग साधना और अनुष्ठान के बल पर उन सभी चीजों को जागृत करने का मास है.

नहीं होंगे किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान
इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय का कहना है कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह चातुर्मास भी कहलाती है, लेकिन इस बार यह 5 महीने की होगी. अधिक मास यानी अश्विन मास के अतिरिक्त होने की वजह से इस बार चातुर्मास 5 माह तक मान्य होगा और इन 5 माह तक किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान नहीं होंगे. नियम के मुताबिक, आदि गुरु शंकराचार्य अनादि काल से इन चार माह तक गुफा या किसी गुप्त स्थान में रहकर अपनी चेतना को योग और पूजा-पाठ के बल पर जागृत करते थे और श्री हरि विष्णु उपासना में लीन रहते थे.

यह 5 मास संक्रमण काल के माने जाते हैं
चातुर्मास का दो दृष्टि से काफी महत्व माना जाता है. धार्मिक दृष्टि से व्रत, पूजा, अनुष्ठान और योग के लिए बेहद जरूरी है. वहीं अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह 5 मास संक्रमण काल के माने जाते हैं. इस दौरान बहुत सी चीजें वर्जित होती हैं और बहुत सी चीजें करने को कही जाती हैं. वर्जित चीजों में सावन, भादो, क्वार, कार्तिक इन 5 महीनों में कई चीजों के लिए प्रतिबंध लगाया गया है. वहीं बहुत सी चीजें करने की बात खत्म ग्रंथों में वैज्ञानिक आधार पर कही गई हैं.

ऐसा सिर्फ इसलिए कि यह 5 माह खुद की चेतना को जागृत कर खुद को सुरक्षित रखने के लिए माने जाते हैं और जब वैश्विक महामारी का दौर चल रहा है, तो यह मौका और भी खास हो जाता है. धार्मिक लॉकडाउन के इस पीरियड में भले ही शुभ कार्यों पर प्रतिबंध हों, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान योग साधना और वैज्ञानिक आधार पर बताई गई चीजों के करने से इसके बहुत से फायदे मिलेंगे.

वाराणसी: सनातन धर्म में व्रत, त्यौहार और तिथियों का विशेष महत्व माना गया है. अनादि काल से अलग-अलग मौसम में अलग-अलग तरीके से खुद को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के उद्देश्य से ऋषि मुनि तरह-तरह के तरीके अपनाते रहे हैं. वैज्ञानिक आधार पर इन तरीकों को शास्त्र सम्मत करते हुए आज के समय में भी पालन करने की बातें धर्म शास्त्रों में कही गई हैं. यही वजह है कि अगर ऋषि मुनियों की कही बातों का अनुसरण किया जाए, तो हम न सिर्फ स्वस्थ रहते हैं, बल्कि कोविड-19 के दौर में अपने साथ अपने परिवार को भी बिल्कुल सुरक्षित रख सकेंगे.

5 महीने तक नहीं होंगे शुभ कार्य
वैसे तो इस महामारी से बचने के लिए लॉकडाउन का सहारा लेकर लोगों को घरों में रहने की अपील की जा रही है, लेकिन धार्मिक आधार पर 1 जुलाई से एक ऐसा मौका आ रहा है, जिसका फायदा सनातन धर्मावलंबियों को उठाकर न सिर्फ इस महामारी से खुद को सुरक्षित रखने में सहायता मिलेगी, बल्कि इस धार्मिक लॉकडाउन के बल पर आने वाले 5 महीनों तक इस महामारी से लड़ने की शक्ति भी मिल जाएगी.

