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ज्ञानवापी मामला: वीडियो साक्ष्य कोर्ट में सरेंडर करने पहुंची वादी महिलाएं, बोलीं-जब पैकेट सील तो कैसे हुआ वीडियो लीक

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर कमीशन की कार्यवाही के वीडियो लीक होने के बाद आज वादी पक्ष की चारों महिलाएं कोर्ट की तरफ से कल शाम को इन्हें सौपे गए वीडियो और फोटो रिपोर्ट के लिफाफे सीलबंद तरीके से ही वापस करने के लिए कोर्ट परिसर में पहुंचीं. हालांकि कमीशन की कार्रवाई के वीडियो साक्ष्य को सरेंडर करने की वादी पक्ष की महिलाओं की याचिका को जिला जज ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया. साथ ही सील बंद लिफाफे को लेने से भी मना कर दिया.

ज्ञानवापी मामला.
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Published : May 31, 2022, 6:48 AM IST

Updated : May 31, 2022, 3:30 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर कमीशन की कार्यवाही के वीडियो लीक होने के बाद आज वादी पक्ष की चारों महिलाएं कोर्ट की तरफ से कल शाम को इन्हें सौपे गए वीडियो और फोटो रिपोर्ट के लिफाफे सीलबंद तरीके से ही वापस करने के लिए कोर्ट परिसर में पहुंच चुकी हैं.

जानकारी देतीं वादी महिलाएं.

उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि चीजों के हाथ में आने से पहले ही यह पूरा मामला लीक हुआ था. किसके द्वारा किया गया और कौन इसके पीछे है यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस पूरे प्रकरण में कोर्ट में लिखित तौर पर शपथ पत्र दाखिल करने के बाद हमें विश्वास जताकर कोर्ट ने यह सबूत सौंपा था, लेकिन जब यह सबूत लेकर हम बाहर निकलते हैं तो इसके पहले ही यह चैनलों पर चलने लग गया. सबसे बड़ी बात तो यह है यह सारे साक्ष्य कोर्ट की तरफ से सीलबंद तरीके से हमें सौपे गए थे और अब भी वह लिफाफे में सील ही हैं, लेकिन इसके बाद यह कैसे लीक हुआ. यह जांच का विषय है और इसी वजह से हम या लिफाफे लेकर आज कोर्ट पहुंचे हैं और दोपहर 2 बजे कोर्ट में इसे सरेंडर कर देंगे.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने जिला जज न्यायालय में श्रृंगार गौरी मामले में पक्षकार बनने के लिए एप्लीकेशन दिया. कमीशन की कार्रवाई के वीडियो साक्ष्य को सरेंडर करने की वादी पक्ष की महिलाओं की याचिका को जिला जज ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया. साथ ही सील बंद लिफाफे को लेने से भी मना कर दिया.

जानकारी देती वादी रेखा पाठक.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने जिला जज कोर्ट में एक याचिका दायर की है. यह अलग से याचिका उन्होंने वरशिप एक्ट को लेकर दायर की है, उनका कहना है कि उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट में हम इस प्रकरण में बहस कर रहे हैं और प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है, तो हमें यहां भी बोलने का मौका दिया जाए. उनका कहना था कि 1991 के वरशिप एक्ट को प्लेसेस ऑफ़ वरशिप कहा जाता है ना की प्लेसेस ऑफ प्रेयर एक्ट. वरशिप का मतलब पूजा से होता है ना की प्रार्थना यानी प्रेयर से. इसके अलावा मैंने कोर्ट से एक दिन के लिए देश भर की हर भाषा की मीडिया को ज्ञानवापी परिसर में जाने की अनुमति देने की अपील भी की है, ताकि सच सबके सामने आए. क्योंकि मीडिया चौथा स्तंभ है और इसके अंदर जाने से बहुत सी चीजें साफ हो जाएंगी. फिलहाल जज ने आज हमें सुना है और पूरे मामले में 4 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है.

मामले में वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि यह अपने आप में बहुत चिंता का विषय है. क्योंकि वादी पक्ष की महिलाओं की तरफ से लिखित तौर पर अंडरटेकिंग दी गई थी और यदि भविष्य में कभी कोर्ट इस मामले को संज्ञान लेकर कोई कार्यवाही करेगा तो इन महिलाओं के ऊपर ही कार्यवाही हो सकती है. इसलिए इस बारे में कोर्ट को सूचना देना आवश्यक है कि उनके लिफाफे अब तक खुले ही नहीं हैं और वह पूरी तरह से कोर्ट की सील से पैक है. इसलिए हम कोर्ट से मांग करेंगे की मामले की जांच करवाकर पूरे मामले को साफ कर जिसने भी वीडियो साक्ष्य लीक किया है उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए.

