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Varanasi News: 11 लाख की नौकरी छोड़कर 21 राज्यों की पैदल यात्रा पर निकला युवक, जानिए क्यों? - quit job and walk for environment

यूपी काशी में एक युवा पौधारोपण कर रहा है और लोगों को प्रकृति बचाने के लिए जागरूक भी कर रहा है. दरअसल यह युवक 21 राज्यों के पैदल यात्रा पर निकला है. आइए जानते हैं कि यह युवक कौन है और इसका उद्देश्य क्या है?

21 राज्यों की पैदल यात्रा
21 राज्यों की पैदल यात्रा
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Published : Feb 3, 2023, 5:13 PM IST

11 लाख के पैकेज को छोड़कर 21 राज्यों की पैदल यात्रा

वाराणसी: कभी-कभी इंसान की जिंदगी में आई दिक्कतों से न सिर्फ उसे बड़ी सीख मिलती है, बल्कि वह दुनिया और समाज को भी कुछ सिखाने के उद्देश्य से सब कुछ छोड़ कर निकल जाता है. ऐसा ही एक 24 साल का युवक वाराणसी में इन दिनों हाथों में तिरंगा झंडा और एक पौधा लेकर चलता हुआ दिखाई दे रहा है. इस युवक का नाम है आशुतोष पांडेय और यह सुल्तानपुर का रहने वाला है. आशुतोष इन दिनों देश के 10000 किलोमीटर की यात्रा पर पैदल ही निकलें हैं. आशुतोष ने 11 लाख रुपये सलाना के पैकेज की नौकरी को छोड़कर प्रकृति को बचाने और लोगों को जागरूक करने के लिए पैदल ही 21 राज्यों की यात्रा शुरू कर की है.

दरअसल, आशुतोष लगातार पैदल चलते हुए सुल्तानपुर से निकलकर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से होते हुए 10000 किलोमीटर कर चलने का संकल्प लेकर निकले हैं. आशुतोष ने अपने सफर की शुरुआत 4 दिसंबर 2022 को की थी. आशुतोष बताते हैं कि दिल्ली में 7 सालों तक रहते हुए उन्होंने पढ़ाई लिखाई की. दिल्ली में रहते हुए उसे एहसास हुआ कि उन्होंने अपना कितना नुकसान किया है. दिल्ली की आबोहवा में फैली जहरीली गैसों से लेकर खारे पानी और खाने तक में प्रदूषण की बड़ी मात्रा ने उसे खासा परेशान किया.

आशुतोष के मुताबिक इस दौरान 2021 में नौकरी ज्वाइन की. इसके बाद उन्होंने इस बारे में सोचना शुरू किया कि आखिर प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ से युवाओं की जिंदगी पर कितना असर पड़ रहा है. इस दौरान उन्होंने एप बेस्ड कंपनी की तरफ से जयपुर की एक यूनिवर्सिटी से जुड़कर एजुकेशन सेक्टर में काम शुरू किया, तो उनका मन जॉब में लगा ही नहीं. आशुतोष बताते हैं कि उन्हें कंपनी की तरफ से 75 हजार रुपये महीने और एक्सपेंसेस आदि मिलाकर 11 लाख रुपये सालाना का पैकेज दिया गया था. जिसका अपॉइंटमेंट लेटर भी उनके पास मौजूद है.

इस दौरान जॉब करते हुए लगभग डेढ़ साल के वक्त में उसके मन में हमेशा प्रकृति को हो रहे नुकसान, वातावरण में आ रहे बदलाव की बाते ही घूमती रहती. इस पर उन्होंने अपनी नौकरी से रिजाइन कर दिया और घर लौट आये. काफी सोच विचार करने के बाद उन्होंने लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूक करने की सोची और इसी उद्देश्य के साथ वंदे भारत पद यात्रा की शुरुआत की.


आशुतोष बताते हैं कि उनका उद्देश्य इस 10000 किलोमीटर की यात्रा में 10000 पौधे अपने हाथ से लगाना है. इसके साथ ही स्कूल, कॉलेज, इंस्टीट्यूट और सरकारी विभागों के द्वारा ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करवाना है. इसके लिए वह हर जिले में पहुंचकर वहां के जिलाधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर स्कूलों में बच्चों का सेमिनार कराकर प्रकृति और वातावरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं. उनका कहना है कि इसके लिए वह कई राज्यों के मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे और 2024 में उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करके पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हर राज्य को बड़ी पहल करने की अपील करेंगे.

आशुतोष का कहना है कि 'आज युवा महंगी गाड़ी, महंगे मोबाइल, लैपटॉप और लग्जरी लाइफ की तरफ भाग रहे हैं. लेकिन हमें यह सोचना होगा कि हमारा जीवन कुछ सेकेंड की ऑक्सीजन के बिना कुछ भी नहीं है. इसलिए अभी कोविड-19 में हुई दिक्कतों के साथ ही लगातार आ रही प्राकृतिक आपदाएं यह बताने के लिए काफी है कि प्रकृति से खिलवाड़ उचित नहीं है. इसके लिए जागरूक होकर सभी को इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है. नहीं तो 2050 तक कम हो रही ग्रीनरी के साथ ही ऑक्सीजन की कमी लोगों के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन जाएगी.'

