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लैब टेक्नीशियन और लैब असिस्टेंट ने जिला मुख्यालय पर किया प्रदर्शन

वाराणसी में लैब टेक्नीशियन और लैब असिस्टेंटो ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया. आरोप है कि बिना कोई शासनादेश के मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी ने इन्हें सेवा से मुक्त कर दिया है. टेक्नीशियन एवं लैब असिस्टेंट कर्मचारी प्रशासन के इस रवैये से नाराज हैं.

जिला मुख्यालय पहुंच किया प्रदर्शन
जिला मुख्यालय पहुंच किया प्रदर्शन
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Published : Jan 21, 2021, 11:39 AM IST

वाराणसी: वाराणसी परिक्षेत्र में संविदा पर नियुक्त किए गए लैब टेक्नीशियन एवं लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत कर्मचारियों ने शनिवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने नारेबाजी की और जिलाधिकारी को अपनी समस्या से संबंधित ज्ञापन सौंपा.

लैब टेक्नीशियन व लैब असिस्टेंटों ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत कोरोना की जांच के लिए इन्हें वाराणसी परिक्षेत्र में संविदा पर नियुक्त किया गया था. सभी लैब टेक्नीशियन एवं लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत लगभग 30 कर्मचारियों को बिना किसी शासनादेश के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने 5 जनवरी को सामूहिक तौर पर कार्य मुक्त कर दिया, जो अत्यंत ही निराशाजनक एवं संवेदनहीनता का प्रतीक है. इससे कर्मचारियों के बीच बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

उन्होंने बताया कि विषम परिस्थितियों में सेवा करने के बावजूद माह अक्टूबर 2020 से निर्धारित मानदेय का भुगतान नहीं किया गया और कोई भरोसा भी नहीं दिया गया कि कब तक मानदेय का भुगतान किया जाएगा. बावजूद इसके कर्मचारी अपनी पूर्ण मनोयोग से सेवा देते चले आ रहे हैं. जिलाधिकारी से आग्रह किया गया है कि कर्मचारियों की समस्या पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए सेवा बनाए रखने के लिए निर्देशित किया जाए, ताकि सभी के जीविकोपार्जन का साधन बना रहे.

वाराणसी: वाराणसी परिक्षेत्र में संविदा पर नियुक्त किए गए लैब टेक्नीशियन एवं लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत कर्मचारियों ने शनिवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने नारेबाजी की और जिलाधिकारी को अपनी समस्या से संबंधित ज्ञापन सौंपा.

लैब टेक्नीशियन व लैब असिस्टेंटों ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत कोरोना की जांच के लिए इन्हें वाराणसी परिक्षेत्र में संविदा पर नियुक्त किया गया था. सभी लैब टेक्नीशियन एवं लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत लगभग 30 कर्मचारियों को बिना किसी शासनादेश के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने 5 जनवरी को सामूहिक तौर पर कार्य मुक्त कर दिया, जो अत्यंत ही निराशाजनक एवं संवेदनहीनता का प्रतीक है. इससे कर्मचारियों के बीच बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

उन्होंने बताया कि विषम परिस्थितियों में सेवा करने के बावजूद माह अक्टूबर 2020 से निर्धारित मानदेय का भुगतान नहीं किया गया और कोई भरोसा भी नहीं दिया गया कि कब तक मानदेय का भुगतान किया जाएगा. बावजूद इसके कर्मचारी अपनी पूर्ण मनोयोग से सेवा देते चले आ रहे हैं. जिलाधिकारी से आग्रह किया गया है कि कर्मचारियों की समस्या पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए सेवा बनाए रखने के लिए निर्देशित किया जाए, ताकि सभी के जीविकोपार्जन का साधन बना रहे.

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