जिला जज न्यायालय में कमीशन कार्रवाई का वीडियो लीक होने के मामले में विश्व वैदिक सनातन संघ की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दी गयी अर्जी पर मंगलवार को बहस हुई. बहस के बाद कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख मुकर्रर की. विश्व वैदिक सनातन संघ के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने बताया कि कोर्ट ने प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया है. इस मामले में 4 जुलाई को सुनवाई होगी. मंगलवार को वादी महिलाओं ने जिला जज न्यायालय में वीडियो साक्ष्य सरेंडर करने के लिए आवेदन दिया. इस पर अदालत 2 बजे सुनवाई करेगी. अदालत तय करेगी कि वीडियो साक्ष्य सरेंडर स्वीकार किया जाएगा या नहीं.

विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से 156(3) के तहत ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के खिलाफ FIR दर्ज कराने वाली याचिका CJM स्पेशल कोर्ट में खारिज हो गई. इसे अब विश्व वैदिक सनातन संघ जिला जज न्यायालय में पुनः दायर करेगा. मंगलवार को वादी महिलाओं ने जिला जज न्यायालय में वीडियो साक्ष्य सरेंडर करने के लिए आवेदन दिया. इस पर अदालत 2 बजे सुनवाई करेगी. अदालत तय करेगी कि वीडियो साक्ष्य सरेंडर स्वीकार किया जाएगा या नहीं.

दरअसल, 156(3) के मामले में विश्व हिंदू सनातन संघ की याचिका किन्हीं कारणों से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में खारिज कर दी गई है. इसे अब विश्व वैदिक सनातन संघ जिला जज न्यायालय में पुनः दायर करेगा.

विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से 156 (3) के तहत ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के खिलाफ FIR दर्ज कराने की मांग पर आज सीजेएम स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई. विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के मुताबिक प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का मसाजिद कमेटी ने उल्लंघन किया है. इसे लेकर पिछले हफ्ते चौक थाने में मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था, लेकिन मसाजिद कमेटी पर मुकदमा न होने की स्थिति में आज सीजीएम स्पेशल की कोर्ट में 156 (3) के तहत FIR दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है, जिसपर कोर्ट ने संबंधित थाने से रिपोर्ट मांगी थी और आज इस मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई.

ज्ञानवापी कार्यवाही का वीडियो लीक होने के मामले में CBI जांच की मांग मुख्य वादी राखी सिंह के पैरोकार और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने की है. उन्होंने गहरी साजिश की आशंका जताते हुए इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की है.

मुख्य वादी राखी सिंह के पैरोकार और विश्व वैदिक हिंदू सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि मैं चैनलों पर वीडियो देख रहा हूं. यह स्पष्ट नहीं कर सकता हूं कि यह वही वीडियो है जो कमीशन की कार्यवाही में किया गया था. क्योंकि वीडियो अब तक मेरे पास नहीं आया है, लेकिन जिस तरह से शपथ पत्र देने के बाद भी वीडियो लीक हुआ है. यह कई सवाल खड़े कर रहा है. इसलिए मेरा मानना है इसकी जांच सीधे CBI से करवाई जानी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.

जितेंद्र सिंह बिसेन का कहना है कि हमने वीडियो लेने के लिए मना कर दिया था और हमने वीडियो लिया भी नहीं. उन्होंने आशंका जताई कि वीडियो हिंदू पक्ष के किसी व्यक्ति के द्वारा ही लीक किया जा सकता है या फिर वीडियो मिलने के पहले ही लीक हो गया. यह जांच का विषय है. इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी जरूरी है. क्योंकि यह वीडियो देखकर बेवजह जनता का जन आक्रोश बढ़ सकता है.

वहीं, आज विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में जितेंद्र सिंह बिसेन की तरफ से अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ को लेकर दी गई 156 (3) की याचिका पर सुनवाई हुई.

