वाराणसी: नवरात्रि के पावन पर्व का आज अंतिम दिन है. नौ दिनों तक माता के अलग-अलग रूपों की पूजन का विधान है. आज अंतिम व नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजन का विधान है. मां का यह स्वरूप सभी सिद्धियों को देने वाला है. नवरात्रि के अंतिम दिन माता के सिद्धिदात्री रूप की पूजा करना विशेष फलदायी होता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि माता सिद्धिदात्री भक्तों की हर मुराद को देने वाली देवी हैं. देवी पुराण के मुताबिक भगवान शिव ने माता सिद्धिदात्री की कृपा से सभी सिद्धियों को प्राप्त किया था और इनकी अनुकंपा से ही शिव अर्धनारीश्वर के रूप में प्रकट हुए थे. माता की कृपा पाने के लिए आज के दिन भक्तों को लाल पुष्प अर्पित कर बेलपत्र में लाल चंदन लगाकर माता के चरणों में अर्पित करना चाहिए. मां के आगे बलि का भी विधान है, जिसमें कोहड़े या नारियल की बलि देकर मां को प्रसन्न किया जाता है. मां को प्रसाद स्वरूप दूध से बनी खाद्य सामग्री का भोग लगाना चाहिए.
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उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं. इनका वाहन वैसे तो सिंह है, लेकिन यह कमल पर विराजती हैं. इनके दाहिने हाथ में ऊपर की तरफ गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र विद्यमान हैं. बाईं तरफ ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प और नीचे वाले हाथ में शंख है.
मां को प्रसन्न करने के लिए नौवें दिन अलग-अलग चीजों से उन्हें स्नान कराना विशेष फलदायी हैं, जैसे यदि आप मां से समृद्धि का आशीर्वाद चाहते हैं तो शहद से स्नान कराएं. संपन्नता और धन चाहते हैं तो घी से स्नान कराए, आरोग्य और स्वास्थ्य चाहते हैं तो दही से स्नान कराएं और अंत में पंचामृत स्नान करवाकर मां की विशेष कृपा प्राप्त करें.
इस मंत्र का करें जाप
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
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