वाराणसी: अमावस्या तिथि पर स्नान दान करके पुण्य प्राप्त किया जाता है. प्रत्येक माह की तिथि की विशेष महिमा है. पौष कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि 'कुहू अमावस्या' के नाम से जानी जाती है. ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि पौष कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि बुधवार, 10 जनवरी को रात्रि 8 बजकर 12 मिनट पर लगी है जो गुरुवार, 11 जनवरी को सायं 5 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या गुरुवार, 11 जनवरी को मनाया जाएगा.
ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि अमावस्या तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर गंगा स्नानादि करना चाहिए. गंगा स्नान यदि सम्भव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् अमावस्या तिथि के व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
अमावस्या तिथि के दिन पीपल के वृक्ष को जल से सिंचन करके धूप-दीप के साथ विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है. अमावस्या तिथि पर विधि-विधान पूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना की जाती है. अमावस्या पर पितृदोष एवं कालसर्प दोष का निवारण के लिए भी धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं. पितरों के आशीर्वाद के लिए पितृसूक्त का पाठ करना भी लाभदायी माना गया है.
जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली बनी रहती है. इस दिन पीपल के वृक्ष व भगवान् शिवजी व श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करने पर आरोग्य व सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है शिवजी का रुद्राभिषेक भी आज के दिन करवाना लाभकारी माना गया है. इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट देवी देवता एवं आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए.
आज अमावस्या तिथि पर ब्राह्मण को घर पर निमन्त्रित करके भोजन करवाने की विशेष धार्मिक मान्यता है. ब्राह्मण को भोजन करवाकर सफेद रंग की वस्तुओं का दान जैसे-चावल, नमक, शुद्ध देशी शी, दूध, मिश्री, चौनी, खोवे से बने सफेद मिष्ठान्न, सफेद वस्त्र, चांदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ देकर, उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए. किसी कारणवश यदि ब्राह्मण को भोजन न करवा सकें तो उस स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री (सिद्धा) के साथ नकद द्रव्य देकर पुण्य लाभ प्राप्त करना चाहिए.
अमावस्या तिथि के दिन अपनी जीवनचर्या नियमित संयमित रखकर अपने परम्परा के अनुसार समस्त धार्मिक अनुष्ठान सम्पादित करना चाहिए. पीपल के वृक्ष की पूजा का आज विशेष महत्व है. पीपल वृक्ष पूजा के मन्त्र-ऊं मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः, आज के दिन व्रतकर्ता को अपनी दिनचर्या नियमति व संयमित रखते हुए यथासम्भव गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों की सेवा व सहायता तथा परोपकार के कृत्य अवश्य करने चाहिए.
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