ये है मामला
ज्ञानवापी मामले में सर्वेक्षण की रिपोर्ट और वीडियो की सीडी पक्षकारों को सौंपने के कुछ देर बाद ही रिपोर्ट लीक हो गई. कार्यवाही के वीडियो भी वायरल हो गए. इस मामले के सामने आने के बाद हिंदू पक्ष ने इससे पल्ला झाड़ लिया है और दावा किया कि कार्यवाही के वीडियो को किसी ने वायरल कर दिया है. इससे बहुत बड़ी साजिश की बू आ रही है. उन्होंने अपने चारों लिफाफे भी दिखाते हुए कहा कि लिफाफे अभी तक सील बंद हैं और वह इसे मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर देंगे.

हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि उन लोगों को जो लिफाफा मिला है. उसे अभी तक खोला नहीं गया है. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि वीडियो कैसे लीक हो गया. अब हम लोग अपने सभी लिफाफे मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर देंगे और कोर्ट में इस बारे में शिकायत करेंगे. अदालत में शपथ पत्र देने के बाद हिंदू पक्ष की तरफ से वादी पक्ष की 5 में से 4 महिलाओं को सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट की सीडी मिली थी. बताया जा रहा है कि शपथ पत्र नहीं देने के कारण दूसरे पक्ष को अभी रिपोर्ट या सीडी नहीं मिली है.

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में आज कमीशन की कार्यवाही के दौरान की गई वीडियोग्राफी की रिपोर्ट लीक हो गई. इस रिपोर्ट के लीक होने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि वादी पक्ष की महिलाओं ने कोर्ट में बकायदा हलफनामा देकर यह सबूत हासिल किया था. हलफनामे में साफ तौर पर यह लिखा भी था कि यह साक्ष्य किसी भी हाल में संबंधित व्यक्तियों के अलावा किसी अन्य को नहीं दिया जाएगा, लेकिन इसके लीक होने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. इन सबके बीच ईटीवी भारत की पड़ताल में एक बात और सामने आई है वादी पक्ष की महिलाओं ने मीडिया के सामने जो लिफाफे रखे थे. उन लिफाफों में 3 लिफाफे तो एक जैसी सील के साथ पैक थे. एक लिफाफा ऐसा भी दिखाई दिया. जिसमें एक दो नहीं बल्कि 7 सील लगाई गई थी, जिसके बाद सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस लिफाफे में बाकी 3 लिफाफा से अलग सील क्यों लगाई गई?

दरअसल, श्रृंगार गौरी मामले में वादी पक्ष की सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक की तरफ से कोर्ट में शाम को एक हलफनामा दिया गया था. इस हलफनामे में वादी पक्ष की महिलाओं की तरफ से यह साफ तौर पर कहा गया था कि कोर्ट की तरफ से मिलने वाले वीडियो साक्षी का दुरुपयोग किसी भी हाल में कहीं नहीं किया जाएगा, लेकिन इसके बाद भी यह वीडियो बाहर आते ही मीडिया में लीक हो गया, जिसके बाद हड़कंप मच गया.

महिला वादी इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान दिखाई देने लगी, क्योंकि कोर्ट में लिखित तौर पर उन्होंने ही अंडरटेकिंग दी थी. इस बारे में मीडिया के सामने बकायदा लिफाफे रखकर महिलाओं ने अपना पक्ष साफ करने की कोशिश की, लेकिन जो लिफाफे मीडिया के सामने रखे गए हैं. उसमें एक चीज बिल्कुल अलग दिखाई दी.

चार महिला वादी पक्षकारों की तरफ से 4 सबूत सीडी और मेमोरी कार्ड में कोर्ट ने इन्हें सौंपा था, जो यह लेकर बाहर निकली ही थी. उसके बाद एक निजी चैनल पर यह वीडियो चलने शुरू हो गए. जिसके बाद यह महिला बिल्कुल अचरज की स्थिति में मीडिया के सामने आई. उनका कहना था कि हमारे पास मौजूद यह 4 लिफाफे सीलबंद हैं. इसकी सील भी नहीं खुली है तो ये कैसे हुआ. हमें नहीं पता, लेकिन जब यह मीडिया के सामने रखे गए तो लिफाफा नंबर 3 देखने में साफ तौर पर यह स्पष्ट हो रहा था कि कहीं न कहीं से इस लिफाफे से छेड़छाड़ हुई है. क्योंकि 3 अन्य लिफाफे पर जहां ऊपर नीचे और बीच में 3 चीज लगाई गई थी जो कोर्ट की तरफ से लगी थी. वहीं इस लिफाफे में कुल 7 सील लगाई गई थी जो यह सवाल खड़े कर रही है कि आखिर इस लिफाफे में बाकी 3 की अपेक्षा सील की संख्या ज्यादा क्यों थी.