यह भी पढ़ें:Health Services of UP : गर्भवती महिलाओं को दिया जाए मुफ्त खून, डिप्टी सीएम ने अधिकारियों को दिए कड़े दिशा निर्देश

11 लाख के पैकेज को छोड़कर 21 राज्यों की पैदल यात्रा

वाराणसी: कभी-कभी इंसान की जिंदगी में आई दिक्कतों से न सिर्फ उसे बड़ी सीख मिलती है, बल्कि वह दुनिया और समाज को भी कुछ सिखाने के उद्देश्य से सब कुछ छोड़ कर निकल जाता है. ऐसा ही एक 24 साल का युवक वाराणसी में इन दिनों हाथों में तिरंगा झंडा और एक पौधा लेकर चलता हुआ दिखाई दे रहा है. इस युवक का नाम है आशुतोष पांडेय और यह सुल्तानपुर का रहने वाला है. आशुतोष इन दिनों देश के 10000 किलोमीटर की यात्रा पर पैदल ही निकलें हैं. आशुतोष ने 11 लाख रुपये सलाना के पैकेज की नौकरी को छोड़कर प्रकृति को बचाने और लोगों को जागरूक करने के लिए पैदल ही 21 राज्यों की यात्रा शुरू कर की है.

दरअसल, आशुतोष लगातार पैदल चलते हुए सुल्तानपुर से निकलकर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से होते हुए 10000 किलोमीटर कर चलने का संकल्प लेकर निकले हैं. आशुतोष ने अपने सफर की शुरुआत 4 दिसंबर 2022 को की थी. आशुतोष बताते हैं कि दिल्ली में 7 सालों तक रहते हुए उन्होंने पढ़ाई लिखाई की. दिल्ली में रहते हुए उसे एहसास हुआ कि उन्होंने अपना कितना नुकसान किया है. दिल्ली की आबोहवा में फैली जहरीली गैसों से लेकर खारे पानी और खाने तक में प्रदूषण की बड़ी मात्रा ने उसे खासा परेशान किया.

आशुतोष के मुताबिक इस दौरान 2021 में नौकरी ज्वाइन की. इसके बाद उन्होंने इस बारे में सोचना शुरू किया कि आखिर प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ से युवाओं की जिंदगी पर कितना असर पड़ रहा है. इस दौरान उन्होंने एप बेस्ड कंपनी की तरफ से जयपुर की एक यूनिवर्सिटी से जुड़कर एजुकेशन सेक्टर में काम शुरू किया, तो उनका मन जॉब में लगा ही नहीं. आशुतोष बताते हैं कि उन्हें कंपनी की तरफ से 75 हजार रुपये महीने और एक्सपेंसेस आदि मिलाकर 11 लाख रुपये सालाना का पैकेज दिया गया था. जिसका अपॉइंटमेंट लेटर भी उनके पास मौजूद है.

इस दौरान जॉब करते हुए लगभग डेढ़ साल के वक्त में उसके मन में हमेशा प्रकृति को हो रहे नुकसान, वातावरण में आ रहे बदलाव की बाते ही घूमती रहती. इस पर उन्होंने अपनी नौकरी से रिजाइन कर दिया और घर लौट आये. काफी सोच विचार करने के बाद उन्होंने लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूक करने की सोची और इसी उद्देश्य के साथ वंदे भारत पद यात्रा की शुरुआत की.


आशुतोष बताते हैं कि उनका उद्देश्य इस 10000 किलोमीटर की यात्रा में 10000 पौधे अपने हाथ से लगाना है. इसके साथ ही स्कूल, कॉलेज, इंस्टीट्यूट और सरकारी विभागों के द्वारा ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करवाना है. इसके लिए वह हर जिले में पहुंचकर वहां के जिलाधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर स्कूलों में बच्चों का सेमिनार कराकर प्रकृति और वातावरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं. उनका कहना है कि इसके लिए वह कई राज्यों के मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे और 2024 में उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करके पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हर राज्य को बड़ी पहल करने की अपील करेंगे.

आशुतोष का कहना है कि 'आज युवा महंगी गाड़ी, महंगे मोबाइल, लैपटॉप और लग्जरी लाइफ की तरफ भाग रहे हैं. लेकिन हमें यह सोचना होगा कि हमारा जीवन कुछ सेकेंड की ऑक्सीजन के बिना कुछ भी नहीं है. इसलिए अभी कोविड-19 में हुई दिक्कतों के साथ ही लगातार आ रही प्राकृतिक आपदाएं यह बताने के लिए काफी है कि प्रकृति से खिलवाड़ उचित नहीं है. इसके लिए जागरूक होकर सभी को इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है. नहीं तो 2050 तक कम हो रही ग्रीनरी के साथ ही ऑक्सीजन की कमी लोगों के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन जाएगी.'

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