देवशयनी एकादशी का महत्व
दरअसल ,1 जुलाई को देवशयनी एकादशी का पर्व है. देवशयनी एकादशी यानी भगवान श्री हरि विष्णु के शयन करने का वक्त. धर्म शास्त्रों के मुताबिक, भगवान श्री हरी विष्णु आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन योग निद्रा में जाते हैं. क्षीर सागर में श्री हरि विष्णु योग निद्रा में 5 माह तक रहते हैं, जिसे चातुर्मास के नाम से जाना जाता है. धर्म शास्त्रों में भी वर्णित है कि इस चातुर्मास के दौरान सभी शुभ कार्य पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. शादी विवाह से लेकर गृह प्रवेश कोई शुभारंभ, मुंडन, जनेऊ संस्कार कुछ भी नहीं संभव होता है.

देवशयनी एकादशी के पीछे की कहानी
अगर इस 5 महीने के दौरान की कहानी पर गौर करें, तो भगवान श्री हरि विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि दान के रूप में मांगी थी. भगवान ने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी, आकाश और सभी दिशाओं को ढका और अगले पग में संपूर्ण स्वर्ग लोक ले लिया. तीसरे पग में जब कुछ भी नहीं बचा, तो राजा बलि ने अपने शीश को ही भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया. इसके बाद श्री हरि विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और उनसे प्रसन्न होकर मनोवांछित वर मांगने को कहा.

डॉ. विनय कुमार पांडेय

देवोत्थान एकादशी तक राजा बलि के महल में करते हैं निवास
इस पर राजा बलि ने भगवान से उनके महल पर निवास करने की इच्छा जाहिर कर दी और अपने भक्त से प्रसन्न होकर भगवान श्री हरि विष्णु ने 5 महीने तक उनके महल में रहने का वरदान उन्हें दे दिया. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री हरि विष्णु देवशयनी एकादशी से लेकर देवोत्थान एकादशी तक राजा बलि के महल में निवास करते हैं. यही वजह है कि इस चार माह श्री हरि विष्णु जब योगनिद्रा में जाते हैं. तब सभी शुभ कार्य पूरी तरह से रुक जाते हैं. यह खुद के अंदर योग साधना और अनुष्ठान के बल पर उन सभी चीजों को जागृत करने का मास है.

नहीं होंगे किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान
इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय का कहना है कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह चातुर्मास भी कहलाती है, लेकिन इस बार यह 5 महीने की होगी. अधिक मास यानी अश्विन मास के अतिरिक्त होने की वजह से इस बार चातुर्मास 5 माह तक मान्य होगा और इन 5 माह तक किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान नहीं होंगे. नियम के मुताबिक, आदि गुरु शंकराचार्य अनादि काल से इन चार माह तक गुफा या किसी गुप्त स्थान में रहकर अपनी चेतना को योग और पूजा-पाठ के बल पर जागृत करते थे और श्री हरि विष्णु उपासना में लीन रहते थे.

यह 5 मास संक्रमण काल के माने जाते हैं
चातुर्मास का दो दृष्टि से काफी महत्व माना जाता है. धार्मिक दृष्टि से व्रत, पूजा, अनुष्ठान और योग के लिए बेहद जरूरी है. वहीं अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह 5 मास संक्रमण काल के माने जाते हैं. इस दौरान बहुत सी चीजें वर्जित होती हैं और बहुत सी चीजें करने को कही जाती हैं. वर्जित चीजों में सावन, भादो, क्वार, कार्तिक इन 5 महीनों में कई चीजों के लिए प्रतिबंध लगाया गया है. वहीं बहुत सी चीजें करने की बात खत्म ग्रंथों में वैज्ञानिक आधार पर कही गई हैं.

ऐसा सिर्फ इसलिए कि यह 5 माह खुद की चेतना को जागृत कर खुद को सुरक्षित रखने के लिए माने जाते हैं और जब वैश्विक महामारी का दौर चल रहा है, तो यह मौका और भी खास हो जाता है. धार्मिक लॉकडाउन के इस पीरियड में भले ही शुभ कार्यों पर प्रतिबंध हों, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान योग साधना और वैज्ञानिक आधार पर बताई गई चीजों के करने से इसके बहुत से फायदे मिलेंगे.

Last Updated : Jul 2, 2020, 11:31 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.