इसे भी पढे़ं- ज्ञानवापी मामलाः वीडियो लीक पर वादी महिलाओं ने दिखाया सीलबंद लिफाफा, बोलीं-कोर्ट से करेंगी कार्रवाई की मांग

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर कमीशन की कार्यवाही के वीडियो लीक होने के बाद आज वादी पक्ष की चारों महिलाएं कोर्ट की तरफ से कल शाम को इन्हें सौपे गए वीडियो और फोटो रिपोर्ट के लिफाफे सीलबंद तरीके से ही वापस करने के लिए कोर्ट परिसर में पहुंच चुकी हैं.

जानकारी देतीं वादी महिलाएं.

उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि चीजों के हाथ में आने से पहले ही यह पूरा मामला लीक हुआ था. किसके द्वारा किया गया और कौन इसके पीछे है यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस पूरे प्रकरण में कोर्ट में लिखित तौर पर शपथ पत्र दाखिल करने के बाद हमें विश्वास जताकर कोर्ट ने यह सबूत सौंपा था, लेकिन जब यह सबूत लेकर हम बाहर निकलते हैं तो इसके पहले ही यह चैनलों पर चलने लग गया. सबसे बड़ी बात तो यह है यह सारे साक्ष्य कोर्ट की तरफ से सीलबंद तरीके से हमें सौपे गए थे और अब भी वह लिफाफे में सील ही हैं, लेकिन इसके बाद यह कैसे लीक हुआ. यह जांच का विषय है और इसी वजह से हम या लिफाफे लेकर आज कोर्ट पहुंचे हैं और दोपहर 2 बजे कोर्ट में इसे सरेंडर कर देंगे.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने जिला जज न्यायालय में श्रृंगार गौरी मामले में पक्षकार बनने के लिए एप्लीकेशन दिया. कमीशन की कार्रवाई के वीडियो साक्ष्य को सरेंडर करने की वादी पक्ष की महिलाओं की याचिका को जिला जज ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया. साथ ही सील बंद लिफाफे को लेने से भी मना कर दिया.

जानकारी देती वादी रेखा पाठक.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने जिला जज कोर्ट में एक याचिका दायर की है. यह अलग से याचिका उन्होंने वरशिप एक्ट को लेकर दायर की है, उनका कहना है कि उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट में हम इस प्रकरण में बहस कर रहे हैं और प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है, तो हमें यहां भी बोलने का मौका दिया जाए. उनका कहना था कि 1991 के वरशिप एक्ट को प्लेसेस ऑफ़ वरशिप कहा जाता है ना की प्लेसेस ऑफ प्रेयर एक्ट. वरशिप का मतलब पूजा से होता है ना की प्रार्थना यानी प्रेयर से. इसके अलावा मैंने कोर्ट से एक दिन के लिए देश भर की हर भाषा की मीडिया को ज्ञानवापी परिसर में जाने की अनुमति देने की अपील भी की है, ताकि सच सबके सामने आए. क्योंकि मीडिया चौथा स्तंभ है और इसके अंदर जाने से बहुत सी चीजें साफ हो जाएंगी. फिलहाल जज ने आज हमें सुना है और पूरे मामले में 4 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है.

मामले में वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि यह अपने आप में बहुत चिंता का विषय है. क्योंकि वादी पक्ष की महिलाओं की तरफ से लिखित तौर पर अंडरटेकिंग दी गई थी और यदि भविष्य में कभी कोर्ट इस मामले को संज्ञान लेकर कोई कार्यवाही करेगा तो इन महिलाओं के ऊपर ही कार्यवाही हो सकती है. इसलिए इस बारे में कोर्ट को सूचना देना आवश्यक है कि उनके लिफाफे अब तक खुले ही नहीं हैं और वह पूरी तरह से कोर्ट की सील से पैक है. इसलिए हम कोर्ट से मांग करेंगे की मामले की जांच करवाकर पूरे मामले को साफ कर जिसने भी वीडियो साक्ष्य लीक किया है उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए.

