वाराणसी: पूरे देश में कोविड-19 संक्रमण का दर धीरे-धीरे कम हो रहा है. ऐसे में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते जा रहे हैं. अगर हम बीएचयू अस्पताल की बात करें तो यहां अब तक 165 मरीज आ चुके हैं, जिनमें से 120 का इलाज चल रहा है, जबकि ब्लैक फंगस से अब तक 37 मरीजों की मौत हो चुकी है. वहीं पूर्वांचल में मात्र बीएचयू में ही ब्लैक फंगस का इलाज सरकारी अस्पताल के रूप में किया जा रहा है.
बीएचयू में बढ़ने ब्लैक फंगस के मरीज
बीएचयू में लगातार हर दिन ब्लैक फंगस के मरीज आ रहे हैं. मरीजों के हिसाब से अस्पताल में एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है, जिसके लिए अस्पताल द्वारा मरीजों को पोसाकोनाजोल दिया जा रहा है. इंजेक्शन नहीं मिलने की वजह से मरीज के परिजन काफी परेशान रह रहे हैं, जिसके बाद से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है.
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बीएचयू में मरीजों का आंकड़ा
बीएचयू के ईएनटी डिपार्टमेंट में अब तक कुल 165 मरीजों का इलाज किया जा चुका है, जिसमें रविवार को एक मरीज की मौत हो गई और एक दूसरे मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है, जिसमें अब तक 35 मरीजों की मौत हो चुकी है. 8 मरीजों को डिस्चार्ज करने के बाद 120 मरीजों का इलाज चल रहा है.
बता दें कि 19 मई से लेकर 3 जून तक 3 चरणों में अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से बीएचयू को 575 एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन दिए जा चुके हैं. उसके साथ ही ब्लैक फंगस से अब तक 105 मरीजों का ऑपरेशन किया जा चुका है. 19 मई को जिला प्रशासन द्वारा 100 इंजेक्शन दिए गए. 28 मई को 250 इंजेक्शन और 3 जून को 225 इंजेक्शन दिया गया.
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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल चिकित्सालय के एमएस प्रोफेसर केके गुप्ता ने बताया कि मरीजों की संख्या के हिसाब से इंजेक्शन एम्फोटेरेसिन बी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में विकल्प के तौर पर हम दवा पोसाकोनाजोल मरीजों को दी जा रही है. इंजेक्शन के लिए स्वास्थ्य विभाग जिला प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है. उसके साथ ही हम लोग हर रोज जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार को अपने मरीजों के पूरे डिटेल के साथ इन्हें किस चीज की जरूरत है हम लगातार लिख रहे हैं.