जिला जज न्यायालय में कमीशन कार्रवाई का वीडियो लीक होने के मामले में विश्व वैदिक सनातन संघ की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दी गयी अर्जी पर मंगलवार को बहस हुई. बहस के बाद कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख मुकर्रर की. विश्व वैदिक सनातन संघ के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने बताया कि कोर्ट ने प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया है. इस मामले में 4 जुलाई को सुनवाई होगी. मंगलवार को वादी महिलाओं ने जिला जज न्यायालय में वीडियो साक्ष्य सरेंडर करने के लिए आवेदन दिया. इस पर अदालत 2 बजे सुनवाई करेगी. अदालत तय करेगी कि वीडियो साक्ष्य सरेंडर स्वीकार किया जाएगा या नहीं.

विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से 156(3) के तहत ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के खिलाफ FIR दर्ज कराने वाली याचिका CJM स्पेशल कोर्ट में खारिज हो गई. इसे अब विश्व वैदिक सनातन संघ जिला जज न्यायालय में पुनः दायर करेगा. मंगलवार को वादी महिलाओं ने जिला जज न्यायालय में वीडियो साक्ष्य सरेंडर करने के लिए आवेदन दिया. इस पर अदालत 2 बजे सुनवाई करेगी. अदालत तय करेगी कि वीडियो साक्ष्य सरेंडर स्वीकार किया जाएगा या नहीं.

दरअसल, 156(3) के मामले में विश्व हिंदू सनातन संघ की याचिका किन्हीं कारणों से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में खारिज कर दी गई है. इसे अब विश्व वैदिक सनातन संघ जिला जज न्यायालय में पुनः दायर करेगा.

विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से 156 (3) के तहत ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के खिलाफ FIR दर्ज कराने की मांग पर आज सीजेएम स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई. विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के मुताबिक प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का मसाजिद कमेटी ने उल्लंघन किया है. इसे लेकर पिछले हफ्ते चौक थाने में मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था, लेकिन मसाजिद कमेटी पर मुकदमा न होने की स्थिति में आज सीजीएम स्पेशल की कोर्ट में 156 (3) के तहत FIR दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है, जिसपर कोर्ट ने संबंधित थाने से रिपोर्ट मांगी थी और आज इस मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई.

ज्ञानवापी कार्यवाही का वीडियो लीक होने के मामले में CBI जांच की मांग मुख्य वादी राखी सिंह के पैरोकार और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने की है. उन्होंने गहरी साजिश की आशंका जताते हुए इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की है.

मुख्य वादी राखी सिंह के पैरोकार और विश्व वैदिक हिंदू सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि मैं चैनलों पर वीडियो देख रहा हूं. यह स्पष्ट नहीं कर सकता हूं कि यह वही वीडियो है जो कमीशन की कार्यवाही में किया गया था. क्योंकि वीडियो अब तक मेरे पास नहीं आया है, लेकिन जिस तरह से शपथ पत्र देने के बाद भी वीडियो लीक हुआ है. यह कई सवाल खड़े कर रहा है. इसलिए मेरा मानना है इसकी जांच सीधे CBI से करवाई जानी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.

जितेंद्र सिंह बिसेन का कहना है कि हमने वीडियो लेने के लिए मना कर दिया था और हमने वीडियो लिया भी नहीं. उन्होंने आशंका जताई कि वीडियो हिंदू पक्ष के किसी व्यक्ति के द्वारा ही लीक किया जा सकता है या फिर वीडियो मिलने के पहले ही लीक हो गया. यह जांच का विषय है. इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी जरूरी है. क्योंकि यह वीडियो देखकर बेवजह जनता का जन आक्रोश बढ़ सकता है.

वहीं, आज विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में जितेंद्र सिंह बिसेन की तरफ से अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ को लेकर दी गई 156 (3) की याचिका पर सुनवाई हुई.

ये है मामला
ज्ञानवापी मामले में सर्वेक्षण की रिपोर्ट और वीडियो की सीडी पक्षकारों को सौंपने के कुछ देर बाद ही रिपोर्ट लीक हो गई. कार्यवाही के वीडियो भी वायरल हो गए. इस मामले के सामने आने के बाद हिंदू पक्ष ने इससे पल्ला झाड़ लिया है और दावा किया कि कार्यवाही के वीडियो को किसी ने वायरल कर दिया है. इससे बहुत बड़ी साजिश की बू आ रही है. उन्होंने अपने चारों लिफाफे भी दिखाते हुए कहा कि लिफाफे अभी तक सील बंद हैं और वह इसे मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर देंगे.

हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि उन लोगों को जो लिफाफा मिला है. उसे अभी तक खोला नहीं गया है. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि वीडियो कैसे लीक हो गया. अब हम लोग अपने सभी लिफाफे मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर देंगे और कोर्ट में इस बारे में शिकायत करेंगे. अदालत में शपथ पत्र देने के बाद हिंदू पक्ष की तरफ से वादी पक्ष की 5 में से 4 महिलाओं को सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट की सीडी मिली थी. बताया जा रहा है कि शपथ पत्र नहीं देने के कारण दूसरे पक्ष को अभी रिपोर्ट या सीडी नहीं मिली है.

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में आज कमीशन की कार्यवाही के दौरान की गई वीडियोग्राफी की रिपोर्ट लीक हो गई. इस रिपोर्ट के लीक होने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि वादी पक्ष की महिलाओं ने कोर्ट में बकायदा हलफनामा देकर यह सबूत हासिल किया था. हलफनामे में साफ तौर पर यह लिखा भी था कि यह साक्ष्य किसी भी हाल में संबंधित व्यक्तियों के अलावा किसी अन्य को नहीं दिया जाएगा, लेकिन इसके लीक होने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. इन सबके बीच ईटीवी भारत की पड़ताल में एक बात और सामने आई है वादी पक्ष की महिलाओं ने मीडिया के सामने जो लिफाफे रखे थे. उन लिफाफों में 3 लिफाफे तो एक जैसी सील के साथ पैक थे. एक लिफाफा ऐसा भी दिखाई दिया. जिसमें एक दो नहीं बल्कि 7 सील लगाई गई थी, जिसके बाद सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस लिफाफे में बाकी 3 लिफाफा से अलग सील क्यों लगाई गई?

दरअसल, श्रृंगार गौरी मामले में वादी पक्ष की सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक की तरफ से कोर्ट में शाम को एक हलफनामा दिया गया था. इस हलफनामे में वादी पक्ष की महिलाओं की तरफ से यह साफ तौर पर कहा गया था कि कोर्ट की तरफ से मिलने वाले वीडियो साक्षी का दुरुपयोग किसी भी हाल में कहीं नहीं किया जाएगा, लेकिन इसके बाद भी यह वीडियो बाहर आते ही मीडिया में लीक हो गया, जिसके बाद हड़कंप मच गया.

महिला वादी इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान दिखाई देने लगी, क्योंकि कोर्ट में लिखित तौर पर उन्होंने ही अंडरटेकिंग दी थी. इस बारे में मीडिया के सामने बकायदा लिफाफे रखकर महिलाओं ने अपना पक्ष साफ करने की कोशिश की, लेकिन जो लिफाफे मीडिया के सामने रखे गए हैं. उसमें एक चीज बिल्कुल अलग दिखाई दी.

चार महिला वादी पक्षकारों की तरफ से 4 सबूत सीडी और मेमोरी कार्ड में कोर्ट ने इन्हें सौंपा था, जो यह लेकर बाहर निकली ही थी. उसके बाद एक निजी चैनल पर यह वीडियो चलने शुरू हो गए. जिसके बाद यह महिला बिल्कुल अचरज की स्थिति में मीडिया के सामने आई. उनका कहना था कि हमारे पास मौजूद यह 4 लिफाफे सीलबंद हैं. इसकी सील भी नहीं खुली है तो ये कैसे हुआ. हमें नहीं पता, लेकिन जब यह मीडिया के सामने रखे गए तो लिफाफा नंबर 3 देखने में साफ तौर पर यह स्पष्ट हो रहा था कि कहीं न कहीं से इस लिफाफे से छेड़छाड़ हुई है. क्योंकि 3 अन्य लिफाफे पर जहां ऊपर नीचे और बीच में 3 चीज लगाई गई थी जो कोर्ट की तरफ से लगी थी. वहीं इस लिफाफे में कुल 7 सील लगाई गई थी जो यह सवाल खड़े कर रही है कि आखिर इस लिफाफे में बाकी 3 की अपेक्षा सील की संख्या ज्यादा क्यों थी.

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Last Updated : May 31, 2022, 3:30 PM IST
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